5 विकेट लेने वाले भरत अरुण आखिर क्यों हैं 610 विकेट लेने वाले जहीर खान पर भारी?
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5 विकेट लेने वाले भरत अरुण आखिर क्यों हैं 610 विकेट लेने वाले जहीर खान पर भारी?

रवि शास्त्री के टीम इंडिया के हेड कोच बनते ही सौरव गांगुली और उनके बीच की कलह सामने आने लगी है. विराट कोहली और सचिन तेंदुलकर के समर्थन से शास्त्री कोच का पद पाने में तो सफल हो गए हैं, लेकिन गांगुली ने राहुल द्रविड़ को सहायक बल्लेबाजी कोच और जहीर खान को सहायक गेंदबाजी कोच बनाकर अपना दबदबा कायम रखना चाहा. 

रवि शास्त्री भरत अरुण को फुल टाइम गेंदबाजी कोच के रूप में चाहते हैं

नई दिल्ली : रवि शास्त्री के टीम इंडिया के हेड कोच बनते ही सौरव गांगुली और उनके बीच की कलह सामने आने लगी है. विराट कोहली और सचिन तेंदुलकर के समर्थन से शास्त्री कोच का पद पाने में तो सफल हो गए हैं, लेकिन गांगुली ने राहुल द्रविड़ को सहायक बल्लेबाजी कोच और जहीर खान को सहायक गेंदबाजी कोच बनाकर अपना दबदबा कायम रखना चाहा. 

पिछले साल कोच पद के लिए ठुकराए गए रवि शास्त्री और सौरव गांगुली के बीच शब्दों के तीखे तीर भी किसे से छिपे नहीं हैं और अब जहीर खान और राहुल द्रविड़ को सहायक कोच बनाकर इस झगड़े को फिर से हवा मिलने लगी है. 

खबर आ रही है कि रवि शास्त्री जहीर खान के चयन को लेकर खुश नहीं हैं. वे भरत अरुण को फुल टाइम गेंदबाजी कोच के रूप में चाहते हैं. इसलिए शास्त्री ने बीसीसीआई से इसकी शिकायत कर डाली. इस पर सचिन, सौरव और लक्ष्मण के रूप में तीन सदस्यीय सलाहकार समिति की अध्यक्षता कर रहे सौरव गांगुली ने भी सीओए को जवाब देते हुए कहा कि हमने राहुल द्रविड़ और जहीर खान का बल्लेबाजी और गेंदबाजी सलाहकार के रूप में चुनाव करने से पहले शास्त्री को लिखित और मौखिक दोनों ही तरीकों से बताया था.

रवि शास्त्री और भरत अरुण का नाता है खास :

- 1979 भारतीय अंडर-19 क्रिकेट टीम के जब रवि शास्त्री कप्तान थे. तब उसी टीम में गेंदबाज के तौर पर भरत अरुण खेल रहे थे. 

- अरुण इससे पहले 2014 में टीम इंडिया के गेंदबाजी कोच रह चुके हैं, और वह भी तब जब उस वक़्त रवि शास्त्री टीम डायरेक्टर थे.

- रवि शास्त्री के ही कहने पर ई श्रीनिवासन ने भरत अरुण को टीम का गेंदबाजी कोच बनाया था.

- जब तक रवि शास्त्री टीम इंडिया से मैनेजर और डायरेक्टर के तौर पर जुड़े रहे तब तक भरत अरुण भी टीम के साथ थे.

एक गेंदबाज के रूप में जहीर खान का भरत अरुण से ज्यादा अनुभव है. जहीर खान ने 200 एक दिवसीय मैच खेले हैं और 282 विकेट लिए हैं. जबकि अरुण ने सिर्फ चार एक दिवसीय मैच खेले हैं और एक विकेट लेने में कामयाब हुए हैं. भरत अरुण ने भारत के लिए 2 टेस्ट मैचों में 4 विकेट और 4 वनडे मैचों में सिर्फ 1 विकेट हासिल किए हैं. वहीं, जहीर खान का रिकॉर्ड देखें तो उन्होंने वनडे, टेस्ट और टी-20 में  कुल 610 विकेट हासिल किए है. जहीर ने वनडे में 282, टेस्ट में 311 और टी-20 में 17 विकेट हासिल किए है, जबकि अरुण के खाते में वनडे और टेस्ट मिलाकर सिर्फ पांच विकेट ही हैं. 

