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डियर जिंदगी: अकेलेपन की सुरंग और ‘ऑक्सीजन’!
हरियाली के बीच मन में उदारता, दूसरों की सहायता की भावना बढ़ने के साथ ब्लड-प्रेशर, अवसाद से लड़ने की शक्ति मिलती है.
Nov 12, 2018, 08:18 AM IST
डियर जिंदगी : दीपावली की तीन कहानियां और बच्चे…
असल में अंतर एक-एक कदम से ही पड़ता है! हम सब मिलकर ही दुनिया को बेहतर, बदतर बनाते हैं. हमारी हवा, पानी जैसे भी हैं, सबमें हमारी भूमिका है!
Nov 9, 2018, 08:24 AM IST
डियर जिंदगी : ऐसे ‘दीपक’ जलाएं…
जिंदगी को रास्ता बनाना आता है, बस आप नाविक की तरह तूफान में पतवार थामे रहें.
Nov 7, 2018, 10:05 AM IST
डियर जिंदगी : कितने ‘दीये’ नए!
बच्चों की परवरिश, संस्कार जरूरी हैं, लेकिन यह काम उनके मन की कोमलता, सुंदरता, उदारता की कीमत पर नहीं होना चाहिए. ये सबसे अनमोल गुण हैं. बच्चों की परिवरिश में उनके साथ होने वाली हिंसा, उन पर थोपी जाने वाली जिद, जिंदगी के कुछ ऐसे अंधेरे हैं, जो हर दिवाली के साथ गहराते जा रहे हैं.
Nov 6, 2018, 08:02 AM IST
डियर जिंदगी: दूसरे के हिस्से का ‘उजाला’!
कभी-कभी अनजाने ही हम कठोर, अनुदार और हिंसक दुनिया गढ़ने में सहभागी होते जाते हैं.
Nov 5, 2018, 08:19 AM IST
डियर जिंदगी: जो मेरे घर कभी नहीं आएंगे...
दुनिया छोटी कोशिश के मरहम का नाम है, इससे ही जिंदगी को रास्ते मिलते हैं.
Nov 2, 2018, 09:01 AM IST
डियर जिंदगी : उसके ‘जैसा’ कुछ नहीं होता!
कोई किसी के जैसा नहीं होता! हम किसी का पूरा सच नहीं जानते, इसलिए उसके जैसे अरमान में घुलते रहते हैं, यह जीवन के प्रति सबसे बड़ा छल है.
Nov 1, 2018, 11:44 AM IST
डियर जिंदगी: गैस चैंबर; बच्चे आपके हैं, सरकार और स्कूल के नहीं!
प्रदूषण के नाम पर न तो वोट कटते हैं. न ही साफ हवा होने से अधिक मिलते हैं. इसलिए हवा, पानी किसी की चिंता में शामिल नहीं. पराली जलाने से रोकने में ‘खतरा’ है, इसलिए प्रदूषण की जगह पराली पर ध्यान दिया जा रहा है!
Oct 31, 2018, 10:58 AM IST
डियर जिंदगी : रो लो, मन हल्का हो जाएगा!
हमारे यहां तो रोना सहज अभिव्यक्ति रही है. रोने से मन हल्का होता है. ऐसा हम बचपन से सुनते आए हैं, लेकिन कुछ अधिक शहरी होते ही, हमारे मिजाज में कठोरता ऐसी घुली कि हंसना तो टीवी, मोबाइल के सहारे बढ़ गया, लेकिन रोकर मन के मैल को साफ करने का चलन छूट गया है.
Oct 30, 2018, 10:43 AM IST
डियर जिंदगी : अकेलेपन की ‘इमरजेंसी’
दूसरों के प्रति प्रेम में कमी, महत्वाकांक्षा का पहाड़ हमें एक ऐसी दुनिया बनाने की ओर धकेल रहा है, जहां हमारा मनुष्यता से संपर्क हर दिन कम हो रहा है!
Oct 29, 2018, 10:34 AM IST
डियर जिंदगी: कितने 'नए' हैं हम!
नया कहने से नहीं होता, नया दिखना होता है. नया साबित करना होता है. नया पहनने की चीज नहीं है, वह नितांत आंतरिक विचार है. मन के भीतर अगर आप नहीं बदले, तो बाहर का कोई अर्थ नहीं!
