बजट 2018: रेलवे का खजाना भरा लेकिन सुहाने सफर का सपना अभी दूर
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बजट 2018: रेलवे का खजाना भरा लेकिन सुहाने सफर का सपना अभी दूर

रेलवे ने 1.47 लाख करोड़ रुपये खर्च कर 2 लाख करोड़ रुपये कमाने का रखा लक्ष्य 

बजट 2018: रेलवे का खजाना भरा लेकिन सुहाने सफर का सपना अभी दूर

नई दिल्ली: वित्त मंत्री अरुण जेटली ने गुरुवार को आम बजट के साथ ही रेल बजट पेश किया. अपने अंतिम पूर्ण बजट में मोदी सरकार ने रेलेवे के लिए 1.47 लाख करोड़ रुपये की घोषणा की है जो अब तक की सबसे बड़ी राशि है. लेकिन इतने भारी भरकम आवंटन के बावजूद रेल यात्रियों को भविष्य में इसका लाभ मिलेगा इसको लेकर संशय की स्थिति है. दरअसल रेलवे का अॉपरेशनल कॉस्ट उसकी परेशानी बढ़ा रहा है. सैलरी, पेंशन और अन्य क्षेत्रों में बढ़ रहे खर्च के कारण रेलवे के आधुनिकीकरण और यात्री सुविधाओं के लिए बहुत कम पैसे बचेंगे. रेलवे को मिलने वाले 100 रुपये के राजस्व में से 96 रुपये परिचालन पर खर्च हो जाते हैं. सरकार की कोशिश आगामी वित्त वर्ष में इस खर्च को घटाकर 92.8 फीसदी पर लाने की है. अगर सरकार इस लक्ष्य को पाने में सफल रहती है तभी यात्री सुविधाओं और आधुनिकीकरण के लिए रेलवे के पास ठीकठाक पैसे बचेंगे.

  1.  73 हजार करोड़ रुपये सुरक्षा पर खर्च होंगे
  2. एक लाख करोड़ से राष्ट्रीय रेल संरक्षा कोष बनेगा
  3. मानव रहित रेलवे फाटकों को 2020 तक खत्म करने का लक्ष्य

रेलवे ने 1.47 लाख करोड़ रुपये खर्च कर 2 लाख करोड़ रुपये कमाने का लक्ष्य रखा है. बजट के बाद रेल मंत्री पीयूष गोयल ने गुरुवार को कहा कि वर्ष 2018-19 के लिए रेलवे को आवंटित 1.47 लाख करोड़ रुपये पूंजीगत व्यय में से 73 हजार करोड़ रुपये सुरक्षा पर खर्च किए जाएंगे. उन्होंने कहा कि बजट में आवंटित 73,065 करोड़ रुपये के अलावा, रेलवे पिछले वर्ष इकट्ठा किए गए 20 हजार करोड़ रुपये रेल सुरक्षा पर खर्च करेगा. यात्रियों की सुरक्षा को लेकर समय-समय पर रेलवे पर सवाल उठते रहे हैं. कई बड़े हादसे रेलवे की सुरक्षा के पोल खोलते रहे हैं. 

सेफ्टी पर रेलवे का जोर
बजट में इस बात का भी ऐलान हुआ कि यात्रियों की सुरक्षा के लिए अगले 5 साल में 1 लाख करोड़ रुपये की राशि से एक राष्ट्रीय रेल संरक्षा कोष बनाया जाएगा. इसके साथ ही मानव रहित रेलवे क्रॉसिंग पर हो रही दुर्घटनाओं को रोकने के लिए ब्राड गेज लाइन पर मानव रहित रेलवे फाटकों को 2020 तक खत्म कर दिया जाएगा. 

बढ़ेगी कैपेसिटी
बजट में प्रस्तावित ज्यादातर राशि रेलवे की कैपेसिटी बढ़ाने पर खर्च होगी. देश में 36,000 किलोमीटर की नई रेलवे लाइन बिछाई जाएंगी. 18,000 किमी रेलवे लाइन डबल की जाएगी. करीब तीन या चार ट्रैक वाली करीब 4 हजार किलोमीटर लाइन बिछाने का टारगेट है. 600 ट्रेनों को मॉडर्न बनाने के लिए इनकी पहचान की जा चुकी है. वहीं 4,000 किलोमीटर ट्रैक के इलेक्ट्रिफिकेशन का टारगेट भी पूरा कर लिया गया है. 

दो शहरों को सौगात 
मुंबई को देश के बाकी हिस्सों से जोड़ने वाली रेलवे लाइन के 90 किलोमीटर ट्रैक को डबल किया जाएगा. इस पर 11 हजार करोड़ खर्च होंगे. वहीं मुंबई में 150 किलोमीटर का नया सबअर्ब रेलवे नेटवर्क तैयार होगा. कुछ स्टेशनों पर एलिवेटेड कॉरिडोर बनेंगे. इसके लिए 40 हजार करोड़ का फंड रखा गया है. मुंबई में सबअर्बन रेल लाइन पर 2342 लोकल ट्रेन चलती हैं. इनमें हर दिन 75 लाख लोग सफर करते हैं. पहली बार इस ट्रैक का विस्तार किया जा रहा है. दूसरी ओर बेंगलुरु शहर के में सबअर्बन इलाकों में 170 किलोमीटर रेलवे नेटवर्क बढ़ाने का प्लान है जिस पर 17,000 करोड़ रुपए खर्च होंगे.

बढ़ रहा खर्च रेलवे के लिए चुनौती
अगले वित्त वर्ष में रेलवे ने 2 लाख करोड़ रुपये कमाई का लक्ष्य रखा है लेकिन रेलवे अपने बढ़ रहे खर्च को लेकर परेशान है. सैलरी, पेशन और अन्य क्षेत्रों में बढ़ रहा खर्च रेलवे की परेशानी बढ़ा रहा है. अगले साल रेलवे को पेंशन पर ही 48 हजार करोड़ रुपये खर्च करने होंगे.स्टाफ और तेल पर होने वाले खर्च में भी 6 प्रतिशत की बढ़ोतरी होगी. रेलवे के रेवेन्यू टारगेट को रेलवे यूनियर हकीकत से परे मान रहे हैं. उनका कहना है कि रेलवे के लिए इतना रेवेन्यू हासिल कर पाना मुश्किल है. 

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