पीवी सिंधू ने विश्व चैम्पियनशिप में हासिल किया सिल्वर मेडल, फाइनल में जापान की ओकुहारा से हारीं
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पीवी सिंधू ने विश्व चैम्पियनशिप में हासिल किया सिल्वर मेडल, फाइनल में जापान की ओकुहारा से हारीं

विश्व चैम्पियनशिप में यह सिंधू का तीसरा पदक है क्योंकि वह 2013 और 2014 में सेमीफाइनल में हारने के बाद दो बार कांस्य पदक जीत चुकी हैं.

विश्व बैडमिंटन चैम्पियनशिप में फाइनल के दौरान पीवी सिंधू और जापान की नोजोमी ओकुहारा. (TV Grab)

ग्लास्गो: ओलंपिक रजत पदक विजेता भारत की पीवी सिंधू को रविवार (27 अगस्त) को यहां विश्व बैडमिंटन चैंपियनशिप के महिला एकल फाइनल में जापान की नोजोमी ओकुहारा के खिलाफ रोमांच की पराकाष्ठा पर पहुंचे मैच में शिकस्त के साथ रजत पदक से संतोष करना पड़ा और साथ ही वह इस खेल में देश की पहली विश्व चैंपियन बनने से भी चूक गई. दुनिया की चौथे नंबर की भारतीय खिलाड़ी सिंधू को एक घंटा और 50 मिनट चले मुकाबले में दुनिया की 12वें नंबर की खिलाड़ी और ओलंपिक कांस्य पदक विजेता ओकुहारा के खिलाफ 19-21, 22-20, 20-22 से हार झेलनी पड़ी. ओकुहारा ने इससे पहले सेमीफाइन में भारत की ही एक अन्य दिग्गज खिलाड़ी साइना नेहवाल को हराया था. ओकुहारा जापान के लिए विश्व चैम्पियनशिप में स्वर्ण पदक जीतने वाली पहली महिला हैं.

सिंधू का ओकुहारा के खिलाफ पिछली छह भिड़ंत में फाइनल का रिकॉर्ड 3-3 से बराबरी का रहा था, जो कि इस मुकाबले के बाद 4-3 का हो गया है. यह विश्व चैम्पियनशिप में सिंधू का पहला फाइनल था जिससे यह उनका सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन भी है. विश्व चैम्पियनशिप में यह सिंधू का तीसरा और पहला रजत पदक है क्योंकि वह 2013 और 2014 में सेमीफाइनल में हारने के बाद दो बार कांस्य पदक जीत चुकी हैं. यह विश्व चैम्पियनशिप में भारत का सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन भी है क्योंकि पहली बार इसमें भारत ने दो पदक अपने नाम किए. सिंधु से पहले सायना ने शनिवार (26 अगस्त) को कांस्य पर कब्जा जमाया था. अगर सिंधु यह मैच जीत जातीं तों वह भारत को इस चैम्पियनशिप में पहला स्वर्ण दिलाने वाली खिलाड़ी बन जातीं. विश्व चैंपियनशिप में दो बार की कांस्य पदक विजेता सिंधू हालांकि अपने वादे पर खरा उतरते हुए इस बार अपने पदक के रंग को बदलने में सफल रही। वह हालांकि विश्व चैंपियनशिप में स्वर्ण पदक जीतने वाली पहली भारतीय नहीं बन पाई।

सिंधू के इस पदक के साथ भारत ने विश्व चैम्पियनशिप में अपने पदकों की संख्या 6 कर ली है, जिसमें दो रजत (सिंधू ने 2017 में, साइना ने 2015 में) और चार कांस्य पदक शामिल हैं. प्रकाश पादुकोण 1983 में पुरुष एकल में कांस्य पदक जीतने वाले पहले भारतीय थे जिसके बाद ज्वाला गुट्टा और अश्विनी पोनप्पा की भारतीय महिला युगल जोड़ी ने 2011 में कांस्य पदक अपने नाम किया था. इस जीत से सिंधू विश्व चैम्पियनिशप के फाइनल में पहुंचने वाली दूसरी भारतीय बन गयी हैं, इससे पहले जकार्ता में पिछले चरण में साइना ने यह उपलब्धि हासिल की थी. 

पहला गेम काफी रोमांचक रहा. ओकुहारा ने पहला अंक लिया, लेकिन सिंधु ने तुरंत बराबरी की. कुछ देर तक सिलसिला ऐसे ही चलता रहा और एक समय स्कोर 5-5 से बराबर था. सिंधु ने यहां से बढ़त बनाना शुरू की और पहले गेम के हाफ तक 11-5 से आगे निकल गईं, लेकिन ब्रेक के बाद ओकुहारा ने सिंधु पर दबाव बनाना शुरू किया और सिंधु ने गलतियां करनी शुरू कर दीं. ओकुहारा 14-11 से आगे हो गई थीं. हालांकि सिंधु ने हार नहीं मानी और स्कोर 14-14 से बराबर कर लिया. लेकिन ओकुहारा ने लगातार चार अंक लेकर एक बार फिर 18-14 की बढ़त ले ली. सिंधु ने स्कोर 19-19 से बराबर किया, लेकिन अपनी गलती से वह एक अंग गंवा बैठी और जापानी खिलाड़ी को बढ़त दे दी, जिसका फायदा उन्होंने उठाया और पहला गेम जीत ले गईं.

दूसरे गेम की शुरुआत में सिंधु हावी रहीं. उन्होंने 5-2 की बढ़त ले रखी थी. इस बढ़त को उन्होंने ब्रेक तक कायम रखा और 11-8 कर लिया. लेकिन एक बार फिर जापानी खिलाड़ी ने वापसी की और लगातार अंक लेकर एक समय स्कोर 17-18 कर लिया. सिंधु ने यहां से तीन लगातार अंक लिए और स्कोर 20-17 कर लिया. दूसरा गेम उनकी झोली में लग ही रहा था कि वह तीन लगातार शॉट्स नेट पर मार बैठीं और ओकुहारा ने 20-20 से बराबरी कर ली. सिंधु ने हालांकि गलती सुधारी और लगातर दो अंक लेकर 22-20 से गेम अपने नाम कर मैच को तीसरे गेम में पहुंचा दिया.

तीसरा गेम बेहद रोमांचक रहा. ओकुहारा 4-1 से आगे थीं. सिंधु ने हार नहीं मानी और बेहतरीन वापसी कर स्कोर 5-5 से बराबर कर लिया. यहां से दर्शकों के बेहतरीन खेल देखने को मिला. यहां से दोनों खिलाड़ियों के बीच एक-एक अंक के लिए कठिन मशक्कत शुरू हुई, जो 20-20 तक चली. यहां से ओकुहार ने सिंधु की गलती और थकान का फायदा उठाया और बाजी मार ले गईं.

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