Budget Expectation 2018 : समान अधिकार के साथ और भी बहुत कुछ चाहती हैं महिलाएं इस बजट से
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Budget Expectation 2018 : समान अधिकार के साथ और भी बहुत कुछ चाहती हैं महिलाएं इस बजट से

नौकरीपेशा, मजदूर, कारोबारी, युवा वर्ग आदि के साथ-साथ महिलाओं को भी इस बजट से काफी उम्मीदें हैं. 

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और वित्त मंत्री अरुण जेटली. (फाइल फोटो)

नई दिल्ली: केंद्र में सत्तारूढ़ नरेंद्र मोदी सरकार कल आम बजट पेश करेगी. 1 जुलाई 2017 को गुड्स एंड सर्विस टैक्स लागू होने के बाद यह पहला बजट होगा. देश के नौकरीपेशा, मजदूर, कारोबारी, युवा वर्ग आदि के साथ-साथ महिलाओं को भी इस बजट से काफी उम्मीदें हैं. खासकर समान काम-समान अधिकार को लेकर इस सरकार से भी महिलाओं ने उम्मीदें लगा रखी हैं. वित्त मंत्री अरुण जेटली के पिटारे में इस बार महिलाओं के लिए क्या होगा, इस पर तमाम नौकरपेशा, बड़े शहरों में अकेले रहकर काम करने वाली महिलाएं और युवा अवस्था में नौकरी पाने की जद्दोजहद में लगीं युवतियां जेटली के बजट पर निगाह जमाए हुई हैं.

  1. नौकरीपेशा महिलाओं को है बजट से कई उम्मीदें
  2. टैक्स में छूट से लेकर समान काम के अधिकार की दरकार
  3. कामकाजी महिलाओं को सरकार से मदद की है आस

टैक्स में रियायत
देश के आम नौकरी करने वाले पुरुषों की तरह महिलाओं को भी जेटली के बजट से टैक्स में छूट की ख्वाहिश है. यदि यह सरकार देश के कामकाजी वर्ग को ध्यान में रखते हुए इनकम टैक्स में छूट की ‌व्यवस्था करती है तो जाहिर है इसके दायरे में लाखों महिलाएं भी आएंगी. यह नौकरीशुदा महिलाओं के लिए काफी फायदेमंद होगा.

महिला एवं बाल विकास
महिला एवं बाल विकास से संबंधित कार्यक्रमों के लिए पिछले बजट में भी सरकार ने फंड में बढ़ोतरी की थी. इस बार भी महिलाओं को उम्मीद है कि सरकार इस दिशा में सोचेगी. साथ ही इस मंत्रालय के काम-काज का दायरा और बढ़े, इसके मद्देनजर भी सरकार से महिलाओं को काफी उम्मीदें हैं. वहीं, सरकार यदि महिला एवं बाल विकास से संबंधित कुछ नई योजनाएं लाती हैं तो यह भी देश की प्रगति में सहायक होगा.

समान अधिकार की लड़ाई
मोदी सरकार ने अपने पिछले बजट में महिला सशक्तीकरण के लिए एक हजार करोड़ रुपए का प्रबंध किया था. इसके तहत समान अधिकार, आर्थिक अवसर, कानूनी सहायता आदि संबंधी काम होने थे. सरकार के तमाम प्रयासों के बावजूद देश में महिलाओं की वर्तमान स्थिति इस दिशा में और काम किए जाने की गुंजाइश बताती है. यानी महिला सुरक्षा और महिलाओं के अधिकार से जुड़े मुद्दों पर अभी और गंभीरता दिखाने की जरूरत है. मोदी सरकार के इस आखिरी बजट से महिलाओं को उम्मीद है कि सरकार इस दिशा में नए प्रयासों के प्रति गंभीर रहेगी. साथ ही महिलाओं के प्रति समाज को जागरूक करने से संबंधित योजनाओं को तत्परता से अमल में लाएगी.

मातृत्व अवकाश का मसला
पिछले बजट की तरह ही इस बजट से भी महिलाओं को उम्मीद है कि गर्भवती महिलाओं की आर्थिक सहायता पहुंचाने में सरकार सहयोग करेगी. बता दें कि सरकार ने इंदिरा गांधी मातृत्व सहयोग योजना के लिए वर्ष 2016-17 में 400 करोड़ की राशि दी थी. इसे वर्ष 2017-18 में बढ़ाकर 21 हजार करोड़ कर दिया गया है.

कामकाजी महिलाओं को सपोर्ट
आज महिलाएं हर क्षेत्र में पुरुषों के साथ कदम से कदम मिला रही हैं. यहां तक कि महिलाओं द्वारा चलाए जा रहे कई स्टार्ट-अप की प्रगति पुरुषों के मुकाबले ज्यादा बेहतर है. ऐसे में सरकार को ऐसी योजनाएं लानी चाहिए जो महिलाओं के स्टार्ट-अप को और बेहतर करने में मददगार हो सके. साथ ही महिलाओं को आत्मनिर्भर बनाने के लिए उन्हें प्रशिक्षण दिलाने, आर्थिक सहयोग मुहैया कराने की दिशा में भी काम करने की जरूरत है.

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