भारत की टॉप महिला मुक्केबाज एआईबीए रैंकिंग में नंबर एक पर पहुंच गई हैं.
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नई दिल्ली: ‘मैग्नीफिशेंट मेरी’ के नाम से मशहूर भारतीय महिला मुक्केबाज एमसी मैरी कॉम पिछले साल छठे विश्व चैम्पियनशिप खिताब की बदौलत अंतरराष्ट्रीय मुक्केबाजी संघ (एआईबीए) की विश्व रैंकिंग में नंबर एक स्थान पर पहुंच गईं. मणिपुर की इस मुक्केबाज ने पिछले साल नवंबर में दिल्ली में हुई विश्व चैम्पियनशिप में इतिहास रचते हुए 48 किग्रा वर्ग का खिताब अपनी झोली में डाला था, जिससे वह टूर्नामेंट की सबसे सफल मुक्केबाज बन गई थीं. एआईबीए की अपडेट हुई रैंकिंग में मैरी कॉम ने अपने वजन वर्ग में 1700 अंक लेकर शीर्ष पर काबिज हैं.
मैरी कॉम को 2020 ओलंपिक का सपना पूरा करने के लिये 51 किग्रा में खेलना होगा क्योंकि 48 किग्रा को अभी तक खेलों के वजन वर्ग में शामिल नहीं किया गया है. तीन बच्चों की इस 36 साल की मुक्केबाज ने 2018 में शानदार प्रदर्शन किया था. उन्होंने विश्व चैम्पियनशिप के अलावा राष्ट्रमंडल खेलों और पोलैंड में एक टूर्नामेंट में पहला स्थान हासिल किया था. उन्होंने बुल्गारिया में प्रतिष्ठित स्ट्रैंड्जा मेमोरियल में रजत पदक प्राप्त किया था.
अन्य भारतीय महिला मुक्केबाजों का रहा यह हाल
अन्य भारतीयों में पिंकी जांगड़ा 51 किग्रा सूची में आठवें स्थान पर काबिज है. एशियाई रजत पदकधारी मनीषा माउन भी 54 किग्रा वर्ग में इसी स्थान पर हैं. विश्व चैम्पियनशिप में रजत पदकधारी सोनिया लाठेर 57 किग्रा में दूसरे स्थान पर हैं. विश्व चैम्पियनशिप की कांस्य पदकधारी सिमरनजीत कौर (64 किग्रा) हाल में राष्ट्रीय चैम्पियन बनीं. वे अपने वर्ग में चौथे स्थान पर हैं जबकि पूर्व विश्व चैम्पियन एल सरिता देवी 16वें स्थान पर हैं. इंडिया ओपन की स्वर्ण पदकधारी और विश्व चैम्पियनशिप की कांस्य पदक विजेता लवलीना बोरगोहेन 69 किग्रा वर्ग में पांचवें स्थान पर हैं. पुरूषों की रैंकिंग अपडेट नहीं हुई है.
शानदार साल रहा मैरी कॉम के लिए 2018
2018 मैरी कॉम के लिए शानदार रहा. इस साल मैरी ने उम्र की बाधा को पार करते हुए विश्व चैम्पियनशिप का खिताब अपना नाम किया 36 बरस की मैरी कॉम का यह विश्व चैम्पियनशिप में सातवां पदक था और वह टूर्नामेंट के दस सत्र के इतिहास में सबसे सफल मुक्केबाज बनी. उनका अगला लक्ष्य 2020 ओलंपिक में देश के लिए पदक जीतना है. इंडिया ओपन में स्वर्ण पदक के साथ साल की शुरूआत करने वाली मैरी कॉम ने साल का समापन (विश्व चैम्पियनशिप) भी इसी रंग के पदक के साथ किया. इसके बीच में उन्होंने बुल्गारिया में हुए यूरोपीय टूर्नामेंट में रजत पदक हासिल किया. मैरी कॉम बड़े टूर्नामेंटों में स्वर्ण पदक जीतने वाली इकलौती खिलाड़ी रही. टीम उनके बिना एशियाई खेलों के लिए जकार्ता गयी लेकिन उसे खाली हाथ लौटना पड़ा