गगन नारंग: मेडल्स की भूखी है नई पीढ़ी, ओलंपिक के टलने का इनपर नहीं पड़ेगा असर
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गगन नारंग: मेडल्स की भूखी है नई पीढ़ी, ओलंपिक के टलने का इनपर नहीं पड़ेगा असर

लंदन ओलंपिक में ब्रॉन्ज मेडल जीतने वाले शूटर गगन नारंग की WION के स्पोर्टस एडिटर दिग्विजय सिंह देव के साथ एक्सक्लूसिव बातचीत

गगन नारंग: मेडल्स की भूखी है नई पीढ़ी, ओलंपिक के टलने का इनपर नहीं पड़ेगा असर

नई दिल्ली: राजीव गांधी खेल रत्न पुरस्कार और ओलंपिक मेडल विजेता गगन नारंग (Gagan Narang) ने WION के स्पोर्टस एडिटर दिग्विजय सिंह देव के साथ एक एक्सक्लूसिव इंटरव्यू में लॉकडाउन में जीवन से लेकर टोक्यो ओलंपिक के टलने, खेल संगठनों के वित्तीय संघर्ष, लाइव एक्शन की कमी का युवा निशानेबाजों पर प्रभाव और उनके भविष्य के लक्ष्यों आदि को लेकर बहुत सारी बात की है. पेश है इस बातचीत के कुछ अंश-

  1. गगन नारंग का एक्सक्लूसिव इंटरव्यू.
  2. ओलंपिक समेत कई मुद्दे पर बातचीत.
  3. लंदन ओलंपिक में जीता था ब्रॉन्ज.

दिग्विजय सिंह देव: गगन, ये (लॉकडाउन) एक मजबूरी वाला ब्रेक है, लेकिन आखिरी बार आपने घर पर इतना समय कब बिताय था?

गगन नारंग: यह एक तरह से बुराई में अच्छाई जैसा है. बेहद लंबे समय बाद मैं घर पर अपने माता-पिता के साथ समय बिताने और घर का बना खाना खाने का लुत्फ ले रहा हूं. पिछले 23 साल से, मैं निशानेबाजी के कारण पूरे विश्व की यात्रा करता रहा हूं और कभी लंबे समय के लिए घर पर नहीं रहा. इस कारण ये एक खुशनुमा बदलाव है और मुझे अपनी बैटरी रिचार्ज करने का मौका मिला है.

DSD: मैंने कुछ विश्वनीय सूत्रों से सुना है कि आप कुछ समय रसोई में पकवान बनाने में बिता रहे हैं, उन तरीकों से, जो आपने पूरे विश्व की यात्रा करते हुए और अधिकतर अकेला रहते हुए सीखे हैं.

गगन: हां, मैं घरेलू काम में जितनी ज्यादा हो सकती है, मदद करने की कोशिश करता हूं. इंटरनेशनल दौरों पर, एक समय बाद आप होटल के खाने से ऊब जाते हो. इसलिए मैंने पूर्व में दौरों पर अपना खाना खुद तैयार किया है, आपको हालातों का आदी होना पड़ता है और यही समय की मांग है. दौरों पर मैंने खुद को घर के खाने के लिए तरसते हुए देखा है, इस कारण लंबे समय के लिए घरेलू भोजन खाने का मौका मिलना वास्तव में बहुत अच्छा है.

DSD: आप अपने बुजुर्ग माता-पिता के साथ रह रहे हैं और जब आपको आवश्यक सामान लेना होता है तो भी अतिरिक्त सावधानी बरतनी पड़ती है. आप कैसे कर रहे हैं.

