'गोल्डन गर्ल' मनु भाकर ने जर्मनी में लहराया तिरंगा, वर्ल्ड रिकॉर्ड के साथ जीता गोल्ड
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'गोल्डन गर्ल' मनु भाकर ने जर्मनी में लहराया तिरंगा, वर्ल्ड रिकॉर्ड के साथ जीता गोल्ड

भारत प्रतियोगिता में अब तक नौ स्वर्ण, एक रजत और सात कांस्य पदक जीत चुका है. 

मनु भाकर ने एक और स्वर्ण जीता, अनीश के हाथ लगा कांस्य (PIC : Twitter)

नई दिल्ली : देश की नई 'गोल्डन गर्ल' बन चुकी 16 वर्षीय मनु भाकर अपने शानदार प्रदर्शन से हर दिन एक नया इतिहास रच रही हैं. 'पहलवानों की धरती' हरियाणा से आने वाली भारत की युवा निशानेबाज मनु भाकर ने आईएसएसएफ जूनियर वर्ल्ड कप में विश्व रिकॉर्ड स्थापित करते हुए स्वर्ण पदक पर कब्जा किया जबकि अनीश भानवाला ने कांस्य अपने नाम किया. इसके साथ टूर्नामेंट में भारत का वर्चस्व जारी रहा. 16 वर्षीय मनु ने 10 मीटर एयर पिस्टल स्पर्धा में 242.5 का स्कोर हासिल कर स्वर्ण पदक जीता.

  1. भारत के कुल पदकों की संख्या 17 पहुंची 
  2. मनु भाकर ने बनाया वर्ल्ड रिकॉर्ड
  3. टूर्नामेंट में भारत का वर्चस्व जारी

जबकि अनीश ने पुरूषों की 25 मीटर रेपिड फायर पिस्टल में तीसरा स्थान हासिल किया. मनु ने आईएसएसएफ प्रतियोगिता में इस साल सातवां व्यक्तिगत स्वर्ण पदक जीता है और यह तीसरा स्वर्ण पदक है जो उन्होंने विश्व रिकॉर्ड बनाते हुए हासिल किया. 

अनीश 25 मीटर रैपिड फायर पिस्टल स्पर्धा में तीसरे पायदान पर रहे. इससे पहले, मनु ने महिमा तुरी अग्रवाल और देवांशी राणा के साथ मिलकर 1694 अंकों के साथ टीम स्पर्धा में कांस्य पदक हासिल कि किया. राष्ट्रमंडल खेलों के मौजूदा विजेता अनीश का इस वर्ष का यह चौथा अंतर्राष्ट्रीय पदक है. 

आईएसएसएफ जूनियर वर्ल्ड कप में बुधवार को मिले दो पदक के साथ इस टूर्नामेंट में भारत के कुल पदकों की संख्या 17 पहुंच गई है. भारत प्रतियोगिता में अब तक नौ स्वर्ण, एक रजत और सात कांस्य पदक जीत चुका है. 

बता दें कि 10 मीटर एयर पिस्टल प्रतियोगिता में मनु भाकर ने गोल्ड पर निशाना साधते हुए कॉमनवेल्थ गेम्स में भी एक नया रिकॉर्ड अपने नाम किया था. मनु भाकर हरियाणा में झज्जर के गोरिया गांव की रहने वाली हैं. मनु भाकर नेशनल शूटिंग चैंपियनशिप में अब तक कई गोल्ड मेडल जीत चुकी हैं. मनु ने कई खेलों पर हाथ आजमाने के बाद 2016 में शूटिंग करने का फैसला किया था. लाइसेंसी पिस्टल के साथ पहली बार में ही स्कूल में जब उसने एक इवेंट में हिस्सा लिया तो निशाना इतना सटीक लगाया कि स्कूल के टीचर दंग रह गए. उसके बाद थोड़ी प्रैक्टिस और ट्रेनिंग के बाद जगह-जगह आयोजित प्रतियोगिताओं में हिस्सा लेने का सिलसिला शुरू हुआ. 

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