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नयी दिल्ली: अंतरराष्ट्रीय मुक्केबाज संघ (एआईबीए) ने भले ही पेशेवर मुक्केबाजों के लिये ओलंपिक के दरवाजे खोलने की प्रक्रिया शुरू कर दी है लेकिन भारतीय स्टार विजेंदर सिंह इस अवसर का फायदा उठा पाएंगे इसकी संभावना कम लगती है भले ही वह इसके इच्छुक हैं।
पेशेवर मुक्केबाजों को अगस्त में रियो डि जनेरियो में ओलंपिक खेलों में भाग लेने की अनुमति दी जा सकती है लेकिन इस फैसले को अभी एआईबीए कांग्रेस की एक जून को होने वाली बैठक में मंजूरी मिलना बाकी है। तब इस पर मतदान किया जाएगा। योजना के अनुसार पेशेवर मुक्केबाजों को एआईबीए के मान्यता प्राप्त विश्व सीरीज बॉक्सिंग (डब्ल्यूएसबी) और एआईबीए प्रो बॉक्सिंग (एपीबी) के जरिये रियो के लिये क्वालीफाई करने की अनुमति देना है। ये दोनों प्रतियोगिताएं वर्तमान कार्यक्रम के अनुसार मई में होनी हैं लेकिन इन्हें जून के आखिरी सप्ताह तक टाला जा सकता है ताकि राष्ट्रीय महासंघों को अपने आवेदन भेजने के लिये पर्याप्त समय मिल सके।
विजेंदर ने मैनचेस्टर से कहा, यदि मौका मिलता है तो मैं निश्चित तौर पर ओलंपिक के लिये क्वालीफाई करना चाहूंगा। कौन इस मौके को गंवाना चाहेगा। सवाल यह है कि क्या उनके पास कोई वास्तविक मौका है। इस 30 वर्षीय मिडिलवेट मुक्केबाज का 11 जून तक कार्यक्रम तय है जबकि उन्हें भारत में अपने पेशेवर करियर की शुरूआत करनी है। वह तब अपने पहले खिताब डब्ल्यूबीओ एशिया बेल्ट के लिये लड़ेंगे।
यदि मामला सुलझा लिया जाता है और इस महीने के आखिर में होने वाले एशिया ओलंपिक क्वालीफायर में भारत का मिडिलवेट का स्लाट कोई अन्य मुक्केबाज (विकास कृष्ण मुख्य दावेदार है) हासिल कर लेता है तो फिर क्या होगा। तब यह देखना दिलचस्प होगा कि विजेंदर को यदि डब्ल्यूएसबी या एपीबी में खेलने का मौका मिलता है तो क्या उन्हें किसी अन्य भार वर्ग में चुनौती पेश करने की अनुमति मिलेगी। डब्ल्यूएसबी और एपीबी दोनों के पास ओलंपिक के 26 कोटा स्थान हैं। इसके बारे में विजेंदर ने कहा, अभी इसको लेकर स्थिति स्पष्ट नहीं है। लेकिन देखते हैं आगे क्या होता है। मेरा रवैया साफ है कि यदि मौका होगा तो मैं कोशिश करूंगा और यदि नहीं तो फिर मैं कुछ भी नहीं कर सकता।