GN: मैं हाल ही में कुछ राहत कार्य के लिए गया था, लेकिन वापस लौटते ही मैंने एहतियातन खुद को कुछ दिन के लिए क्वारंटीन करना सुनिश्चित किया. कई बार ये मेरे बुजुर्ग माता-पिता की देखभाल करने के लिए चुनौतीपूर्ण हो सकता है. लेकिन मैं खुश हूं कि उनके साथ इतना समय बिता पा रहा हूं. यह मेरे लिए बेहद विनम्र अनुभव रहा है. वे इतनी लंबी अवधि तक मुझे घर में आसपास पाने के आदी नहीं हैं, इसलिए एक दिन मेरे पिता ने खाली सोचकर मेरे कमरे की लाइट बंद कर दी, जबकि मैं वहीं मौजूद था. यह मेरे माता-पिता और मेरे लिए एक अजीब स्थिति है, लेकिन मेरे लिए सुखद है.

DSD: गगन बहुत से लोगों के लिए ये स्व-एकांतवास की प्रक्रिया बेहद हतोत्साहित करने वाली रही है, क्योंकि वे सिर्फ घर के अंदर रहने के आदी नहीं हैं. लेकिन आप जैसे लोगों और भारतीय शूटिंग टीम के अन्य सदस्यों के लिए यह बहुत अजीब नहीं है, क्योंकि निशानेबाज आमतौर पर एकांत ही पसंद करते हैं.

GN: मेरे इवेंट (10 मीटर एयर राइफल) समेत हमारे खेल में ज्यादातर इवेंट इंडोर में ही खेले जाते हैं. जब शूटिंग रेंज बंद हों, तब भी घर पर अभ्यास करना संभव है. वास्तव में, मैं खुद इस इंटरव्यू से ठीक पहले लंबे समय बाद अपनी बंदूक साफ कर रहा था.

DSD: हालांकि आपके लिए समस्याएं व्यक्तिगत नहीं, बल्कि प्रोफेशनल ज्यादा हैं. आपकी पूरे भारत में बहुत एकेडमी हैं और उन्हें चालू रखना बेहद परेशानी वाला काम होना चाहिए.

GN: हां, ये बेहद मुश्किल स्थिति है, क्योंकि हम लाभ कमाने वाली एकेडमी नहीं हैं. हमारी एकेडमियों का लक्ष्य ग्रासरूट लेवल पर खेल का आधार बढ़ाना है. अब तक हम किसी तरह से कामयाब रहे हैं, हमने अपनी बचत में से कर्मचारियों के वेतन का भुगतान किया है. हमने अपनी सभी एकेडमियों को बंद करके सरकार के सभी नियमों का पालन किया है और सभी कर्मचारियों को घर वापस भेज दिया है. एकेडमी के कोचों और कर्मचारियों के परिवारों की देखभाल के लिए सभी उपाय सुनिश्चित किए जा रहे हैं. हम अपनी शूटिंग रेंजों के मालिकों से किराये का भुगतान टालने का आग्रह किया है और हम वो सब करेंगे, जो हम एकेडमियों को बरकरार रखने के लिए कर सकते हैं.

DSD: सरकार के पास पूरे भारत मे ये 'खेलो इंडिया' एकेडमियां हैं. इनमें ज्यादातर निजी एकेडमियां हैं, जो खेल मंत्रालय से संबद्ध हैं. क्या मंत्रालय को संघर्ष कर रहीं एकेडमियों की मदद करनी चाहिए.

GN: मेरे विचार से हमें समझना होगा कि विश्व इस समय एक असली संकट से गुजर रहा है और खेल प्राथमिकताओं में नहीं है. मेरे हिसाब से खेल के लिए वापसी करने में कुछ समय लगेगा. सभी खेल निश्चित तौर पर बेहद प्रभावित होंगे. जब लॉकडाउन खत्म होगा, तो सरकार को देखना चाहिए कि किन तरीकों से वह उन एकेडमियों की वित्तीय मदद  कर सकती है, जो हमारे खेल के इकोसिस्टम में योगदान कर रही  हैं.

DSD: आपके खेल पर भी नजर डालते हैं, जो सबकुछ बंद होने से थमा हुआ है. आप 4 बार के ओलंपियन हैं. कुछ को छोड़ दें, तो प्रोविजनल भारतीय ओलंपिक टीम में 11 लोग पहली बार भाग लेने जा रहे हैं. आप उन्हें कैसे सही राह पर रखेंगे ?

