घर में पुत्र के न होने पर ऐसे किया जा सकता है श्राद्ध

shilpa jain
Oct 12, 2023

श्राद्ध पक्ष का महत्व

हिंदू शास्त्रों में पितृ पक्ष को विशेष महत्व दिया गया है. कहते हैं कि ये 16 दिन पितरों को समर्पित होते हैं और इन दिनों में उनके निमित श्राद्ध कर्म आदि किए जाते हैं.

कौन करता है श्राद्ध

शास्त्रों के अनुसार पितरों की आत्मा की शांति और मोक्ष प्राप्ति के लिए पितरों के निमित श्राद्ध पुत्र द्वारा किया जाता है. पहला स्थान बेटे को दिया गया है.

पुत्र है अधिकारी

ज्योतिष शास्त्र में कहा गया है कि पुत्र की श्राद्ध कर्म, तर्पण और पिंडदान आदि करने का अधिकारी होता है.

पुत्र के न होने पर कौन करता है श्राद्ध

कई बार ऐसा भी होता है कि किसी के घर में पुत्र नहीं होते. ऐसी स्थिति में हर कोई सोचता है कि पितरों के निमित श्राद्ध कौन कर सकता है. जानें इस बारे में.

भतीजा करता है श्राद्ध

धार्मिक ग्रंथों में श्राद्ध का अधिकार वैसे तो ज्येष्ठ पुत्र का ही दिया गया है. लेकिन अगर किसी व्यक्ति का पुत्र नहीं है, तो श्राद्ध भाई का पुत्र यानी भतीजा भी कर सकता है.

नाती भी कर सकता है श्राद्ध

ऐसा भी कहा गया है कि अगर किसी व्यक्ति के श्राद्ध करने के लिए पुत्र नहीं है, तो ऐसी स्थिति में बेटी का पुत्र यानी नाती भी श्राद्ध कर सकता है.

दामाद कर सकता है श्राद्ध

शास्त्रों में ऐसा भी कहा गया है कि पुत्र और पुत्र के बेटे न होने पर पुत्री का पति यानी की दामाद भी श्राद्ध कर सकते हैं.

यूं करें श्राद्ध

ज्योतिष शास्त्र के अनुसार अगर घर का बड़ा बेटा शादीशुदा है तो उसे पत्नी के साथ मिलकर श्राद्ध कर्म पूरे श्रद्धा भाव के साथ करना चाहिए.

बेटे की पत्नी भी कर सकती है श्राद्ध

शास्त्रों में बताया गया है कि अगर किसी व्यक्ति का बेटा नहीं है तो उसकी पत्नी भी श्राद्ध कर सकती है. वहीं, व्यक्ति का सगा भाई या चचेरा भाई भी श्राद्ध कर सकता है.

इन बातों का रखें ध्यान

शास्त्रों के अनुसार अगर किसी के दो बेटे हैं, तो बड़े बेटे को ही श्राद्ध करना चाहिए. वहीं, बड़े बेटे के न होने पर ही छोटे बेटे को श्राद्ध करना चाहिए.

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