रेल बजट 2018 से रेलवे संगठन हुए नाखुश, NFIR बोली- बजट में गरीबों को अनदेखा किया गया
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रेल बजट 2018 से रेलवे संगठन हुए नाखुश, NFIR बोली- बजट में गरीबों को अनदेखा किया गया

एनएफआईआर ने कहा कि 'बजट प्रस्ताव रेलवे के मौजूदा बुनियादी ढांचे, निर्माण, मरम्मत, रेलवे क्वार्टर के रखरखाव, रेलवे अस्पताल और उसकी स्वास्थ्य इकाइयों में सुधार और विकास के लिए खर्च/आवंटन का संकेत नहीं देते हैं'.

एनएफआईआर ने रेल बजट 2018 पर नाखुशी जाहिर की है... (फाइल फोटो)

नई दिल्‍ली : वित्‍त मंत्री अरुण जेटली ने गुरुवार को आम बजट के साथ ही रेल बजट 2018 को भी पेश किया, लेकिन बजट में सरकार द्वारा की गई घोषणाओं से रेलवे संगठन खुश नहीं दिखे. रेलकर्मियों के देशभर के बड़े संगठन नेशनल फेडरेशन ऑफ इंडियन रेलवेमैन (एनएफआईआर) ने इस बजट पर नाखुशी जाहिर की और कहा कि बजट प्रस्तावों में गरीबों और मजदूर वर्ग को पूरी तरह से अनदेखा किया गया और इसमें उन्‍हें कोई राहत नहीं दी गई.

  1. रेल बजट में गरीबों और मजदूर वर्ग की अनदेखा की गई- रघुवईया
  2. बजट घोषणाओं से काफी हताशा हाथ लगी- एम रघुवईया
  3. रेल बजट में रेलवे कर्मियों की मांगों की अनदेखी की गई- SN मलिक

एनएफआईआर के महासचिव डॉ. एम रघुवईया ने बजट पर प्रतिक्रिया देते हुए कहा कि आयकर छूट स्लैब में कोई बदलाव नहीं किया गया, जिससे मजदूर वर्ग, वरिष्ठ नागरिकों और अन्य करदाता को राहत नहीं मिल पाई. उन्‍होंने कहा कि वित्त मंत्री ने नई पेंशन प्रणाली (एनपीएस) के उन्मूलन के लिए रेल कर्मचारियों की मांग में एक शब्द नहीं कहा.

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उन्‍होंने आगे कहा कि 'बजट प्रस्ताव रेलवे के मौजूदा बुनियादी ढांचे, निर्माण, मरम्मत, रेलवे क्वार्टर के रखरखाव, रेलवे अस्पताल और उसकी स्वास्थ्य इकाइयों में सुधार और विकास के लिए खर्च/आवंटन का संकेत नहीं देते हैं. इस बजट से सरकारी, निजी और असंगठित क्षेत्रों के श्रमिकों को बजट घोषणाओं से काफी हताशा हाथ लगी है, क्‍योंकि न्यूनतम मजदूरी में कोई वृद्धि और बढ़ते कारकों के संकेत नहीं दिए गए'. डॉ. रघुवईया ने आगे कहा, बजट प्रस्तावों में बेरोजगार युवाओं के लिए रोजगार के अवसरों की कमी है, जो अपनी पढ़ाई पूरी होने के बाद रोजगार की प्रतीक्षा कर रहे हैं.

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वहीं, एनएफआईआर के प्रवक्‍ता एसएन मलिक ने भी कहा कि रेल बजट में किए गए प्रस्ताव भारतीय रेल में आउटसोर्सिंग, निजीकरण और निजी कंपनियों को प्रोत्‍साहित करते हैं. उन्‍होंने कहा कि हमें आशा थी कि बजट में निश्चित रूप से रेलवे कर्मचारी को कुछ राहत मिलेगी और निजी आयकर सीमा में 5 लाख तक की न्यूनतम छूट दी जाएगी, लेकिन ऐसा नहीं किया गया और रेलवे कर्मियों की मांगों की भी अनदेखी की गई.

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