30 अप्रैल, 1993 की दोपहर में जर्मनी के हैम्बर्ग शहर में स्टेफी ग्राफ के एक सरफिरे फैन ने मोनिका सेलेस की पीठ में चाकू से हमला कर दिया था.
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नई दिल्ली: आज से 28 साल पहले यदि आप किसी टेनिस प्रेमी से मोनिका सेलेस (Monica Seles) का नाम पूछते तो वह छूटते ही कहता कि वो सारी दिग्गजों को अपने झन्नाटेदार शाट्स से पानी पिला देने वाली लड़की. महज 19 साल की उम्र में पूरी दुनिया में इस कदर नाम कमा चुकी मोनिका की दुनिया अचानकक 30 अप्रैल, 1993 को तब बदल गई, जब टेनिस कोर्ट पर मैच के दौरान एक सिरफिरे ने उनकी पीठ में चाकू घोंप दिया. इस एक घटना ने न केवल मोनिका बल्कि पूरे टेनिस जगत की तस्वीर बदल दी.
27 years ago world no.1 Monica Seles was stabbed during her quarterfinal match against Magdalena Maleeva in Hamburg. She returned on tour over two years later winning Toronto tournament and reaching US Open final. In January 1996 she won Australian Open. #OnThisDay pic.twitter.com/Ah6pz2RcFp
— Michal Samulski (@MichalSamulski) April 30, 2020
6000 लोगों के सामने दिया घटना को अंजाम
मोनिका 30 अप्रैल, 1993 की दोपहर में जर्मनी के हैम्बर्ग शहर में हैम्बर्ग ओपन टूर्नामेंट का क्वार्टर फाइनल खेल रही थीं. उनका मुकाबला बुल्गारिया की मागदेलेना मलीवा से था. इस मुकाबले को देखने के लिए 6000 दर्शक स्टेडियम में पहुंचे हुए थे. लेकिन इतने लोगों के सामने भी उस सिरफिरे हमलावर ने सेलेस की पीठ में उस समय चाकू घोंप दिया, जब मैच के बीच में 5 मिनट का चेंजओवर इंटरवल चल रहा था. वह किचन में इस्तेमाल होने वाला चाकू था जिसकी धार काफी तेज थी.
On this day 23 years ago Monica Seles has been stabbed in the back during a quarter-final match in Hamburg. :'( pic.twitter.com/8y8YwH6ax6
— Kishore Sharma (@KishoreRF) April 30, 2016
सेलेस ने बाद में एक इंटरव्यू में कहा था, यह मेरे जीवन का सबसे कठिन लम्हा था, क्योंकि मैं नंबर एक खिलाड़ी बनने वाली थी. मैं खुद से पूछा करती थी कि मैं अपना अगला मैच कब खेलूंगी या मुझे कितनी प्रैक्टिस की जरूरत है. कुछ ही मिनटों में ये मुझसे दूर हो गया. 1993 में हैम्बर्ग ओपन के निदेशक रहे जेम्स-पीटर हेच ने एक इंटरव्यू में कहा था, यह घटना हर किसी के लिए एक काली परछाई थी. एक दुख की घड़ी, जिसे हम कभी नहीं भूल सकते.
गंभीर नहीं थी चोट पर सेलेस की बदल गईं दुनिया
हमले में सेलेस की पीठ में तीन इंच अंदर घुस गए चाकू से उन्हें कोई गंभीर चोट तो नहीं लगी थी, लेकिन उनकी ज़िंदगी फिर पहले जैसे नहीं हो पाई. इस घटना का मनोवैज्ञानिक खौफ सेलेस के मन में बैठ गया था, जिसके चलते उन्हें वापसी में काफी समय लगा. दो साल बाद उन्होंने अमरीकी नागरिकता ले ली. वापसी के बाद 1996 में उन्होंने ऑस्ट्रेलियन ओपन जीता और उस साल वह नंबर एक पायदान पर पहुंचीं, लेकिन इस पर वह लंबे समय तक नहीं रह सकीं. सेलेस ने स्वीकार किया था कि, पहले छह महीने मुझे शारीरिक परेशानियां रहीं क्योंकि मैं जिस तरह से अपने शरीर को मोड़ना चाहती थी वैसा नहीं कर पाती थी.
On this day:
1991 Monica Seles wins the #AusOpen on debut, defeating Jana Novotna 5-7 6-3 6-1. At 17 years, one month, the Yugoslav-born Seles succeeds Margaret Court as the youngest champion.#50YearsOpen pic.twitter.com/HKDsPxVULz
— #AusOpen (@AustralianOpen) January 27, 2018
स्टेफी ग्राफ का फैन था हमलावर
सेलेस पर हमला करने वाले जर्मनी के 39 साल के बेरोजगार गुंटर पाखा को टूर्नामेंट के सुरक्षाकर्मियों ने तुरंत पकड़ लिया था. वह जर्मनी की स्टार टेनिस खिलाड़ी स्टेफी ग्राफ का जबरदस्त फैन था और उन्हें नंबर एक की पायदान से पीछे धकेलने के कारण सेलेस से नाराज था. सेलेस ने मार्च 1991 में ऑस्ट्रेलियन ओपन जीता था, जिसके साथ ही 186 हफ्ते से वर्ल्ड रैंकिंग में नंबर एक चल रहीं ग्राफ की बादशाहत समाप्त हो गई थी. इसी कारण गुंटर सेलेस से बदला लेना चाहता था. बाद में हैम्बर्ग की अदालत ने गुंटर को 2 साल की जेल की सजा सुनाई थी.
Monica Seles stabbed pic.twitter.com/39AFzdb6Y4
— Sounds of the 20th C (@Sounds20thC) October 27, 2015
दुनिया की सबसे कम उम्र की ग्रैंडस्लैम विजेता बनी थी
सेलेस ने महज 16 साल 6 महीने की उम्र में फ्रैंच ओपन खिताब जीता था. इसी के साथ वे उस समय की सबसे कम उम्र की ग्रैंडस्लेम जीतने वाली खिलाड़ी बन गईं थीं. चाकूबाजी की घटना के दिन तक वे अपने करियर में खेले आठ में से सात ग्रैंडस्लैम खिताब जीत चुकी थीं. वह केवल 1992 के विंबलडन फाइनल में स्टेफी ग्राफ से हारी थीं. अपने करियर में उन्होंने 8 खिताब हासिल किए और 20 साल की उम्र तक पहुंचने से पहले इतनी बड़ी संख्या में खिताब जीतने वाली वह इकलौती खिलाड़ी थीं.
कोर्ट पर चीखने के लिए थी मशहूर
सेलेस अपने खेल के दौरान आक्रामक रवैये के लिए भी प्रसिद्ध थीं. खासतौर पर शॉट लगाते वक्त चीखने के लिए उन्हें कई बार अंपायरों ने टोका था और विपक्षी खिलाड़ियों ने भी इसकी शिकायत की थी. उनके खेल में दोनों हाथों से रैकेट पकड़कर गेंद को बेहद ताकत से हिट करना भी काफी कमाल का था.