20 अप्रैल को साल का पहला सूर्य ग्रहण लगने जा रही है. ये कंकणाकृति सूर्य ग्रहण होगा, जो भारत में नहीं दिखेगा. इस कारण इससे पहले लगने वाला सूतक काल भी मान्य नहीं होगा.

Zee News Desk
Apr 10, 2023

ज्योतिष शास्त्र के अनुसार सूर्य और चंद्र ग्रहण लगने के पीछे एक रोचक पौराणिक कहानी है. जो समुद्र मंथन से जुड़ी हुई हैं, तो चलिए इसके बारे में विस्तार से जानते हैं.

ग्रहण के बारे में जानकारी समुद्र मंथन की कथा से जुड़ा हुआ है. बताया जाता है कि समुद्र मंथन में कुल 14 रत्नों की उत्पत्ति हुई थी, जिसमें से एक अमृत कलश भी था.

अमृत कलश को लेकर देवता और दानव में विवाद उत्पन्न हो गया. जिसे निपटाने के लिए विष्णु भगवान ने मोहिनी का भेष धारण करके सब में अमृत बांटने का निर्णय लिया.

इसके लिए उन्होंने देवता और दानव की अलग-अलग पंक्ति बनवाई और अमृत बांटना शुरू किया. तभी दानव में स्वर्भानु नाम का असुर चुपके से आकर देवों की पंक्ति में बैठ गए.

जैसे ही असुर स्वर्भानु सूर्य और चंद्रमा के बगल के बैठ कर अमृत हाथ में लिया, तभी सूर्य और चंद्र ने उसकी पहचान कर ली और विष्णु भगवान को बता दिया.

इस पर भगवान विष्णु ने क्रोध में आकर अपने सुदर्शन चक्र से स्वर्भानु का गला काट दिया. लेकिन जब तक अमृत असुर के गले से नीचे उतर चुका था.

स्वर्भानु के सिर वाले हिस्से को राहु और धड़ वाले हिस्से को केतु कहा जाने लगा. ज्योतिष शास्त्र के अनुसार स्वर्भानु की इस अपनी दशा के कारण सूर्य और चंद्र के दुश्नमन बन गए. यही मुख्य कारण बताया गया है कि राहु और केतु ही सूर्य और चंद्र ग्रहण की वजह हैं.

साथ ही अमावस्या और पूर्णिमा के दिन राहु-केतु क्रमशः सूर्य और चंद्रमा को निगल लेते हैं. जिसे ग्रहण कहा जाता है. जिससे दुनिया को रोशनी देने वाले सूर्य और चन्द्रमा भी अंधकार में समा जाते है.

(Disclaimer: यहां दी गई जानकारी सामान्य मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. ZEE NEWS इसकी पुष्टि नहीं करता है.)

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