फेक वीडियो रोकने के लिए Facebook कर रही है तैयारी, जुकरबर्ग ने दी जानकारी
जुकरबर्ग का मानना है कि 'डीपफेक' वीडियो बिल्कुल अगल कैटेगरी की चीज है और इसे फर्जी जानकारी देने वाले वीडियो की श्रेणी से अलग रखा जाना चाहिए.
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सैन फ्रांसिस्को: फेसबुक के सीईओ मार्क जुकरबर्ग ने कहा है कि वह इस बात का मूल्यांकन कर रही है कि कृत्रिम मेधा (आर्टिफिशिलय इंटेलिजेंस) और आधुनिक तकनीकों (एडवांस्ड टेक्नोलॉजी) के इस्तेमाल के जरिए बिल्कुल वास्तविक लगने वाले फर्जी वीडियो (डीपफेक वीडियो) को रोकने के लिए किस प्रकार के कदम उठाये जाने चाहिए. उन्होंने एक साक्षात्कार में कहा कि 'डीपफेक वीडियो' को गलत सूचना फैलाने वाले वीडियो से अलग तरीके से निपटना चाहिए.
जानकारी की पहचान करना फेसबुक का काम नहीं- मार्क
फेसबुक का लंबे समय से यह मानना रहा है कि यह तय करना उसका काम नहीं है कि कौन सी जानकारी तथ्यात्मक रूप से सही और कौन सी गलत. कंपनी के मुताबिक यह काम तथ्य जांच करने वाले लोगों का है. जुकरबर्ग का मानना है कि 'डीपफेक' वीडियो बिल्कुल अगल श्रेणी की चीज है और इसे फर्जी जानकारी देने वाले वीडियो की श्रेणी से अलग रखा जाना चाहिए. उन्होंने कहा कि कृत्रिम बुद्धिमत्ता (आर्टिफिशियल इंटेलीजेंस) बहुत तेजी से आगे बढ़ रहा है और ऐसे में इस तरह के वीडियो के संबंध में नीति का विकास 'बहुत महत्वपूर्ण' है.
फेक वीडियो सोशल मीडिया के लिए बड़ा खतरा
उल्लेखनीय है कि डीपफेक वीडियो से जु़ड़ा खतरा हाल के वर्षों में उभरा है और इससे निपटने के लिए फेसबुक सहित अन्य सोशल मीडिया कंपनियों के पास अभी कोई नीति नहीं है. दरअसल, कृत्रिम बुद्धिमत्ता एवं आधुनिक तकनीकों के इस्तेमाल के जरिए हाल के दिनों में किसी वीडियो क्लिप पर किसी और व्यक्ति का चेहरा लगाने का चलन तेजी से बढ़ा है. इसके जरिए कृत्रिम तरीके से ऐसे क्लिप विकसित कर लिए जा रहे हैं जो देखने में बिल्कुल वास्तविक लगते हैं.