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नई दिल्ली : नये महासंघ के गठन के लिये रविवार को होने वाले चुनावों के लिये अनदेखी से नाराज भारतीय मुक्केबाजी के दो बड़े हिस्सेदार रेलवे और सेना खेल नियंत्रण बोर्ड ने इस संदर्भ में खेल मंत्रालय के समक्ष विरोध दर्ज कराया है।
न तो रेलवे खेल संवर्धन बोर्ड (आरएसपीबी) और न ही सेना खेल नियंत्रण बोर्ड (एसएससीबी) भारतीय मुक्केबाजी महासंघ (बीएफआई) के गठन की प्रक्रिया के लिये होने वाले चुनावों का हिस्सा होंगे। हालांकि उनके पास एक एक वोट है। आरएसपीबी के एक शीर्ष अधिकारी ने कहा, ‘हमें कल के चुनाव के बारे में सूचित तक नहीं किया गया, हमें मीडिया रिपोर्टों के जरिये इसका पता चला है। यह कोई तरीका नहीं है कि हम जैसे बड़े हिस्सेदारों से ऐसा व्यवहार किया जाये। हम मुक्केबाजों के लिये नौकरी, ट्रेनिंग सुविधायें मुहैया कराते हैं और हमारे मुक्केबाज प्रत्येक बड़े टूर्नामेंट में भारत का प्रतिनिधित्व कर चुके हैं। हमें इस प्रक्रिया से कैसे दूर रखा जा सकता है?’
अधिकारी ने कहा, ‘हमने अपना विरोध दर्ज कराने के लिये खेल मंत्रालय को लिखा है।’ एसएससीबी ने भी यही बात दोहरायी जो 2012 तक खेल का संचालन करने वाली भारतीय एमेच्योर मुक्केबाजी महासंघ के संस्थापक सदस्यों में शामिल था। एसएससीबी के अधिकारी ने कहा, ‘मुक्केबाजी एसएससीबी का अहम हिस्सा है। हमारे पास ‘लड़कों का भी एक वर्ग’ है ताकि सुनिश्चित किया जा सके कि खेल को जमीनीं स्तर से मजबूती दी जाये। हमें कम से कम यह तो बताया जाना चाहिए था कि प्रक्रिया चल रही है। क्या इतना भी नहीं हो सकता था?’
इस समय खेल का संचालन कर रही तदर्थ समिति के एक प्रतिनिधि ने हालांकि कहा कि बोडरें को इसलिये छोड़ दिया गया है क्योंकि उन्होंने बीएफआई से मान्यता नहीं ली है। तदर्थ समिति के सदस्य ने कहा, ‘हमने अप्रैल में मान्यता प्राप्त करने की प्रक्रिया के बारे में उन्हें बता दिया था लेकिन उन्होंने कहा कि क्योंकि खेल मंत्रालय ने बीएफआई को मान्यता नहीं दी है तो वे न तो मान्यता प्राप्त करेंगे और न ही इसकी मान्यता फीस देंगे। इसलिये उन्हें चुनावी प्रक्रिया से बाहर रखा गया है।’ उन्होंने कहा, ‘वे संस्था के गठन और खेल मंत्रालय से मान्यता प्राप्त करने के बाद मान्यता ले सकते हैं। इससे उनका मत देने का अधिकार फिर से शुरू हो जायेगा।’