GN: मेरे विचार में इन निशानेबाजों के लिए उनके कोचों ने ट्रेनिंग शेड्यूल बहुत अच्छी तरह तैयार किया है. अब भारतीय निशानेबाजी ढांचे में बेहद जानकारी और ज्ञान मौजूद है, कुछ साल पहले ऐसा नहीं था. मुझे लगता है कि उनके (युवा निशानेबाजों के) मेंटर उनका अच्छी तरह से मार्गदर्शन करेंगे और उन्हें खुद को व्यस्त रखने के तरीकों का पता लगाने में मदद करेंगे. एक एथलीट के परिभाषित गुणों में से एक यह भी है कि चाहे कोई भी हालात हो, वह हमेशा सकारात्मक रहता है. आपको अपने जीवन के उतार-चढ़ाव से सीखने में सक्षम होना होगा. एथलीट अपने करियर में कठिनाइयों से गुजरने के लिए बाध्य होते हैं और जीतने में सक्षम होना केवल एथलीट के सकारात्मक रहने पर ही संभव है.

DSD: आपकी पीढ़ी बिल्कुल अलग थी, क्योंकि भारतीय शूटिंग के विकास और नेचुरल प्रोसेस ने आप लोगों को मजबूत बना दिया था, लेकिन इस युवा पीढ़ी ने केवल सफलता देखी है और उन्हें सर्वश्रेष्ठ सुविधाएं मिली हैं, हम यह कैसे सुनिश्चित करते हैं कि वे मानसिक रूप से केंद्रित रहें और अपने स्किल्स को शार्प बनाए रखें?

GN: घर पर कई तरह की ड्रिल करना संभव है, जो आपको खेल में बनाए रख सकती हैं. निश्चित रूप से रेंज में निशानेबाजी करने का कोई विकल्प नहीं है, लेकिन विजुअलाइजेशन और ड्राई प्रैक्टिस आदि कुछ ऐसी चीजें हैं, जो आपको अपने स्किल से जोड़े रखने में मदद कर सकती हैं. ट्रेनिंग के बिना आपका पूरी तरह बेस्ट हो पाना असंभव है. लेकिन आपके खेल के अन्य पहलुओं पर बहुत काम किया जा सकता है, जिसके लिए शूटिंग रेंज तक जाने की आवश्यकता नहीं है. युवा पीढ़ी को ये बड़ा फायदा है कि उन पर कोई दबाव नहीं है. वे डर या तनाव को नहीं जानते हैं, उन्होंने पिछले कुछ वर्षों में कुछ बेहतरीन रिजल्ट हासिल किए हैं और वे उस पर बढ़ना चाहते हैं. इसलिए वे अपने कंधों (उपलब्धियों को) को देखने के बजाय आगे की ओर देख रहे हैं. इस पीढ़ी की मानसिकता अलग है, महज भागीदारी या ओलंपिक में कांस्य पदक, उनके लिए पर्याप्त नहीं है. वे एक ऐसे स्तर पर पहुंचना चाहते हैं, जहां वे अपने देश के लिए कई स्वर्ण पदक जीत सकें.
कुछ समय पहले तक, हम केवल ओलंपिक में भागीदारी करके ही खुश हो जाते थे, लेकिन इनके मामले में निश्चित तौर पर ऐसा नहीं है. मेरा यकीन है कि ये आराम युवा भारतीय निशानेबाजों के प्रदर्शन को ज्यादा प्रभावित नहीं करेगा और वे 2021 ओलंपिक में पदक के लिए प्रतिस्पर्द्धा करेंगे.

DSD: गगन उनके बारे में क्या कहेंगे, जो अपने इवेंट्स की लिमिट के कारण ट्रेनिंग नहीं कर पार रहे हैं. जैसे 50 मीटर इवेंट्स में संजीव राजपूत और युवा ऐश्वर्या तोमर, स्कीट बॉय अंगद बाजवा और मेराज खान. उनको उचित आउटडोर फंक्शनल रेंज की जरूरत है और ऐसा नहीं हो रहा है.

