अब दीपा करमाकर का लक्ष्य 2020 टोक्‍यो ओलंपिक में गोल्‍ड मेडल जीतना
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अब दीपा करमाकर का लक्ष्य 2020 टोक्‍यो ओलंपिक में गोल्‍ड मेडल जीतना

भारतीय जिम्नास्ट दीपा करमाकर रियो ओलंपिक में वॉल्ट फाइनल में कांस्य पदक से चूकने से निराश नहीं हैं और इसके बजाय उन्होंने तोक्यो में 2020 में होने वाले खेलों में स्वर्ण पदक जीतने को अपना लक्ष्य बनाया है। दीपा कल के अपने शानदार प्रयास से उत्साहित थी।

अब दीपा करमाकर का लक्ष्य 2020 टोक्‍यो ओलंपिक में गोल्‍ड मेडल जीतना

रियो डि जिनेरियो : भारतीय जिम्नास्ट दीपा करमाकर रियो ओलंपिक में वॉल्ट फाइनल में कांस्य पदक से चूकने से निराश नहीं हैं और इसके बजाय उन्होंने तोक्यो में 2020 में होने वाले खेलों में स्वर्ण पदक जीतने को अपना लक्ष्य बनाया है। दीपा कल के अपने शानदार प्रयास से उत्साहित थी।

उन्होंने बाद में कहा कि मैंने इस ओलंपिक से कभी पदक की उम्मीद नहीं की थी लेकिन चौथे स्थान पर आना शानदार है। मुक्केबाजी, कुश्ती में चौथे स्थान पर आने से ही आपको कांस्य पदक मिल जाता है लेकिन मुझे नहीं मिलेगा। मैं पदक के काफी करीब पहुंच गयी थी। चार साल बाद मेरा लक्ष्य स्वर्ण पदक होगा। उन्होंने कहा कि यह मेरे पहले ओलंपिक थे लेकिन मुझे निराश होने की जरूरत नहीं है। मैं तोक्यो 2020 में अपना सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन करूंगी। दीपा ने कहा कि मैं अपने प्रदर्शन से पूरी तरह संतुष्ट हूं। यह मेरा सर्वोच्च स्कोर है लेकिन पदक विजेताओं का प्रदर्शन मुझसे अच्छा था। यह मेरा दिन नहीं था। भाग्य मेरे साथ नहीं था जो मैं कुछ अंकों से पदक से चूक गयी। लेकिन कोई दिक्कत नहीं। मैंने अपने पहले ओलंपिक में चौथे स्थान पर रहने के बारे में कभी नहीं सोचा था।

उन्होंने कहा कि ईमानदारी से कहूं तो मैंने कभी पदक की उम्मीद नहीं की थी। मेरा पहला लक्ष्य दो वॉल्ट में अपना स्कोर बेहतर करना था और मैं इसमें सफल रही। मैंने जो कुछ सीखा था मैंने वह किया। जिन दो वॉल्ट में मैं प्रदर्शन करती हूं उनमें इससे बेहतर स्कोर नहीं बनाया जा सकता है। उन्होंने कहा कि यह प्रोडुनोवा में मेरा सर्वोच्च स्कोर है। इससे पहले मैंने 15.1 का स्कोर बनाया था। मैं अपनी वॉल्ट से काफी खुश हूं। मैंने अपने देश के लिये पदक जीतने के लिये अपनी तरफ से हरसंभव प्रयास किया था। दीपा ने कहा कि अपने निजी कोच बिश्वेश्वर नंदी की देखरेख में विदेशों में खास अनुभव हासिल नहीं करने के बावजूद यह बड़ी उपलब्धि है। इस चार फीट 11 इंच लंबी जिम्नास्ट ने कहा कि जिम्नास्टिक आसान नहीं होता है। हमारे पास विदेशी कोच नहीं है। मैं अपने कोच और साई के प्रयासों से यह हासिल कर पायी। हमने विदेशों में अ5यास नहीं किया। हमें तैयारियों के लिये केवल तीन महीने का समय मिला। पूर्व ओलंपिक चैंपियन के साथ मुकाबला करना और चौथे स्थान पर रहना अच्छा प्रदर्शन है।

दीपा के कोच नंदी ने कहा कि इस जिम्नास्ट की ‘लैंडिंग’ बेहतर हो सकती थी। उन्होंने कहा, ‘‘यदि वह अच्छी तरह से नीचे उतरकर खड़ी हो जाती तो फिर स्वर्ण पदक मिल जाता। पहला वॉल्ट हालांकि शानदार था।

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