कश्मीर के पत्थरबाजों को 'किक' मारना सिखाकर देश का 'हीरो' बना रही ये लड़की
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कश्मीर के पत्थरबाजों को 'किक' मारना सिखाकर देश का 'हीरो' बना रही ये लड़की

पिछले साल घाटी में युवा सुरक्षा बलों और पत्थर फेंकने वालों के बीच बढ़ रहे विवाद पर उबल रहा था. इन घटनाओं के बाद ही बुरहान वानी की हत्या हो गई थी. कुदसिया ने ने इस दौरान अपनी सिविल इंजीनियरिंग की पढ़ाई बीच में ही छोड़ दी, उसने निराश युवाओं को रास्ता दिखाने के विषय में सोचा. 

23 साल की कुदसिया अल्ताफ कश्मीर की फुटबॉल कोच हैं (PIC : Wanwun/Instagram)

नई दिल्ली : हजरत बल दरगाह पर शुक्रवार की भीड़ से कुछ ही दूर 23 साल की कुदसिया अल्ताफ कश्मीर यूनिवर्सिटी के हरे-भरे मैदान पर अपनी रेड कैप संभालती है. उसके पैरों में छह फुटबॉल पड़ी हैं और वह उनसे खेल रही है. वह मैदान पर ही खिलाड़ियों के नाम पुकारती है... हैदर, इलियास, फैजान....यहां आअे बेटा...थेड़ा गैप रखे...पहले वार्म अप करे फिर कम से कम पांच बार एक दूसरे के पास करे.... कुदसिया के लिए अब यह रूटीन बन गया है. वह बहुत नियमित है. वह सुबह 3.30 से 6.30 बजे तक बच्चों के फुटबाल सिखाती है. यह क्रम पिछले कुछ महीनों से चल रहा है. 

टाइम्स ऑफ इंडिया में छपी एक खबर के मुताबिक, पिछले साल घाटी में युवा सुरक्षा बलों और पत्थर फेंकने वालों के बीच बढ़ रहे विवाद पर उबल रहा था. इन घटनाओं के बाद ही बुरहान वानी की हत्या हो गई थी. कुदसिया ने ने इस दौरान अपनी सिविल इंजीनियरिंग की पढ़ाई बीच में ही छोड़ दी, उसने निराश युवाओं को रास्ता दिखाने के विषय में सोचा. 

कुदसिया ने पटियाला में अपना नाम नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ स्पोर्ट्स (एनआईएस) में अपना नाम पंजीकृत कराया, ताकि वह खुद फुटबॉल कोच का प्रशिक्षण ले सके. कुदसिया को फुटबॉल से प्रेम है और 2007 तक उसने बाकायदा फुटबॉल खेला है. हालांकि, उसे इस बात का अफसोस है कि वह कभी भारत का प्रतिनिधित्व नहीं कर पाई. वह केवल जिला स्तर तक ही खेली. लेकिन अब उसका सपना है कि उसके द्वारा प्रशिक्षित टीम अंतरराष्ट्रीय स्तर पर खेल सके. 

कुदसिया कहती हैं, मेरा सपना है कि ये सब लड़के अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भारत का प्रतिनिधित्व करें. मैं चाहती हूं कि कश्मीर का युवा बंदूकों, पत्थरों, नशे और स्मोकिंग से मुक्त हो सकें और इस बात की पूरी संभावना है कि ये अपने देश के लिए गौरव बनें. 

पिछले कुछ दिनों में लगभग तीन दर्जन पत्थर फेंकने वाले उसके पास आए हैं. बकौल कुदसिया, ये सभी बेहतर और सुधरे हुए लग रहे हैं. ये सभी लोग भारत के लिए अच्छा करना चाहते हैं. कुदसिया ने अपनी पढ़ाई जारी रखने के लिए इंटीरियर डिजाइनिंग की पढ़ाई शुरू कर दी है, लेकिन वह इस बात से बेहद रोमांचित हैं कि वह जम्मू कश्मीर स्पोर्ट्स काउंसिल की तरफ से फुटबॉल कोच के रूप में काम कर रही हैं.

नई खेल नीति के तहत मुख्यमंत्री महबूबा मुफ्ती ने कुदसिया के अंडर 14 और अंडर 17 के लड़कों और लड़कियों की फुटबॉल टीम का कोच बनाया है. इस साल अप्रैल से कुदसिया के अपने काम के लिए 5000 प्रति माह दिए जा रहे हैं. 

कुदसिया अलग-अलग खेलों के लिए रखे गए 198 कोचों में से एक है. फुटबॉल के अलावा एथलेटिक्स, हॉकी, वॉलीबॉल और बास्केटबॉल के लिए कोच रखे गए हैं. कश्मीर सरकार ने केंद्र सरकार के साथ इस सिलसिले में एक अनुबंध किया है. यह योजना प्रधानमंत्री के कश्मीर के दिए गए स्पेशल पैकेज-खेले इंडिया प्रोग्राम का हिस्सा है. 

एक लड़की होने के बावजूद कुदसिया नई चुनौतियों से लड़ने के लिए पूरी तरह तैयार है. वह हिजाब और टी शर्ट का विरेध करने वाले परंपरागत मुस्लमानों को भी ज्यादा तवज्जे नहीं देती. कुदसिया कहती हैं, मैं एक अनुशासित कोच हूं. मुझे खुशी है कि मेरे पिता ने मुझे पर्वतारोहण सिखाया और पूरी तरह सपोर्ट भी किया. मुझे जो जिम्मेदारी दी गई है, मैं उसे पूरा करूंगी. मैं इन युवा फुटबॉल खिलाड़ियों से अंग्रेजी या उर्दू में बात करूंगी. ये सब मेरी बहुत इज्जत करते हैं. जब ये स्थानीय स्तर पर अच्छा खेलते हैं तो इन्हें ईनाम मिलता है. यही मेरी सफलता है. 

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