GN: हां, यह चिंता का कारण है. शॉटगन के इवेंट्स सबसे ज्यादा प्रभावित हैं, क्योंकि उनके लिए घर के अंदर ट्रेनिंग करना असंभव है. राइफल इवेंट्स में सिम्युलेटर का उपयोग किया जा सकता है, जो लगभग वास्तविक ट्रेनिंग के ही समान है. मुझे उम्मीद है कि शॉटगन शूटर जल्द से जल्द रेंज में वापस आ जाएंगे.

DSD: इस बात के लिए फिजिबिल्टी स्टडी हो रही है कि ट्रेनिंग को कैसे चालू किया जाए. क्वारंटीन कैंपों पर बातचीत हो रही है. लेकिन फिलहाल निशानेबाज पूरे देश में फैले हुए हैं और यात्रा शायद सुरक्षित न हो. आप क्या सुझाव देंगे?

GN: मेरा मानना है कि सभी भारतीय निशानेबाजों को एक शिविर में एक साथ लाना बड़ी चुनौती होगी. मौजूदा संकट में यह स्वास्थ्य और सुरक्षा के लिए भी खतरा होगा. मेरा सुझाव है कि निशानेबाज अपने निजी प्रशिक्षकों के साथ ट्रेनिंग जारी रखें और सुरक्षित हालात में रहें. वे इस तरह से आइसोलेटिड हैं और मुझे नहीं लगता कि कोई अन्य जोखिम लेना चाहिए. उनके घरों के करीब की शूटिंग रेंज का एक्सेस देने की संभावनाओं को देखा जा सकता है, लेकिन मेरा मानना है कि खेल प्रशासक अपने दम पर ये निर्णय लेने में सक्षम हैं.

DSD: इस इंटरव्यू सीरीज के दौरान मैंने जिन कुछ खिलाड़ियों से बात की है, उनका सुझाव है कि मानसिक रूप से इन महीनों को बट्टे खाते में डाल देना चाहिए और इसे ऑफ-सीजन के रूप में मान लेना चाहिए. यह कहना आसान है, करना नहीं, क्योंकि अपनी फॉर्म के बारे में, ओलंपिक कोटा बरकरार रखने के बारे में चिंता होती ही है.

GN: दिग्विजय जैसा कि आप जानते हैं, शूटिंग में हमारे पास कोई वास्तविक आफ सीजन नहीं है, इसलिए मेरा मानना है कि यह इन निशानेबाजों के लिए एक वेलकम ब्रेक है. इस हिसाब से मुझे यकीन है कि सभी निशानेबाजों ने खुद पर नियंत्रण रखने के तरीके तलाश लिए होंगे. शूटिंग कैलेंडर के बारे में निशानेबाजों का चिंतित होना स्वाभाविक है, क्योंकि हालात स्पष्ट नहीं है, लेकिन यह उनके नियंत्रण से बाहर है. मैं उन्हें सलाह दूंगा कि वे अपने खेल के कुछ पहलुओं पर काम करते रहें और उन चीजों पर ध्यान न दें, जो उनके नियंत्रण से बाहर हैं.

DSD: निशानेबाजी में आपके खेलरत्न पुरस्कार विजेता साथी मानवजीत संधू का कहना है कि उन्हें इस बात का मलाल है कि इंटरनेशनल कैलेंडर के साथ ही पूरा साल प्रतिस्पर्द्धा में कमी रहने वाली है. अब शुक्र है कि हमारे पास राइफल और पिस्टल में शानदार बेंच स्ट्रेंथ है और आपकी पैरेंट बॉडी एनआरएआई को शायद सभी को तैयार रखने के लिए एक मजबूत घरेलू कैलेंडर शेड्यूल करने की जरूरत है.

