Facebook का बड़ा खुलासा, इतने करोड़ अकाउंट हैं फर्जी
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Facebook का बड़ा खुलासा, इतने करोड़ अकाउंट हैं फर्जी

एक रपट के मुताबिक, फेसबुक ने सांसदों को यह बताने की योजना बनाई थी कि 12.6 करोड़ यूजर्स ने रूसी ऑपरेटरों द्वारा उत्पादित और वितरित सामग्री देखी होगी.

Facebook का बड़ा खुलासा, इतने करोड़ अकाउंट हैं फर्जी

लंदन : साल 2016 के अमेरिकी चुनाव में रूस के दखल के संबंध में अपनी भूमिका को लेकर फेसबुक (facebook) पहले ही जांच के घेरे में है. अब फेसबुक ने स्वीकार किया है कि उसके प्लेटफार्म पर 27 करोड़ खाते फर्जी या नकली हैं. एक रपट में शनिवार को बताया गया कि सोशल मीडिया दिग्गज ने इस हफ्ते अपनी तिमाही आय के आंकड़े जारी किए थे और इसके साथ ही यह खुलासा भी किया था कि उसने जितना अनुमान लगाया था, उससे दसों लाख गुना ज्यादा फर्जी या नकली खाते हैं.

  1. अनुमान से ज्यादा फर्जी अकाउंट निकले
  2. न्यूज फीड को दो भागों में विभाजित करेगा फेसबुक
  3. नई प्रणाली का परीक्षण किया जा रहा

द वाशिंगटन पोस्ट की अक्टूबर में प्रकाशित एक रपट के मुताबिक, फेसबुक ने सांसदों को यह बताने की योजना बनाई थी कि 12.6 करोड़ यूजर्स ने रूसी ऑपरेटरों द्वारा उत्पादित और वितरित सामग्री देखी होगी. यह कंपनी द्वारा पहले बताए गए आंकड़ों से कई गुना अधिक है. फेसबुक ने पहले बताया था कि लगभग 10 लाख यूजर्स ने उन विज्ञापनों को देखा था.

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इससे पहले खबर आई थी कि फेसबुक अपने न्यूज फीड को दो भागों में विभाजित करने के लिए टेस्टिंग कर रहा है. इसके तहत सोशल मीडिया की जगत की दिग्‍गज कंपनी फेसबुक निजी समाचारों से व्यावसायिक पोस्‍टों को अलग करने के बारे में विचार कर रहा है. कंपनी का मानना है कि यह कुछ व्यवसायों को विज्ञापन बढ़ाने के लिए प्रेरित कर सकता है.

स्लोवाकिया, सर्बिया और श्रीलंका सहित छह देशों में इस नई प्रणाली का परीक्षण किया जा रहा है. इसके तहत लगभग सभी नॉन-प्रोमेटिड पोस्ट को सेंकेंडरी फीड में शिफ्ट किया जा सकता है और मुख्य फीड में पूरी तरह से ओरिजनल कंटेंट होगा, जोकि दोस्तों और विज्ञापन की ओर से पोस्ट किया जाएगा.

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कंपनी के एक बयान के मुताबिक एक फीड मित्रों और परिवार पर ध्यान केंद्रित करता है, जबकि दूसरा उस पृष्ठ पर समर्पित होता है, जिसे ग्राहक पसंद करते हैं. इस बदलाव में फेसबुक पेजों पर यूजर्स इंगेजमेंट में गिरावट देखी गई है. हालांकि अगर इसे ज्‍यादा दोहराया जाता है तो इस तरह के बदलाव से कई छोटे प्रकाशकों को नुकसान होगा, जो बड़ी संख्या में दर्शकों के लिए सोशल मीडिया रेफरल पर ही निर्भर रहते हैं.

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