Sachin Pilot: राजस्थान में राज बदल गया, लेकिन रिवाज कामय रहा. राज्य में हर 5 साल में सरकार बदलने का 'रिवाज' कायम रहा. जबकि, 'राज' यानी सरकार बदल गई. राज्य की 200 सीटों वाली विधानसभा में बीजेपी को स्पष्ट बहुमत मिल गया है. पार्टी ने 115 सीटों पर कब्जा किया है. वहीं, कांग्रेस 69 सीटों पर सिमट गई है. बीजेपी का प्रदर्शन पूर्वी राजस्थान में भी शानदार रहा है. यहां 5 जिलों में बीजेपी के विधायकों की संख्या 1 से बढ़कर 13 हो गई है.


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इन 5 जिलों की 13 सीटों पर बीजेपी ने किया कब्जा


बीजेपी ने पांच जिलों भरतपुर, करौली, सवाई माधोपुर, धौलपुर और दौसा में भाजपा ने 13 सीटों पर कब्जा किया है. वहीं, कांग्रेस को आठ सीट मिली है. इसके अलावा आरएलडी और बसपा ने भी एक-एक सीट जीती है, जबकि एक सीट पर निर्दलीय उम्मीदवार विजयी रहा. वहीं, 2018 में हुए चुनाव में कांग्रेस ने 20 सीट पर जीत दर्ज की थी. वहीं, बीजेपी को सिर्फ एक सीट मिली थी. इसके अलावा आरएलडी ने एक सीट पर जीत हासिल की थी. जबकि, दो निर्दलीय उम्मीदवार जीते थे.


पूर्वी राजस्थान में कांग्रेस को क्यों हुआ नुकसान


राजस्थान में कांग्रेस की हार की सबसे बड़ी वजह सचिन पायलट को इग्‍नोर करना हो सकता है. चुनाव से कुछ महीने पहले सचिन पायलट ने अपनी ही सरकार के खिलाफ धरना भी दिया था. पायलट ने भ्रष्टाचार से लेकर पेपर लीक और युवाओं के बीच असंतोष तक का मुद्दा उठाया था. उन्होंने अशोक गहलोत के नेतृत्व वाली कांग्रेस सरकार की विफलता की ओर ध्यान आकर्षित किया था. इसका फायदा बीजेपी ने उठाया.


सचिन पायलट के इस कदम को लोगों ने गहलोत सरकार के खिलाफ एक गुप्त विद्रोह के रूप में देखा. कांग्रेस के भीतर अंदरूनी कलह, असंतुलित टिकट वितरण और पायलट के कई सहयोगियों को दरकिनार किया जाना भी वजह रहा. इस वजह से जब रविवार को राजस्थान चुनाव के नतीजे आए तो कांग्रेस को हार मिली.


कांग्रेस के कोर वोटर्स ने क्यों बीजेपी को दिया वोट?


गुर्जर आबादी हमेशा से कांग्रेस की कोर वोटर रही है. लेकिन, इस बार के चुनाव में गुर्जर आबादी को महसूस हो रहा था कि कांग्रेस की जीत की संभावना नहीं है. इसके साथ ही पायलट को सीएम नियुक्त किए जाने की संभावना भी कम है. इसलिए, युवाओं और समुदाय के एक वर्ग ने बीजेपी का समर्थन करना पसंद किया.


चुनाव प्रचार के दौरान पीएम मोदी ने कहा था कि एक गुर्जर नेता को 'नजरअंदाज' करने का कांग्रेस का फैसला समुदाय का अपमान है. इसका असर भी चुनाव पर हो सकता है. इस वजह से कांग्रेस पूर्वी राजस्थान में जीत दोहराने में असमर्थ रही, जहां उसने 2018 में गुर्जर-प्रभावी बेल्ट में बड़ी जीत हासिल की थी. वहीं, सचिन पायलट ने अपनी सीट तो जीत ली, लेकिन उनकी जीत का अंतर 2018 से कम हो गया.