GN: मुझे लगता है कि लॉजिस्टिक चैलेंज के कारण एक बड़ी घरेलू प्रतियोगिता का आयोजन करना बहुत मुश्किल होगा. लेकिन ओलंपिक की कतार में खड़े लगभग 20 निशानेबाजों को शार्प बनाए रखने के लिए टूर्नामेंट की व्यवस्था की जा सकती है. लेकिन यह टूर्नामेंट भी तभी संभव होगा, जब लॉकडाउन प्रतिबंधों में ढील दी जाएगी. इस समय हर चीज को लेकर बहुत अनिश्चितता है. यहां तक कि जब हम अपने सामान्य जीवन में लौटेंगे, तो यह एक 'न्यू नार्मल' होगा. अब हम जानते हैं कि यात्रा किस हद तक चालू होगी, इसलिए घरेलू प्रतियोगिताएं आयोजित करना भी एक चुनौती हो सकती है. मैं कहूंगा कि निशानेबाजों के लिए एक सुरक्षित और सुरक्षित माहौल में प्रशिक्षण जारी रखने और सकारात्मक दृष्टिकोण बनाए रखना ही सबसे अच्छा तरीका होगा.

DSD: इसके अलावा, हमारे पास ओलंपिक कोटा हासिल करने वाले बेहद युवा निशानेबाजों का समूह है. उनमें से अधिकांश ने अपने करियर में ऐसे ब्रेक के बारे में कभी नहीं जाना है. आप भी एक मेंटर हैं. एलावेनिल वलारिवन (गगन की ट्रेनी) एयर राइफल में वर्ल्ड नंबर वन है. आप उसे क्या बता रहे हैं?

GN: हमें समझना चाहिए कि ओलंपिक में क्वालिफाई करना प्रोसेस में महज एक स्टेप है. लेकिन हमें यह महसूस करना चाहिए कि ओलंपिक के लिए हमारा दृष्टिकोण केवल इवेंट के स्तर के कारण नहीं बदलना चाहिए. इससे पहले निशानेबाज ओलंपिक के लिए क्वालीफाई करने के बाद अपने प्रशिक्षण और कार्यक्रम में बहुत ज्यादा बदलाव करते थे. लेकिन इस पीढ़ी को ऐसा करने की आवश्यकता नहीं है, क्योंकि ओलंपिक के लिए क्वालिफाई करने से पहले ही उनके पास सभी सुविधाएं उपलब्ध हैं. एक निशानेबाज को किसी भी अन्य इवेंट की तरह ही ओलंपिक में जाना चाहिए और अपना बेस्ट प्रदर्शन करना चाहिए. उन्हें एक सामान्य दिनचर्या का पालन करना चाहिए, जिसमें परिवार को भी समय दिया जाता है और यही इलावेनिल इस समय कर रही हैं. वो अपने माता-पिता की देखभाल कर रही है और घर पर अच्छा समय बिताने के इस मौके का भरपूर उपयोग कर रही है. वह अपनी कुछ कमजोरियों और गलतियों पर काम कर रही है, जो निश्चित रूप से लंबे समय में उसकी मदद करेंगे. वह अपने स्कैट ट्रेनिंग में नियमित हैं और मैं उसके स्कोर पर नजर रखता हूं. हम कुछ दिनों में एक बार जूम कॉल के माध्यम से संपर्क करते हैं और वह सकारात्मक मानसिकता रख रही है.

DSD: गगन क्या ये वह समय है, जहां उपकरण आदि में परिवर्तन किया जा सकता है. ओलंपिक तक बहुत सारे लोग छेड़छाड़ बंद कर देते हैं, लेकिन क्या इससे आपको मौका नहीं मिलता है?

GN: एलावेनिल के मामले में देखें तो इस समय उसके उपकरण बदलना सही नहीं होगा. हम ये शायद तब देख सकते हैं, जब हम मिलेंगे ताकि हम दोनों के बीच इसे लेकर बेहतर संवाद हो सकता है. आम तौर पर, हमें समय-समय पर नए उपकरणों की आवश्यकता होती है और शूटिंग कैलेंडर के कारण हमें अक्सर इनका आदी होने का समय नहीं मिलता है. हमें नई तकनीकों के अनुकूल बनने का बहुत कम समय मिलता है, इसलिए इसे उचित तरीके से मैनेज करने में सक्षम होना बड़ी चुनौती है.

