भारत की नजरें 15 साल बाद जूनियर हॉकी विश्व कप जीतने पर
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भारत की नजरें 15 साल बाद जूनियर हॉकी विश्व कप जीतने पर

अपनी सरजमीं पर खेल रही भारतीय हॉकी टीम कल कनाडा के खिलाफ 11वें एफआईएच जूनियर विश्व कप में अपने अभियान का आगाज करेगी तो उसका इरादा 15 साल से खिताब नहीं जीत पाने का कलंक धोने का होगा। भारत ने एकमात्र जूनियर विश्व कप 2001 में ऑस्ट्रेलिया के होबर्ट में जीता था। उस टीम में गगन अजीत सिंह, दीपक ठाकुर, जुगराज सिंह, प्रभजोत सिंह जैसे धुरंधर खिलाड़ी थे जिन्होंने सीनियर टीम के साथ भी उम्दा प्रदर्शन किया।

फोटो सौजन्य: हॉकी इंडिया

लखनऊ: अपनी सरजमीं पर खेल रही भारतीय हॉकी टीम कल कनाडा के खिलाफ 11वें एफआईएच जूनियर विश्व कप में अपने अभियान का आगाज करेगी तो उसका इरादा 15 साल से खिताब नहीं जीत पाने का कलंक धोने का होगा। भारत ने एकमात्र जूनियर विश्व कप 2001 में ऑस्ट्रेलिया के होबर्ट में जीता था। उस टीम में गगन अजीत सिंह, दीपक ठाकुर, जुगराज सिंह, प्रभजोत सिंह जैसे धुरंधर खिलाड़ी थे जिन्होंने सीनियर टीम के साथ भी उम्दा प्रदर्शन किया।

जर्मनी के कोच वालेंटिन एल्टेनबर्ग पहले भी भारत को खिताब के प्रबल दावेदारों में बता चुके हैं। भारत दूसरी बार जूनियर हॉकी विश्व कप की मेजबानी कर रहा है और लगातार दूसरी बार यह टूर्नामेंट भारत में हो रहा है। जर्मनी ने 2013 में नयी दिल्ली में यह खिताब जीता था जब उसने फाइनल में फ्रांस को 5-2 से मात दी थी।

इस बार 16 टीमों को 4-4 के चार समूहों में बांटा गया है। भारत पूल डी में कनाडा, इंग्लैंड और दक्षिण अफ्रीका के साथ है। भारतीय टीम अगर ग्रुप चरण में शीर्ष दो में रहती है तो पूल सी की शीर्ष दो टीमों में से एक से भिड़ना होगा। पूल सी में जर्मनी, न्यूजीलैंड और स्पेन जैसी टीमें हैं। भारत 1997 में जूनियर विश्व कप में उपविजेता रहा था।

इस बार भारतीय टीम में कप्तान हरजीत सिंह, स्ट्राइकर मनदीप सिंह, ड्रैग फ्लिकर हरमनप्रीत सिंह और गोलकीपर विकास दहिया जैसे दमदार खिलाड़ी हैं। कोच हरेंद्र सिंह की टीम ने अक्टूबर में वालेंशिया में चार देशों के आमंत्रण टूर्नामेंट में बेहतरीन प्रदर्शन किया था जहां उसने जर्मनी, बेल्जियम और मेजबान स्पेन जैसी टीमों को हराया था। डिफेंडर और ड्रैग फ्लिकर वरुण कुमार और प्रतिभाशाली स्ट्राइकर अरमान कुरैशी का प्रदर्शन अच्छा रहा जिन्होंने जर्मनी के खिलाफ फाइनल में 5-2 से मिली जीत में गोल दागे।

कोच हरेंद्र सिंह ने टीम के फाइनल तक पहुंचने का यकीन जताते हुए कहा, ‘हमारी टीम की तैयारी पुख्ता है। इस बार पोडियम फिनिश का यकीन है। जहां तक अपनी सरजमीं पर खेलने की बात है तो इसके फायदे भी हैं और नुकसान भी। मैंने खिलाड़ियों को सकारात्मक पहलुओं की ओर ही ध्यान देने के लिये कहा है।’ कनाडा के बाद भारत 10 दिसंबर को इंग्लैंड से खेलेगा जबकि 12 दिसंबर को दक्षिण अफ्रीका से सामना होगा।

नवाबों के शहर में पहली बार हो रहे अंतरराष्ट्रीय टूर्नामेंट में भारत को दर्शकों का अपार समर्थन मिलेगा। ऐन मौके पर हालांकि चिर प्रतिद्वंद्वी पाकिस्तान के बाहर होने से टूर्नामेंट की रौनक कुछ कम हुई है। एफआईएच ने यह कहकर पाकिस्तान को बाहर किया कि उसने वीजा के लिये देर से आवेदन दिया था और निर्धारित समय सीमा के भीतर औपचारिकतायें पूरी नहीं की। पाकिस्तान की जगह मलेशिया टूर्नामेंट में भाग ले रहा है।

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