आंकड़े कहते हैं एक महान क्रिकेटर नहीं बन पाता सफल कोच 

एक महान खिलाड़ी एक अच्छा कोच भी साबित हो, ये जरूरी नहीं है. क्रिकेट जगत में ऐसे कई उदाहरण हैं, जब महान खिलाड़ी एक अच्छा कोच नहीं बन पाया और उसे कोच पद से इस्तीफा देना पड़ा या उसे हटा दिया गया. आइए एक नजर डालते हैं ऐसे ही खिलाड़ियों पर जिनके नाम महान रिकॉर्ड तो बने, लेकिन वे बेहतरीन कोच नहीं बन पाए.  

भारत को विश्वकप का ताज पहनाने वाले कपिल देव नहीं बन पाए सफल कोच 

जब कपिल देव को 1999 में कोच बनाया था तब यह उम्मीद की जा रही था कि कोच कपिल देव और सचिन तेंदुलकर की कप्तानी में टीम इंडिया अच्छा प्रदर्शन करेगी, लेकिन ऐसा नहीं हुआ, इस दौरान टीम इंडिया की प्रदर्शन काफी बुरा था. भारत-ऑस्ट्रेलिया से टेस्ट सीरीज हारा था. 12 साल के बाद ऐसा हुआ था जब भारत अपने घरेलू मैदान पर कोई सीरीज हारा था. 

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इस खराब प्रदर्शन की वजह से सचिन तेंदुलकर को कप्तानी छोड़नी पड़ी और फिर गांगुली की कप्तानी में भारत साउथ अफ्रीका के खिलाफ एकदिवसीय सीरीज जीता था. तब भी कोच कपिल देव थे, लेकिन इस सीरीज में साउथ अफ्रीका के कप्तान के खिलाफ मैच फिक्सिंग का आरोप लगा था और कई भारतीय खिलाड़ियों के नाम भी सामने आए थे. फिर भारत के पूर्व खिलाड़ी मनोज प्रभाकर ने कपिल देव पर 1994 सीरिज़ के दौरान खराब खेलने के लिए रिश्वत देने का आरोप लगाया था. इसके बाद काफी हंगामा हुआ था और कपिल देव को कोच का पद छोड़ना पड़ा था, हालांकि जांच के बाद कपिल देव निर्दोष पाए गए थे.

अपने बाउंसर से बल्लेबाजों के पसीने छुड़ाने वाले वकार यूनुस को भी देना पड़ा इस्तीफा 

पाकिस्तान के तेज गेंदबाज वकार यूनुस ने भी यह साबित किया कि अच्छा क्रिकेटर जरूरी नहीं है कि अच्छा कोच भी साबित हो. 2016 के वर्ल्ड कप के दौरान वह पाकिस्तानी क्रिकेट टीम के कोच थे. लेकिन कोच के रूप में वह न तो टीम को एकजुट रख पाए और ना ही पाकिस्तान के प्रदर्शन को बेहतर कर पाए. 

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टीम की लगातार हार ने उन्हें असफल साबित किया. भारत के हाथों छह विकेट से मिली पराजय ने उन्हें बाहर का रास्ता दिखा दिया. उन्होंने कोच के पद से इस्तीफा देते हुए कहा, मैं देशवासियों से माफी चाहता हं कि टीम के प्रदर्शन में सुधार नहीं ला सका. 

महान विवियन रिचर्ड्स भी रहे फ्लॉप 

विवियन रिचर्ड्स क्रिकेट की दुनिया में महान खिलाड़ियों में आज भी शुमार किया जाता है. अपने जमाने के इस विस्फोटक बल्लेबाज ने भले ही गेंदबाजों के छक्के छुड़ाए हों, लेकिन कोचिंग के मामले में उनके खुद के पसीने छूट गए थे. अपने करियर में भले ही वे कितने भी सफल रहे हों, लेकिन कोचिंग करियर में वे पूरी तरह से विफल ही साबित हुए हैं. 

