Telangana Election Results: तेलंगाना में वोटों की गिनती जैसे जैसे आगे बढ़ ही है मुख्यमंत्री के.चंद्रशेखर राव का सपनों का सफर अब ख़त्म होता दिख रहा है कांग्रेस न केवल तेलंगाना में भारी जीत की ओर बढ़ रही है, बल्कि राज्य के दो बार के मुख्यमंत्री राव जिन दो सीटों पर चुनाव लड़ रहे हैं उनमें से एक से पीछे चल रहे हैं. खबर लिखे जाने तक वह अपने गढ़ गजवेल निर्वाचन क्षेत्र आगे चल रहे हैं जबकि कामारेड्डी में जहां उनका मुकाबला युवा राज्य कांग्रेस प्रमुख रेवंत रेड्डी से है, वह पीछे चल रहे हैं.


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तेलंगाना राष्ट्र समिति - जिसका नाम अब बदलकर भारत राष्ट्र समिति कर दिया गया है - ने राज्य आंदोलन का नेतृत्व किया था. 2014 में आंध्र प्रदेश से अलग राज्य बनने के बाद, इसे एक दशक तक लोगों का निर्विवाद समर्थन मिला. लेकिन अब तेलंगाना बदलाव के लिए तैयार दिख रहा है.


पीएम मोदी के बयान से बड़ा झटका
मूड में बदलाव का कारण आंशिक रूप से राव और पार्टी के वरिष्ठ नेताओं के खिलाफ भ्रष्टाचार के आरोप थे. इससे भी बड़ा झटका प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की उस टिप्पणी से लगा कि राव ने एनडीए में शामिल होने की कोशिश की थी और उन्हें अस्वीकार कर दिया गया. पड़ोसी राज्य कर्नाटक में अपनी भारी जीत के बाद उत्साहित कांग्रेस ने यह दावा करते हुए इसका फायदा उठाया कि बीआरएस का भाजपा के साथ हाथ मिला हुआ है.


बीजेपी से बीआरएस की करीबियों की चर्चाओं को तब बल मिला जब दिल्ली की सत्तारूढ़ आम आदमी पार्टी के नेताओं के विपरीत, राव की बेटी के कविता से केंद्रीय एजेंसियों द्वारा पूछताछ नहीं की गई - गिरफ्तारी की तो बात ही छोड़िए. हालांकि उनका नाम भी दिल्ली शराब घोटाले में सामने आया था.


राष्ट्रीय महत्वकांक्षाएं
पिछले कुछ वर्षों से, राव ने राष्ट्रीय महत्वाकांक्षाएं पाल रखी थीं. 2019 के आम चुनाव से पहले, उन्होंने विभिन्न विपक्षी नेताओं से मुलाकात की थी - जिसमें बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी और उनके ओडिशा समकक्ष नवीन पटनायक भी शामिल थे - ताकि एक गठबंधन तैयार किया जा सके जिसमें कांग्रेस और भाजपा को बाहर रखा जाए.


हालांकि उनकी कोशिशें कामयाब नहीं हो सकी, लेकिन उन्होंने हार नहीं मानी. जैसे ही विपक्ष ने इंडिया गठबंधन को मजबूत किया, राव को आम आदमी पार्टी के प्रमुख अरविंद केजरीवाल और समाजवादी पार्टी के प्रमुख अखिलेश यादव के साथ तालमेल बिठाते देखा गया.


फिर, एक बड़ा कदम उठाते हुए, उन्होंने अपनी पार्टी का नाम बदल दिया - तेलंगाना से हटाकर भारत कर दिया. कई लोगों ने फोकस में बदलाव पर सवाल उठाया था और सवाल किया कि क्या यह नवोदित राज्य के लोगों को अच्छा लगेगा.


चुनाव ने सवाल करने वालों को सही साबित कर दिया है. रुझानों में कांग्रेस को स्पष्ट बहुमत मिल गया है.ल