मुंबई (अंकुर त्यागी): भारत में विश्वनाथन आनंद के आने के बाद से शतरंज में बहुत से नई प्रतिभाएं आई हैं. बहुत से कम उम्र में ही शतरंज में महारत हासिल करने लगे हैं. ऐसे में एक ऐसा नाम सामना आया है जिसने महज 7 साल उम्र में ही शतरंज में अपने बेहतरीन हुनर का परिचय दिया है. हम बात कर रहे है मुंबई में रहने वाले जयवर्धन राज की. अभी हाल ही में जयवर्धन ने वेस्टर्न एशियन चैस टूर्नामेंट में 2 सिल्वर और 1 ब्रॉन्ज मेडल हासिल किया है.
मुंबई के जुहू इलाके में रहने वाले जयवर्धन अभी सेकंड स्टैण्डर्ड में पढ़ रहे हैं. जय ने 5 साल की उम्र में पहली बार शतरंज का खेल खेला और उसके बाद यह खेल उनका शौक बन गया. धीरे धीरे वे लोकल टूर्नामेंट्स मे ना केवल हिस्सा लेने लगे और लगातार जीतने भी लगे. जीत के इसी क्रम ने उनके इस शौक को उनका जूनून बना दिया. जय ने द एशियन स्कूल (यू) रैपिड गेम्स में गोल्ड जीता, उसके बाद महाराष्ट्र चेस टूर्नामेंट की चारों केटेगरी (क्लासिकल, रैपिड, ब्लिट्ज, और स्कूल) में गोल्ड जीता, एमएसएसए यू-7 श्रेणी में गोल्ड और राष्ट्रीय शतरंच चैंपियनशिप में सिल्वर जीता.
दुनिया भर में रोशन हो गया है नाम
जिस जीत ने जयवर्धन का डंका पूरी दुनिया में बजाया है वे अंडर 8 केटेगरी में उज्बेकिस्तान में खेले गए वेस्टर्न एशियाई कन्ट्रीज टूर्नामेंट. इस टूर्नामेंट में जयवर्धन ने तीन केटेगरी (रैपिड, ब्लिट्ज, और स्टैंडर्ड) में 2 सिल्वर और 1 ब्रॉन्ज मेडल हासिल किया है. जयवर्धन ने हमें बताया की वे 7 से 8 घंटे एक दिन में शतरंज खेलते है, और इसमें उन्हें कोई बोरियत नहीं होती है.
जयवर्धन की मां अनुभा राज ने हमें बताया की उसकी इस प्रतिभा को देखते हुए ही और उसके इंटरनेशनल रेटिंग 1382 के चलते ही अंडर 7 कैटेगरी में जयवर्धन दुनिया में 20वें नंबर पर, एशिया में 8वीं पोजीशन पर और भारत में पहले नंबर पर आए हैं. इस प्रदर्शन की वजह से उन्हें वर्ल्ड चेस फेडरेशन ने कैंडिडेट मास्टर के टाइटल से नवाज़ा है. अनुभा राज के मुताबिक जयवर्धन को सोते जागते सिर्फ और सिर्फ शतरंज ही खेतना है. हालाकि वे अपनी पढ़ाई पर भी पूरा ध्यान रखते हैं. शतरंज के अलावा जयवर्धन को साइकिल चलने और फुटबॉल खेलने का शौक है.
सवाल यह है की क्या अभी से जयवर्धन को लेकर ये उम्मीद बांधी जानी चाहिए कि भारत के लिए अगला विश्वनाथन आनद तैयार हो रहा है. उससे पहले आंकड़ों का आकलन किया जाना ज़रूरी है. आनंद ने अपना करियर 6 साल की उम्र में शुरू किया था जबकि जय ने 5 साल की उम्र में किया है. 14 साल की उम्र में आनंद FIDE मास्टर बने थे और 18 साल की उम्र में वे भारत के पहले ग्रैंड मास्टर बने थे जबकि अभी तक के इतिहास में भारत का सबसे यंग ग्रैंड मास्टर आर प्रागनानांधा हैं जो 12 साल 10 महीने की उम्र में जून 2018 में ही ग्रैंड मास्टर बने हैं. वहीं जयवर्धन की उम्र अभी महज साढ़े सात साल ही है. उनका लगातार बेहतरीन खेल उन्हें इस सीरीज का अगला ग्रैंड मास्टर बनाने की ओर शुरुआती कदम माना जा सकता है.