नासा की 'जीनियस' रही ये भारतीय महिला, अब बना रही 1123 Km/घंटे की हाई स्पीड ट्रेन!
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नासा की 'जीनियस' रही ये भारतीय महिला, अब बना रही 1123 Km/घंटे की हाई स्पीड ट्रेन!

मंगल ग्रह भेजे गए नासा के क्यूरोसिटी रोवर को वहां उतरे 5 साल बीत चुके हैं. वहां जीवन होने की भरपूर संभावनाएं पाई गई हैं. इस मिशन की एक महत्वपूर्ण सदस्य भारतीय मूल की एयरोस्पेस इंजीनियर अनीता सेनगुप्ता हैं.

अनीता सेनगुप्ता, हाईपरलूप प्रोजेक्ट पर कर रही हैं काम.

मंगल ग्रह भेजे गए नासा के क्यूरोसिटी रोवर को वहां उतरे 5 साल बीत चुके हैं. वहां जीवन होने की भरपूर संभावनाएं पाई गई हैं. इस मिशन की एक महत्वपूर्ण सदस्य भारतीय मूल की एयरोस्पेस इंजीनियर अनीता सेनगुप्ता हैं. पश्चिम बंगाल की रहने वाले अनीता एक भारतीय-अमेरिकी साइंटिस्ट हैं, जिन्हें नासा की जीनियस कहा जाता है. अनीता वहीं हैं, जिन्होंने ब्रह्मांड में सबसे ठंडा स्थान बनाने के लिए नासा के भौतिकी प्रयोग पर काम किया. अनीता सेनगुप्ता ने दक्षिणी कैलिफोर्निया विश्वविद्यालय में विटरबी स्कूल ऑफ इंजीनियरिंग के एयरोस्पेस और मैकेनिकल इंजीनियरिंग में स्नातक हैं, वह नासा के एम्प्लॉई में से एक नहीं हैं- बल्कि वह एक स्टार एम्प्लॉई हैं.

  1. पश्चिम बंगाल की अनीता एक भारती-अमेरिकी साइटिंस्ट हैं
  2. नासा के क्यूरोसिटी रोवर प्रोजेक्ट पर कर चुकी हैं काम
  3. ब्रह्मांड में सबसे ठंडा स्थान खोजने के प्रोजेक्ट पर काम किया

बनाया था सुपरसोनिक पैराशूट सिस्टम
अनीता उस टीम की मुख्य सिस्टम इंजीनियर रहीं, जिन्होंने क्रांतिकारी सुपरसोनिक पैराशूट सिस्टम विकसित किया, जो मंगल विज्ञान प्रयोगशाला पर लैंडिंग के दौरान तैनात किया गया था. वह कैल्टेक में जेट प्रोपल्सन प्रयोगशाला में कोल्ड एटम लेबोरेट्री प्रयोगशाला की प्रोजेक्ट मैनेजर भी रहीं और वर्तमान में वर्जिन हाइपरलोप वन में सिस्टम्स इंजीनियरिंग की वाइस प्रेसिडेंट के तौर पर काम कर रही हैं. उन्होंने एक स्पॉट बनाने पर भी काम किया, जो अंतरिक्ष के वैक्यूम से 10 अरब गुना अधिक ठंडा होगा.

वैक्यूम ट्यूब का सपना
एक वैक्यूम ट्यूब में 1123 किलोमीटर प्रति घंटे की रफ्तार से चलने की क्षमता होगी. आप घंटों के बजाय कुछ मिनटों में अपनी मंजिल तय कर सकेंगे. वर्जिन के हाइपरलूप वन प्रोजेक्ट की ये वो बात है, जो कभी इसका लक्ष्य नहीं रही थी. टेस्ला कंपनी के सहसंस्थापक इलोन मस्क ने पहली बार हाइपरलूप का आइडिया दिया था. फिर इससे जुड़ी कई परियोजनाओं पर काम शुरू हुआ. इस प्रोजेक्ट को शुरू करने वाली भी अनीता सेनगुप्ता ही थीं. दुनिया ने देखा कि मैग्नेटिक लेविटेशन टेक्नॉलॉजी (चुंबकीय उत्तोलन तकनीक) के सहारे एक वैक्यूम ट्यूब में ट्रेन चलाई जा सकती है और आने वाले कल की ये एक क्रांतिकारी परिवहन व्यवस्था होगी.

मैग्नेटिक लेविटेशन ट्रेन
ऐसी ही एक ट्रेन शंघाई से उसके एयरपोर्ट के बीच 430 किलोमीटर प्रति घंटे की रफ्तार से चलती है. लेकिन, अब माग्लेव या मैग्नेटिक लेविटेशन ट्रेन को एक वैक्यूम ट्यूब में रखकर चलाने की योजना पर काम किया जा रहा है. इसका नाम 'हाइपरलूप वन' है. लास वेगास से 40 मील उत्तर में मौजूद रेगिस्तान में पहुंचकर आप इस महंगी परियोजना पर चल रहे काम का जायजा ले सकते हैं. प्रयोग के लिए 500 मीटर लंबा टेस्ट ट्रैक तैयार किया गया है. 300 लोगों की टीम इस प्रोजेक्ट पर काम कर रही है जिनमें 200 काबिल इंजीनियरों का दल है.

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नासा की वैज्ञानिक
हाइपरलूप वन ने अभी तक कई प्रयोग किए हैं और ट्यूब में पॉड की रफ्तार को 378 किलोमीटर प्रति घंटे की चाल तक ले जाने में कामयाबी पाई है. हालांकि, अभी तक पॉड में किसी को बिठाया नहीं गया है. अंतरिक्ष वैज्ञानिक अनीता सेनगुप्ता इंजीनियरों की इस टीम का नेतृत्व कर रही हैं. अनीता सेनगुप्ता नासा के मार्स क्यूरोसिटी रोवर प्रोजेक्ट को डेवलप करने में मदद दे चुकी हैं. वे दूसरे ग्रहों पर किसी गाड़ी को उतारने की 'इंजीनियरिंग संबंधी चुनौतियों' की बात करते हुए इस प्रोजेक्ट को हकीकत में बदलने में जुटी हैं. अनीता के मुताबिक, ये एक रियलिस्टिक प्रोजेक्ट है क्योंकि यहां अपने आस-पास डेवलेपमेंट टेस्ट का जायजा ले सकते हैं.

2021 तक पूरा होग वैक्यूम ट्यूब प्रोजेक्ट
अनीता के मुताबिक, हाइपरलूप एक मैग्लेव ट्रेन है जो वैक्यूम ट्यूब में चलेगी. आप इसे ऐसे भी देख सकते हैं कि एक विमान दो लाख फिट की ऊंचाई पर चल रहा हो. लोगों को हवाई जहाज में यात्रा करने में कोई दिक्कत नहीं होती है और लोगों को मैग्लेव ट्रेनों में भी यात्रा करने पर एतराज नहीं होगा. अनीता के मुताबिक, हाइपरलूप वन प्रोजेक्ट सुरक्षा टेस्ट पास कर जाएगा और साल 2021 तक व्यावसायिक रूप से इसका ऑपरेशन शुरू हो जाएगा.

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