India vs West Indies 2017 : खिलाड़ियों के साथ बदला वेस्ट इंडीज की पिचों का मिजाज
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India vs West Indies 2017 : खिलाड़ियों के साथ बदला वेस्ट इंडीज की पिचों का मिजाज

भारत के खिलाफ 23 जून से शुरू होने वाली पांच वनडे मैचों की सीरीज के लिए वेस्ट इंडीज के दौरे पर जा रही है. ऐसे में टीम इंडिया के खिलाड़ियों के लिए सबसे अहम होंगी वेस्ट इंडीज की पिचें. तो आइए एक नजर डालते हैं वेस्ट इंडीज की पिचों पर.  

स्पिनर्स के लिए फायदेमंद होंगी वेस्ट इंडीज की पिचें? (File photo)

नई दिल्ली : भारत के खिलाफ 23 जून से शुरू होने वाली पांच वनडे मैचों की सीरीज के लिए वेस्ट इंडीज के दौरे पर जा रही है. ऐसे में टीम इंडिया के खिलाड़ियों के लिए सबसे अहम होंगी वेस्ट इंडीज की पिचें. तो आइए एक नजर डालते हैं वेस्ट इंडीज की पिचों पर.  

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एक समय था वेस्ट इंडीज में तेज गेंदबाजों के अनुकूल पिचें हुआ करती थीं. वेस्ट इंडीज के तेज गेंदबाजों को इन पिचों पर खेलना असंभव सा होता था. लेकिन वेस्ट इंडीज क्रिकेट के गिरते प्रदर्शन के साथ-साथ पिचों की हालत भी अब बदल गई है. अब न तो इन पिचों में वह तेजी रही और न ही आक्रामकता. बल्कि अब ये पिचें स्पिनर्स को मदद करने लगी हैं. 

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स्पिनर्स के अनुकूल बन गई हैं वेस्ट इंडीज की पिचें 

हाल ही में अफगानिस्तान के वेस्ट इंडीज दौर पर भी यह बात साफ तौर पर देखी गई. एक वन डे मैच में अफगानिस्तान के स्पिनर राशिद खान ने 18 रनों पर 7 विकेट लेकर यह दिखाया कि वेस्ट इंडीज के बल्लेबाजों के लिए स्पिनर्स को खेलना आज भी कठिन है. इतना ही नहीं अब यहां की पिचें स्निपर्स को मदद करती हैं.

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2016 में जब भारतीय टीम ने वेस्ट इंडीज का दौरा किया था, तब भी उन्हें स्लो पिचें मिली थीं, जहां अमित मिश्रा ने शानदार गेंदबाजी की थी. लेकिन वेस्ट इंडीज में मौसम ठंडा रहता है और तेज हवाएं भी चलती हैं इसलिए तेज गेंदबाजों को भी यहां पिच से काफी मदद मिलती है. बुमराह ने वेस्ट इंडीज के 2016 के दौरे पर अच्छी गेंदबाजी की थी. 

दिलचस्प बात है कि पिछले कुछ सालों में क्रिकेट केवल बल्लेबाजों का खेल बनता गया है. ऑस्ट्रेलिया, दक्षिण अफ्रीका और इंग्लैंड तक में स्लो ट्रेक बनाए जा रहे हैं जिन पर अधिक रन बन सकें और दर्शक बल्लेबाजी का आनंद उठा सके. 

हाल ही में चैंपियंस ट्रॉफी के मैचों में भी काफी रन बनते दिखाई दिए. बेशक वहां भुवनेश्वर कुमार, उमेश यादव, जसप्रीत बुमराह ने अच्छी गेंदबाजी की. वेस्ट इंडीज में भी यही ट्रेंड देखने को मिल सकता है. 

बुमराह और भुवनेश्वर का फिर चलेगा जादू 

बुमराह और भुवनेश्वर के साथ साथ आर अश्विन भी विकेट लेने में सक्षम होंगे. और वही बल्लेबाज अच्छा परफॉर्म कर पाएगा जो तकनीकी रूप से ज्यादा सक्षम है. भारत इस मामले में भी वेस्ट इंडीज से कहीं आगे है. लेकिन वेस्ट इंडीज में ग्राउंड बहुत बड़े होते हैं. इसलिए दो या तीन रन दौड़ कर बनाना कठिन होता है. छक्के भी वही बल्लेबाज मार पाएगा जो लंबे हिट लगा सकता है, अन्यथा उसके बाउंड्री लाइन पर पकड़े जाने की अधिक संभावना रहेगी.   

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