रियल्टी क्षेत्र को बजट में टैक्स दरों में कमी तथा आधारभूत संरचना दर्जे की उम्मीद
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रियल्टी क्षेत्र को बजट में टैक्स दरों में कमी तथा आधारभूत संरचना दर्जे की उम्मीद

रेरा, जीएसटी और नोटबंदी जैसे विभिन्न सुधारों से बुरी तरह प्रभावित रियल्टी क्षेत्र को बजट में कर की कम दरें तथा आधारभूत संरचना क्षेत्र का दर्जा जैसी राहतों की उम्मीद है.

रियल एस्टेट क्षेत्र में जीएसटी की दर इनपुट टैक्स क्रेडिट के साथ छह प्रतिशत तय कर देने से क्षेत्र में सुधार होगा और मांग बढ़ेगी. (फाइल फोटो)

मुंबई: रेरा, जीएसटी और नोटबंदी जैसे विभिन्न सुधारों से बुरी तरह प्रभावित रियल्टी क्षेत्र को बजट में कर की कम दरें तथा आधारभूत संरचना क्षेत्र का दर्जा जैसी राहतों की उम्मीद है. वर्ष 2017 रियल्टी क्षेत्र के लिए ढांचागत नीतिगत सुधारों का साल रहा. इनके कारण नये घरों की पेशकश 2016 के 1,75,822 इकाइयों से कम होकर 1,03,570 इकाइयों पर आ गयी थी. नरेड्को के राष्ट्रीय अध्यक्ष निरंजन हीरानंदानी ने कहा, ‘‘रियल एस्टेट क्षेत्र में जीएसटी की दर इनपुट टैक्स क्रेडिट के साथ छह प्रतिशत तय कर देने से क्षेत्र में सुधार होगा और मांग बढ़ेगी.’’ वर्तमान में यह 12 प्रतिशत रखी गई है.

  1. वर्ष 2017 रियल्टी क्षेत्र के लिए ढांचागत नीतिगत सुधारों का साल रहा.
  2. जीएसटी लागू होने से पहले रीयल एस्टेट क्षेत्र में सेवा कर 4.5 प्रतिशत.
  3. जबकि मूल्यवर्धित कर 1% थी जिससे कर की कुल दर 5.5% ही होती थी.

जीएसटी लागू होने से पहले रीयल एस्टेट क्षेत्र में सेवा कर 4.5 प्रतिशत और मूल्यवर्धित कर एक प्रतिशत थी जिससे कर की कुल दर 5.5 प्रतिशत ही होती थी. टाटा हाउसिंग के प्रबंध निदेशक एवं मुख्य कार्यकारी अधिकारी ब्रोटिन बनर्जी ने कहा, ‘‘हम संपत्तियों के पंजीयन तथा अतिरिक्त स्टांप ड्यूटी को कम किये जाने या जीएसटी में मिला दिये जाने की उम्मीद कर रहे हैं. करों में कमी से उपभोक्ता के मद्देनजर वित्तीय बोझ में कमी आएगी.’’ उन्होंने कहा कि रियल एस्टेट को आधारभूत संरचना का दर्जा मिलने से भी निर्माण के लिए ली जाने वाली राशि कम दरों पर उपलब्ध हो पाएंगी.

बजट में कृषि को मिलेगी प्राथमिकता, वित्तमंत्री अरुण जेटली ने दिए संकेत

वहीं दूसरी ओर वित्तमंत्री अरुण जेटली ने रविवार (14 जनवरी) को कहा कि सरकार ने कृषि को अपनी प्राथमिकताओं में सबसे ऊपर रखा है और सरकार यह सुनिश्चित करना चाहती है कि आर्थिक विकास का लाभ किसानों तक भी पहुंचे ताकि समानता लाई जाए. वित्तमंत्री अरुण जेटली रविवार (14 जनवरी) को नेशनल कमोडिटी व डेरिवेटिव्स एक्सचेंज (एनसीडीएक्स) पर ग्वारसीड में ऑप्शंस ट्रेडिंग का नया डेरिवेटिव्स टूल लांच करने के अवसर पर बोल रहे थे.

एक फरवरी को बजट पेश होने के पूर्व वित्तमंत्री के इस बयान को काफी अहम माना जा रहा है क्योंकि चालू वित्त वर्ष में कृषि विकास दर में गिरावट दर्ज की गई है. कर्नाटक, राजस्थान, मध्यप्रदेश और छत्तीसगढ़ जैसे कई प्रमुख कृषि उत्पादक प्रदेशों में विधानसभा चुनाव होने वाले हैं और 2019 में लोकसभा चुनाव भी है. ये सारे ऐसे कारक हैं जो बजटीय आवंटन में कृषि क्षेत्र को प्रमुखता देने में प्रभावकारी बन सकते हैं.

(इनपुट एजेंसी से भी)

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