Oct 26, 2018, 08:43 AM IST
डियर जिंदगी: कब से ‘उनसे’ मिले नहीं…
जब हम जिंदगी को ऑक्सीजन की सप्लाई करने वाली सारी खिड़कियां बंद कर देते हैं, तो उससे स्वाभाविक रूप से बेचैनी होती है. जो धीरे-धीरे रूखेपन में बदल जाती है.
Oct 25, 2018, 10:52 AM IST
डियर जिंदगी : कम नंबर लाने वाला बच्चा!
हम बच्चों की ऊर्जा को किताब के बस्ते में बंद रखने की ‘कुप्रथा’ से अभी तक नहीं उबर पाए हैं. हम बच्चे के नाम पर अपने यशगान से जितने चिपके रहेंगे, बच्चे का उतना ही नुकसान होगा.
Oct 24, 2018, 11:07 AM IST
डियर जिंदगी : कांच के सपने और समझ की आंच…
स्कूल सपनों की फैक्ट्री बन गए हैं, जहां से टॉपर्स, होनहार बच्चे पैदा करने का दावा कुछ इस अदा से किया जाता है कि हम उनके मायाजाल में सहज उलझते जाते हैं.
Oct 23, 2018, 10:31 AM IST
डियर जिंदगी: माता-पिता का 'सुख' चुनते हुए...
हम कैसे मान लेते हैं कि माता-पिता का पूरा जीवन केवल बच्चों के समीप ही बुना होना चाहिए. माता पिता का अपना कोई सुख, अपनी कोई दुनिया हमारी समझ से भी कोसों दूर लगती है.
Oct 22, 2018, 09:40 AM IST
डियर जिंदगी : माता-पिता के आंसुओं के बीच 'सुख की कथा' नहीं सुनी जा सकती...
बच्चों को दी जाने वाली शिक्षा और संस्कार पर बहुत गंभीरता से विचार की जरूरत है. अगर इस पर समय रहते संशोधन नहीं हुआ तो हम बुजुर्गों की एक ऐसी दुनिया बना देंगे, जहां तनाव, डिप्रेशन और उदासी के घाव के अतिरिक्त कुछ नहीं होगा. और यह जरूर याद रहे कि हम इस दुनिया से बहुत दूर नहीं होंगे!
Oct 19, 2018, 09:20 AM IST
डियर जिंदगी: ...जो कुछ न दे सके
समय का छोटा सा टुकड़ा उनके लिए भी निकालना चाहिए, जिन्होंने 'धूप' के वक्त बिना शर्त हमें अपनी छांव देने के साथ ही, हमारे होने में अहम भूमिका का निर्वाह किया.
Oct 18, 2018, 09:17 AM IST
डियर जिंदगी : साथ रहते हुए स्वतंत्र होना!
जहां भाव से अधिक ‘समझ’ जमा हो जाती है, वहां रिश्तों में दरार की गुंजाइश बढ़ जाती है. रिश्तों के नाम भले वही हों, लेकिन उनके मिजाज, व्यवहार में जो ‘ताजी’ हवा आई है, उसके अनुकूल स्वयं को तैयार करना होगा.
Oct 17, 2018, 10:19 AM IST
डियर जिंदगी : ‘आईना, मुझसे मेरी पहली सी सूरत मांगे...’
हम दो कदम आगे बढ़ते हैं, तो पीछे के उजालों को भूलने लगते हैं. यह पीछे छूटते उजाले धीरे-धीरे हमारी सूरत बदलने लगते हैं. एक दिन होता यह है कि आईना, हमारी हमारी शक्ल भूलने लगता है. पहली सी सूरत मांगने लगता है!
Oct 16, 2018, 10:01 AM IST
डियर जिंदगी: अपेक्षा का कैक्टस और स्नेह का जंगल
बच्चों को होशियार, चतुर, 'चांद' पर जाने लायक बनाने की कोशिश में हम स्नेह की चूक कर रहे हैं, जो एक हरे-भरे, लहलहाते जीवन को सुखद आत्मीयता की जगह कहीं अधिक कैक्टस और कंटीली झाड़ियों से भर रही है.
Oct 15, 2018, 09:11 AM IST