डेढ़ सौ साल से ज्यादा पुराना है भारत में बजट का इतिहास
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डेढ़ सौ साल से ज्यादा पुराना है भारत में बजट का इतिहास

भारत में ईस्ट इंडिया कंपनी के राज से ही बजट पेश किया जाता रहा है, पहला बजट वर्ष 1860 में पेश किया गया.

जीएसटी लागू होने के बाद यह पहला बजट होगा....(फाइल फोटो)

नई दिल्ली: 1 फरवरी को को वित्त मंत्री अरुण जेटली आम बजट पेश करेंगे. देश में 1 जुलाई 2017 से गुड्स एंड सर्विस टैक्स यानी जीएसटी लागू होने के बाद यह पहला बजट होगा. इसलिए पूरे देश की निगाह इस पर लगी है. 2019 में आम चुनाव होने हैं. कई राज्यों में भी चुनाव होने वाले हैं. जाहिर है यह बजट इस सरकार का आखिरी पूर्ण बजट होगा. आइए हम आपको बजट से जुड़े कई तथ्यों से परिचय कराते हैं. वैसे तो देश में बजट पेश करने का इतिहास 150 साल से ज्यादा पुराना है. लेकिन आपके मन में सवाल उठ रहे होंगे कि भारत में बजट की परंपरा कब शुरू हुई? किसने इसकी शुरुआत की? इसके क्या-क्या नियम हैं? ऐसी और तमाम जानकारी हम आपके लिए जुटाकर लाए हैं. तो आइए इनके बारे में जानते हैं: 

  1. अंग्रेजों ने शुरू की थी भारत में बजट पेश करने की परंपरा
  2. स्वतंत्रता प्राप्ति के बाद पेश हुआ था 7 महीने का बजट
  3. लैटिन भाषा के बोजेट शब्द से बना है 'बजट'

1860 में पेश हुआ था भारत का पहला बजट

भारत में आम बजट या बजट का इतिहास 150 साल से ज्यादा पुराना है. यानी ईस्ट इंडिया कंपनी के राज से ही बजट पेश किया जाता रहा है. अंग्रेजों की हुकूमत के दौरान सबसे पहले भारत का बजट वर्ष 1860 में पेश किया गया. यह बजट तत्कालीन ब्रितानी साम्राज्य में बनाए गए भारतीय काउंसिल के वित्त मंत्री जेम्स विल्सन ने 7 अप्रैल 1860 को पेश किया था. अर्थशास्त्र के विशेषज्ञ विल्सन का काम उस समय भारत के वायसराय को आर्थिक मामलों पर सलाह देना था. इसके करीब 87 साल के बाद स्वतंत्र भारत का पहला बजट पेश किया गया. हालांकि देश की स्वतंत्रता से एक साल पहले भी 1946 में तत्कालीन अंतरिम सरकार ने अपना बजट पेश किया था.

आजादी मिलने के 3 महीने बाद पहला बजट
वर्ष 1947 में 15 अगस्त की आधी रात को भारत तकरीबन दो सौ वर्षों की गुलामी के बाद अंग्रेजों के कब्जे से आजाद हुआ. इसके लगभग तीन महीने बाद स्वतंत्र भारत का पहला बजट पेश किया गया. इसे बजट को प्रस्तुत किया था आर. के. षणमुखम चेट्टी ने. चेट्टी ने 26 नवंबर 1947 को शाम 5 बजे स्वतंत्र भारत का पहला बजट पेश किया. यह बजट पूरे साल का न होकर, महज साढ़े सात महीनों के लिए था. यानी 15 अगस्त 1947 से लेकर 31 मार्च 1948 तक के लिए. चेट्टी का बजट दरअसल एक तरह से उस समय के भारत की अर्थव्यवस्था की समीक्षा थी. क्योंकि इसमें किसी तरह के नए टैक्स का प्रस्ताव नहीं रखा गया था. एक कारण यह भी था कि चंद महीने पहले आजाद हुए देश का पहला बजट पेश होने में महज 95 दिन ही बचे थे.

चेट्टी ने ही पेश किया था पहला 'अंतरिम बजट' 
आर. के. षणमुखम चेट्टी के नाम ही देश का पहला अंतरिम बजट पेश करने का रिकॉर्ड भी है. चेट्टी ने वर्ष 1948-49 के लिए अपने बजट भाषण में 'अंतरिम बजट' शब्द का प्रयोग किया था. उसके बाद से ही छोटी अवधि या कम दिनों के लिए पेश होने वाले बजट को अंतरिम बजट के नाम से जाना जाने लगा.

चमड़े के थैले से निकला "बजट"
आपको जानकर हैरानी होगी कि देश की अर्थव्यवस्था का लेखा-जोखा बताने वाले जिस विवरण को आप बजट कहते हैं, उसका इतिहास चमड़े के थैले से जुड़ा है. जी हां, बजट शब्द लैटिन भाषा के "बोजेट" से बना है, जिसका अर्थ होता है चमड़े का थैला. यही बोजेट शब्द आगे चलकर बजट कहा जाने लगा. मध्यकाल में पश्चिमी देशों के व्यापारी रुपए-पैसे रखने के लिए चमड़े के थैले का उपयोग करते थे. बाद के दिनों में आय-व्यय का ब्योरा "बजट" भी चमड़े के थैले में रखकर सदन में लाया जाने लगा. धीरे-धीरे प्रचलन में आकर बजट शब्द सर्वमान्य हो गया.

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