इंडियन आर्मी की सबसे खूंखार रेजिमेंट, इस खास हथियार से लड़ते हैं युद्ध, दुश्मन भी सामना करने से खाता है खौफ!

Kunal Jha
Jan 10, 2025

गोरखा रेजिमेंट को भारतीय सेना की सबसे साहसी और बहादुर रेजिमेंट में से एक माना जाता है. ये सैनिक अपने युद्ध कौशल, बहादुरी और गजब की ताकत के लिए पूरी दुनिया में मशहूर हैं.

इनकी खासियत यह है कि वे हर परिस्थिति में दुश्मन का सामना करने के लिए तैयार रहते हैं, चाहे सामने मौत ही क्यों न खड़ी हो.

"अगर कोई कहे कि वह मरने से नहीं डरता, तो या तो वह झूठ बोल रहा है या फिर वह गोरखा है." – यह कहावत गोरखा सैनिकों के जज्बे को बखूबी बयां करती है.

गोरखा रेजिमेंट का इतिहास

गोरखा रेजिमेंट की स्थापना 1815 में ब्रिटिश ईस्ट इंडिया कंपनी द्वारा की गई थी. गोरखा सैनिकों ने ब्रिटिश सेना के साथ कई ऐतिहासिक युद्ध लड़े. 1947 में भारत की आजादी के बाद, गोरखा रेजिमेंट को भारतीय सेना में शामिल किया गया.

खुकरी – गोरखाओं की पहचान

गोरखा सैनिकों की सबसे बड़ी पहचान उनकी खुकरी है. यह एक खास प्रकार का घुमावदार चाकू होता है, जो युद्ध के दौरान गोरखा सैनिकों का मुख्य हथियार माना जाता है. कहा जाता है कि खुकरी को म्यान से निकालने के बाद बिना खून बहाए वापस नहीं रखा जाता.

गोरखा सैनिकों की खासियत

गोरखा सैनिक बेहद कठिन हालात में भी डटे रहते हैं. वे किसी भी दुश्मन से बिना डरे भिड़ने का जज्बा रखते हैं. गोरखा सैनिकों की शारीरिक ताकत और फिटनेस कमाल की होती है.

प्रमुख युद्धों में गोरखा रेजिमेंट का योगदान

गोरखा रेजिमेंट ने भारतीय सेना के साथ कई महत्वपूर्ण युद्धों में हिस्सा लिया है. इनकी बहादुरी ने हर बार देश का सिर गर्व से ऊंचा किया है. गोरखा रेजिमेंट ने 1962 के भारत-चीन युद्ध, 1971 के भारत-पाकिस्तान युद्ध और 1999 के कारगिल युद्ध में डटकर दुश्मनों का सामना किया है.

दुश्मनों के लिए खौफ का दूसरा नाम – गोरखा रेजिमेंट

गोरखा सैनिकों की बहादुरी का आलम यह है कि कई बार दुश्मन उनकी मौजूदगी भर से मैदान छोड़कर भाग जाते हैं. इतिहास में कई ऐसे मौके आए हैं, जब गोरखा सैनिकों की एक छोटी सी टुकड़ी ने बड़ी-बड़ी दुश्मन सेनाओं को हराया है.

गोरखा रेजिमेंट का नारा

गोरखा रेजिमेंट का प्रसिद्ध नारा है: "जय महाकाली, आयो गोरखाली". इस नारे का मतलब है - "महाकाली की जय, गोरखा आ रहा है." यह नारा युद्ध के दौरान गोरखा सैनिकों का जोश बढ़ाने के लिए लगाया जाता है.

गोरखा सैनिकों की वैश्विक पहचान

गोरखा सैनिक न सिर्फ भारतीय सेना का हिस्सा हैं, बल्कि वे ब्रिटिश और नेपाली सेना में भी सेवाएं देते हैं. गोरखा रेजिमेंट की वीरता को दुनिया भर की सेनाएं सलाम करती हैं.

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