ICAI ने मांग की है कि टैक्सपेयर्स को स्टैंडर्ड डिडक्शन में भी रिलीफ देने के लिए इसकी लिमिट बढ़ाने की जरूरत है. इनकम टैक्स के तहत अभी स्टैंडर्ड डिडक्शन की लिमिट 50 हजार रुपए है. इसे बढ़ाकर 1 लाख रुपए किया जाना चाहिए.
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नई दिल्ली : Budget 2022 : पिछले कुछ सालों से आम बजट में नौकरीपेशा टैक्सपेयर्स को कोई खास राहत नहीं मिल रही है. इस बार के बजट से नौकरीपेशा को बहुत उम्मीदें हैं. वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण से उम्मीद है कि वह इस बार के बजट में टैक्सपेयर्स को निराश नहीं करेंगी. कोविड महामारी में अर्थव्यवस्था को बूस्ट करने के लिए टैक्सपेयर्स को राहत देना जरूरी है. सूत्रों का कहना है कि इस बार वित्त मंत्री नौकरीपेशा को बड़ा फायदा दे सकती हैं. खासकर उन लोगों को जो वर्क फ्रॉम होम (Work from home) कर रहे हैं.
कोरोना काल के दौरान Work From Home करने से नौकरीपेशा का खर्च बढ़ गया है. इंटरनेट-ब्रॉडबैंड, टेलीफोन, फर्नीचर और बिजली का बिल पहले के मुकाबले ज्यादा है. पहले ऑफिस इंफ्रास्ट्रक्चर में इन सब खर्च की बचत होती थी. ऐसे में उम्मीद है कि आगामी बजट (Budget 2022) में नौकरीपेशा को सरकार से वर्क फ्रॉम होम अलाउंस (Work from home allowance) की सौगात मिल सकती है.
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टैक्स सर्विसेज और फाइनेंशियल सर्विस देने वाली कंपनी Deloitte India ने मांग की है कि कर्मचारियों को वर्क फ्रॉम होम अलाउंस दिया जाना चाहिए. यदि सरकार सीधे तौर पर अलाउंस नहीं दे सकती तो आयकर में छूट का प्रावधान करना चाहिए. डेलॉएट ने ब्रिटेन में वर्क फ्रॉम होम (Work from home) कल्चर का जिक्र किया.
डेलॉएट की तरफ से कहा गया कि ब्रिटेन में कर्मचारियों को टैक्स रिलीफ देने के लिए सरकार ने खास नियम बनाए हैं. भारत में इस तरह से नौकरी करने वालों को छूट दी जा सकती है. Deloitte India की सलाह है कि जो कर्मचारी अपने घरों से काम कर रहे हैं उनको 50 हजार रुपए तक का वर्क फ्रॉम होम अलाउंस डिडक्शन दिया जाए.
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इंस्टीट्यूट ऑफ चार्टर्ड अकाउंटेंट्स ऑफ इंडिया (ICAI) ने भी अपनी सिफारिशों में ऐसी ही डिमांड की है. ICAI की सलाह है कि सरकार को बजट 2022 में वर्क फ्रॉम होम खर्च पर टैक्स रिलीफ देना चाहिए. फर्नीचर या घर पर ऑफिस सेटअप पर होने वाले खर्च पर टैक्स छूट मिलनी चाहिए.
ICAI ने मांग की है कि टैक्सपेयर्स को स्टैंडर्ड डिडक्शन में भी रिलीफ देने के लिए इसकी लिमिट बढ़ाने की जरूरत है. इनकम टैक्स के तहत अभी स्टैंडर्ड डिडक्शन की लिमिट 50 हजार रुपए है. इसे बढ़ाकर 1 लाख रुपए किया जाना चाहिए. स्टैंडर्ड डिडक्शन की मांग वैसे खर्च के लिए की जा रही है जो ऑफिस के काम पर होता है और यह प्रोफेशनल टैक्स के अतिरिक्त होता है.