Kerala Name Change Reason Explained: देश की आजादी के करीब 9 साल बाद 1 नवंबर 1956 में 'भाषा' के आधार पर केरल नाम से एक अलग राज्य बना था. दक्षिण भारत के केरल जिसे (God's own country) कहा जाता है का नाम संविधान की पहली अनुसूची के तहत केरल दर्ज किया गया था. केरल की विधानसभा ने सर्वसम्मति से केंद्र सरकार से संविधान की आठवीं अनुसूची के तहत सभी आधिकारिक भाषाओं में राज्य का आधिकारिक नाम बदलकर 'केरलम' करने के लिए आवश्यक संशोधन करने का अनुरोध किया है. संविधान की पहली अनुसूची में राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों और उनके क्षेत्रीय अधिकार क्षेत्रों की गणना की गई है, जबकि आठवीं अनुसूची में भारत की 22 आधिकारिक भाषाओं की सूची है. 


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एक रिपोर्ट के मुताबिक, केरल सरकार के इस प्रस्ताव में राज्य के नाम को 'केरलम' में संशोधित करने के लिए संविधान के अनुच्छेद 3 के तहत 'तत्काल उपाय' करने का आह्वान किया गया है. 


केरल सरकार और पी विजयन क्यों नाम बदलना चाहते हैं?


आजादी के करीब 67 साल बाद केरल सरकार ने भाषा के आधार पर इस राज्य के नाम को बदलकर केरलम करने का फैसला किया है. विपक्ष की सहमति के साथ 9 अगस्त को प्रस्ताव पास हो चुका है इस तरह अब गेंद केंद्र के पाले में है. 


'केरल' नाम कैसे पड़ा ये भी जानिए


एक रिपोर्ट के मुताबिक साल 1920 में भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस की एक बैठक में यह प्रस्ताव पास किया गया कि नया राज्य सिर्फ क्षेत्रीय नहीं बल्कि भाषाई आधार पर भी बनना चाहिए. कहा जाता है कि यहीं से पहली बार केरल नाम की बुनियाद पड़ी. आगे इस क्षेत्र में रहने वाले मलयाली बोलने वाले लोगों ने आंदोलन ऐक्य (यूनाइटेड) केरल मूवमेंट के नाम से एक आंदोलन चलाया जिसका मकसद था- त्रावणकोर, कोच्चि और मालाबार में रहने वाले मलयाली लोगों के लिए अलग राज्य की मांग करना. 


डेक्कन हेराल्ड की रिपोर्ट के अनुसार, 1 जुलाई 1949 को त्रावणकोर और कोचीन की दो पूर्ववर्ती रियासतों को मिलाकर संयुक्त राज्य त्रावणकोर और कोचीन बनाया गया था. अगले साल जनवरी में इसका नाम बदलकर त्रावणकोर-कोचीन राज्य कर दिया गया. वहीं ब्रिटानिका के मुताबिक 1956 में, मद्रास राज्य (अब तमिलनाडु) के मालाबार तट और दक्षिण कनारा के कासरगोड तालुका (प्रशासनिक उपखंड) को वर्तमान केरल राज्य बनाने के लिए त्रावणकोर-कोचीन में जोड़ा गया था. खैर जैसा कि सब जानते हैं कि त्रावणकोर और कोच्ची बनने से बहुत से लोग खुश नहीं थे. तीस साल तक मलयाली भाषा के सभी लोगों के लिए अलग राज्य के लिए आंदोलन चला. आखिरकार 1956 में भाषाई आधार पर एक अलग राज्य बना. जिसका नाम केरल रखा गया.


केरल और केरलम 


केरल नाम की उत्पत्ति को लेकर कई थ्योरी है. इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के अनुसार, सबसे पुराने दस्तावेजों के हिसाब से केरल नाम संबंधी सम्राट अशोक का  257 ईसा पूर्व का शिलालेख II है. इस शिलालेख में स्थानीय शासक को केरलपुत्र के रुप में दिखाया गया है. बता दें कि मलयालम बोलने वाले लोगों पर इस क्षेत्र के विभिन्न राजाओं और रियासतों द्वारा शासन किया गया था. 


एक और थ्योरी के मुताबिक 1872 में मलयालम-इंग्लिश डिक्शनरी को पब्लिश करने वाले जर्मन स्कॉलर डॉ. हरमन गुंडर्ट के मुताबिक ‘केरम’ शब्द कन्नड़ भाषा के ‘चेरम’ शब्द से आया है. कुछ विद्वानों का मानना है कि आज जहां तक केरल की सीमा है, वहां काफी ज्यादा नारियल की पैदावार होती है. नारियल के लिए केर शब्द इस्तेमाल होता है. इसलिए इसका नाम केरल पड़ा होगा.


'केंद्र चाहे तो मंजूरी दे या न दे'


मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबित हाल के कुछ वर्षों की बात करें तो केंद्र की मोदी सरकार ने 2018 में राज्य विधानसभा के सर्वसम्मत प्रस्ताव को खारिज कर दिया. यह पश्चिम बंगाल था. वहीं इसके अलावा बीते कुछ सालों में राज्य और शहरों के नाम पर जो बदलाव हुए हैं, उनके बारे में आपको बताते हैं.


इन राज्यों और शहरों के बदले नाम


पश्चिम बंगाल सरकार राज्य का नाम बंगाली, अंग्रेजी और हिंदी तीनों भाषाओं में 'बांग्ला' करना चाहती है. 2007 में केंद्र सरकार ने उत्तरांचल का नाम उत्तराखंड करने के लिए एक बिल संसद में पारित किया. इस पर तत्कालीन राष्ट्रपति एपीजे अब्दुल कलाम के हस्ताक्षर होते ही राज्य का नाम बदल गया. 2011 में, उड़ीसा ओडिशा बन गया था और उड़ीसा (नाम परिवर्तन) विधेयक, 2010 और संविधान (113 वां संशोधन) विधेयक, 2010 संसद में पारित होने के बाद इस राज्य की भाषा का नाम भी बदला था. बीते कुछ सालों में सिर्फ राज्यों का ही नहीं बल्कि कई शहरों का भी नाम बदला है. यूपी के कई शहरों के नाम बदले गए हैं.


आंध्र प्रदेश के 'राजमुंदरी' शहर का नाम 2017 में संशोधित करके 'राजमहेंद्रवरम' कर दिया गया. झारखंड का एक शहर 'नगर उंटारी' 2018 में श्री बंशीधर नगर बन गया. 2018 में ही यूपी के 'इलाहाबाद' शहर का नाम बदलकर 'प्रयागराज' कर दिया गया. 2021 में मध्य प्रदेश के 'होशंगाबाद' शहर का नाम बदलकर 'नर्मदापुरम' कर दिया गया और 'बाबई' शहर का नाम 'माखन नगर' कर दिया गया. महाराष्ट्र से लेकर देश के कई शहरों के नाम बदलने की मांग चल रही है.


बात पते की - नाम बदलने में आता है कितना खर्च?


राज्य बदलने की स्थिति में पहले राज्य सरकार फिर केंद्र सरकार की मंजूरी के बाद देश के सभी सरकारी दफ्तरों के कागजात यानी दस्तावेजों के साथ रेलवे स्टेशन, हाइवे से लेकर आम आदमी की सहूलियत से जुड़े हर मंत्रालय, दफ्तर और शहर के हर साइन बोर्ड में पुराना नाम बदलकर नया नाम लिख दिया जाता है.