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विश्वकप 1999 के दौरान वेस्टइंडीज के दिग्गज तेज गेंदबाज मैल्कम मार्शल राष्ट्रीय टीम के मुख्य कोच थे. लेकिन खराब स्वास्थ्य को देखते हुए वह प्रतियोगिता के दौरान हट गए थे. उनकी जगह पर टीम का कोच विवियन रिचर्ड्स को बनाया गया था. लेकिन वेस्टइंडीज की टीम ग्रुप स्टेज से ही बाहर हो गई थी. उसके बाद टीम का सबसे खराब दौरा न्यूजीलैंड के लिए हुआ. जहां कैरेबियाई टीम कीवी टीम से 2-0 से टेस्ट में हार गई थी. इसके बाद रिचर्ड्स ने बड़ी टीमों के लिए कोचिंग के लिए नहीं जुड़ पाए. हालांकि घरेलू टी-20 टीमों के लिए वह बतौर मेंटर काम कर रहे हैं.

अपनी फिरकी से बल्लेबाजों को डराने वाले बिशन सिंह बेदी ने भी टेके थे घुटने 

पूर्व भारतीय बाएं हाथ के स्पिनर बिशन सिंह बेदी अपने जमाने के बेहतरीन स्पिन गेंदबाज माने जाते थे. उनकी फिरकी से बड़े से बड़ा बल्लेबाज भी थर्र-थर्र कांपता था. बेदी सिर्फ घरेलू धरती पर ही नहीं, विदेशी सरजमीं पर भी सफल गेंदबाज साबित हुए हैं, लेकिन कोचिंग के मामले वे भी फिसड्डी ही साबित हुए.

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बिशन सिंह बेदी 1990 में भारतीय टीम के मुख्य कोच बने थे. इस दौरान भारत जब न्यूजीलैंड के दौरे पर गया तो टीम को 3 टेस्ट मैचों की सीरीज में 1-0 की हार का सामना करना पड़ा था. बिशन सिंह बेदी उस दौरान टीम के प्रदर्शन से बहुत ही नाराज हुए थे. इस तरह बेदी भी अन्य महान खिलाड़ियों की तरह बतौर कोच असफल साबित हुए.

पाकिस्तानी क्रिकेट बोर्ड के चेयरमैन ने जावेद मियादांद को कहा था फ्लॉप 

दुनिया के श्रेष्ठ बल्लेबाजों में शुमार पाकिस्तान के जावेद मियांदाद भी कोच के रूप में फ्लॉप साबित हुए. पाकिस्तानी क्रिकेट बोर्ड के चेयरमैन ने जब जावेद को एक फ्लॉप कोच कहा तो दोनों के बीच विवाद बढ़ गया.

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अंततः जावेद मियांदाद को कोच के पद से इस्तीफा देना पड़ा. 

टीम को एकजुट करने में नाकाम रहे ग्रेग चैपल

ऑस्ट्रेलिया का ये पूर्व दिग्गज खिलाड़ी अच्छा बल्लेबाज होने के साथ बेहतरीन कप्तान भी था, लेकिन टीम को एकजुट करने में वे असफल साबित हुए और कप्तानी से हाथ धोना पड़ा. कोच का काम केवल टीम के अच्छे प्रदर्शन तक ही सीमित नहीं होता. उसे टीम के बाकी खिलाड़ियों खासकर कप्तान के साथ तालमेल भी बनाना होता है, लेकिन चैपल इसमें पूरी तरह नाकाम साबित हुए. 

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साल 2005 में चैपल को भारतीय टीम का कोच बनाया गया था. अपनी कप्तानी में उन्होंने 3 एशेज सीरीज के साथ 21 टेस्ट मैचों में जीत हासिल की थी. वह टीम के साथ 2007 के वर्ल्डकप तक जुड़े थे. जहां टीम ग्रुप स्टेज से ही बाहर हो गई थी. चैपल के उस दौर में भारत के कई खिलाड़ियों से रिश्ते खराब रहे खासकर तब के कप्तान गांगुली से उनका विवाद गहरा रहा.

उन्हें गांगुली को टीम से बाहर करने का जिम्मेदार भी माना जाता था. उनकी कोच रहते टीम का प्रदर्शन वर्ल्ड कप के दौरान खासा निराशाजनक रहा था. ये भारतीय टीम के टूटने का समय था. इस वजह से टीम ने प्रबंधन ने उन्हें बाहर का रास्ता दिखा दिया. उसके बाद ग्रेग चैपल किसी भी टीम के कोच नहीं बने हैं.

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