चैपल ने भारतीय क्रिकेट को इस हद तक बर्बाद किया कि पटरी पर आने में 3 साल लग गए: हरभजन सिंह
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चैपल ने भारतीय क्रिकेट को इस हद तक बर्बाद किया कि पटरी पर आने में 3 साल लग गए: हरभजन सिंह

सचिन तेंदुलकर का ग्रेग चैपल को तानाशाह कोच बताने के बाद लगता है कि भानुमति का पिटारा खुल गया है और अब उनके तत्कालीन साथी और सीनियर ऑफ स्पिनर हरभजन सिंह ने कहा है कि टीम के कुछ खिलाड़ी इस आस्ट्रेलियाई को चुनिंदा गलत जानकारी मुहैया कराते थे।

चैपल ने भारतीय क्रिकेट को इस हद तक बर्बाद किया कि पटरी पर आने में 3 साल लग गए: हरभजन सिंह

नई दिल्ली : सचिन तेंदुलकर का ग्रेग चैपल को तानाशाह कोच बताने के बाद लगता है कि भानुमति का पिटारा खुल गया है और अब उनके तत्कालीन साथी और सीनियर ऑफ स्पिनर हरभजन सिंह ने कहा है कि टीम के कुछ खिलाड़ी इस आस्ट्रेलियाई को चुनिंदा गलत जानकारी मुहैया कराते थे।

सचिन तेंदुलकर ने अपनी आत्मकथा ‘प्लेइंग इट माइ वे’ में चैपल को ‘रिंगमास्टर’ करार दिया। इसके अंश प्रकाशित होने के बाद हरभजन ने कहा, चैपल ने भारतीय क्रिकेट को इस हद तक तक बर्बाद कर दिया था कि इसे वापस पटरी पर आने में कम से कम तीन साल लग गये। सबसे बुरी बात यह थी कि उस टीम के कुछ खिलाड़ी कोच के आगे नतमस्तक थे और चुनिंदा गलत जानकारी उस तक पहुंचाते थे जिससे बड़ी दरार बन रही थी।

हरभजन से जब उनके इस दावे के बारे में पूछा गया कि कुछ खिलाड़ी चैपल को अपने फायदे के लिए उपयोग कर रहे थे, उन्होंने कहा, जब सही समय आएगा तो नामों का खुलासा हो जाएगा। कुछ लोगों का मानना था कि केवल चैपल का अनुसरण करने से उनका काम बन जाएगा लेकिन वे यह नहीं सोचते थे कि भारतीय क्रिकेट आगे नहीं बढ़ रहा है। हरभजन ने इसके साथ ही दावा किया कि भारत जब जिम्बाब्वे के खिलाफ बुलावायो में टेस्ट मैच खेल रहा था तब चैपल ने तत्कालीन कप्तान सौरव गांगुली के बारे में बीसीसीआई को ईमेल भेजा था।

उन्होंने कहा, सौरव के वापस आने के बाद मैंने उन्हें उस ईमेल के बारे में बताया और लगता था कि वह भी इससे अनभिज्ञ थे और वह भी मेरी तरह हैरान थे। भारत की तरफ से टेस्ट क्रिकेट में सर्वाधिक विकेट लेने वाले गेंदबाजों में तीसरे नंबर पर काबिज हरभजन ने कहा, कुल मिलाकर सात खिलाड़ी थे जिनसे वह बदला लेना चाहता था। सौरव उसके मुख्य निशाने पर था, उसके बाद मेरा, वीरेंद्र सहवाग, आशीष नेहरा, जहीर खान और युवराज सिंह का नंबर आता था।

हरभजन ने चैपल की आलोचना करने में कोई कसर नहीं छोड़ी। उन्होंने कहा, वह भारत को अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट में अगले स्तर पर ले जाना चाहता था लेकिन उस दौर में एक समय ऐसा था कि हम अंडर-14 टीम की तरह खेल रहे थे। उन्होंने कहा, उस समय विदेशी दौरों में हम एक दूसरे से डरते थे। हम अपनी भावनाएं, पीड़ा या निराशा जाहिर नहीं कर सकते थे क्योंकि हम एक दूसरे पर भरोसा नहीं कर सकते थे। टीम का माहौल बहुत खराब हो गया था।  
    
हरभजन ने भारत की 2006 में किंग्सटन में टैस्ट मैच में जीत के दौरान चैपल के व्यवहार को याद किया। उन्होंने कहा, पहली पारी में वेस्टइंडीज 103 रन पर आउट हो गया और मैंने 13 रन देकर पांच विकेट लिये। जब हम ड्रेसिंग रूप में आये तो मेरी कोई तारीफ नहीं की गयी। इसके बजाय दूसरे गेंदबाज को बधाई दी गयी जिसका मैं नाम नहीं लेना चाहता। यह अपमानजनक था। वह हमेशा मुझे बाहर करना चाहता था लेकिन दूसरों की तरह ऐसा मेरे साथ नहीं कर पाया।

उन्होंने कहा, वह इसलिए गुस्से में था क्योंकि जब वह (चैपल) सौरव के खिलाफ था तो मैंने उनका (सौरव) साथ दिया था। सौरव ने 2001 से 2005 तक भारतीय टीम को तैयार किया था जबकि चैपल ने उसे पूरी तरह बर्बाद कर दिया था।  हरभजन ने कहा, वह खिलाड़ियों का उपयोग एक दूसरे के खिलाफ करता था। वह बीसीसीआई के तत्कालीन अधिकारियों का उपयोग अपनी जरूरतों के हिसाब से करता था। उसने ऐसा माहौल तैयार कर दिया था जिसे कोई याद नहीं करना चाहता। वह अपने साथ नकारात्मकता लेकर आया था। 

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