DSD: गगन ओलंपिक टलने के साथ ही सभी मौजूदा तैयारियां बेकार हो गई हैं. यदि मैं कहूं कि अनिश्चिचता के कारण ये अज्ञात में यात्रा जैसा होगा तो क्या आप इससे सहमत होंगे. हमारे पास अगले साल प्रतियोगिताएं हो सकती हैं और नहीं भी हो सकती हैं. यह फॉर्मूला-1 में उस अंतिम क्वालीफाइंग शूटआउट की तरह हो सकता है, जहां इसे पूरा करने की दौड़ होती है.

GN: मैं यह नहीं कहूंगा कि वर्तमान संकट ओलंपिक खेलों के महत्व को कम करेगा, क्योंकि आखिरकार यह चार साल में एक बार आता है. ओलंपिक में प्रदर्शन करने के लिए दबाव हमेशा रहेगा, क्योंकि यह खेल का शिखर है. वर्तमान में मैं निशानेबाजों को अगले साल होने वाले ओलंपिक को पूरी तरह से अनदेखा कर शॉर्ट टर्म लक्ष्यों पर काम करने की सलाह दूंगा.

DSD: अगर अगले साल जनवरी या फरवरी में कोई शूटिंग कैलेंडर तैयार नहीं होता है, तो अपने अनुभव के हिसाब से बताइए कि हम कैसे अनुकूलन कर सकते हैं, खेल के लिए नया दृष्टिकोण क्या होना चाहिए?

GN: मुझे यकीन है कि ऐसी स्थिति पैदा नहीं होगी. हम जनवरी या फरवरी 2021 तक शूटिंग चालू करने जा रहे हैं. यूरोप में बहुत सारी रेंज पहले ही खुल चुकी हैं और निशानेबाजों ने ट्रेनिंग शुरू कर दी है. जब दृष्टिकोण की बात आती है, तो बहुत से निशानेबाजों ने अपनी घड़ियों पर रिसेट बटन दबा दिया है और अगले साल के इवेंट्स की तैयारी चालू कर दी है. आदर्श स्थिति ये होगी कि 2020 में रद्द होने वाले सभी इवेंट्स को 2021 में उन्हीं महीनों में आयोजित करना चाहिए ताकि एक निशानेबाज की योजना प्रभावित न हो.

DSD: व्यक्तिगत रूप से आपको लॉकडाउन ने कैसे रिफ्रेश किया है... आपने अपने खेल में ओलंपिक, विश्व चैंपियनशिप, विश्व कप फाइनल, विश्व कप, एशियाड और सीडब्ल्यूजी, पदकों का पूरा सेट जीत है. एक और पदक के लिए आप तैयार हैं?

GN: मैं वास्तव में कोरोनो वायरस संकट से पहले खेल से छुट्टी ले रहा था, ताकि मैं अपने माता-पिता के साथ कुछ समय बिता सकूं. मैंने खेल में वापस आने पर विचार किया है, लेकिन मैं नंबर बनाने के लिए भाग नहीं लेना चाहता. मेरे निशानेबाजी में अंक इतने खराब नहीं हैं और मुझे लगता है कि मैं अब भी उच्चतम स्तर पर प्रतिस्पर्धा कर सकता हूं, लेकिन इस पर निर्णय लेना जल्दबाजी होगी. फिलहाल जीवन में मेरी प्राथमिकताएं अलग हैं, इसलिए मैं उन चीजों पर ध्यान केंद्रित कर रहा हूं. लेकिन मैंने कुछ भी खारिज नहीं किया है, उम्मीद है कि हम जल्द ही इस संकट से निकल आएंगे और फिर मैं एक ठोस निर्णय लूंगा.

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