जब वीर बुंदेलों ने मुगल सल्तनत के खिलाफ उठाई आवाज़, बौखलाए बादशाह ने मचाया था कत्लेआम

Arti Azad
Aug 15, 2024

हिंदुस्तान में कई पीढ़ियों तक शासन करने वाले मुगलों के खिलाफ कई आवाजें उठीं, जिनका मुगल सल्तनत दमन करती रही. ऐसा ही एक विद्रोह वीर बुंदेलों ने भी किया था.

इतिहास के मुताबिक जहांगीर के शासन काल में बुंदेलखंड के शासक वीर सिंह देव बुंदेला के पास तमाम विशेषाधिकार थे.

वीर सिंह देव बुंदेला का निधन 1627 में हुआ. इसके बाद उनकी जागीर बड़े बेटे जुझार सिंह के हाथों में आई.

इधर जहांगीर के बाद शाहजहां को 1628 में तख्त मिला, तब मुगल दरबार में होने वाले जश्न में शामिल होने का न्योता मिलने पर जुझार सिंह आगरा के लिए रवाना हुआ.

उन्होंने अपने बेटे विक्रमाजीत को राजकाज की जिम्मेदारी सौंपी. सत्ता हाथ में आते ही विक्रमाजीत ने शाही अधिकारियों को परेशान करना शुरू कर दिया.

यह बात मुगल बादशाह तक बात पहुंची तो जुझार सिंह की अनुचित तरीके से पाई गई संपत्ति की जांच का आदेश दिया, जिसे जुझार सिंह ने अपना घोर अपमान समझा.

जुझार सिंह आगरा के किले से जब ओरछा पहुंचें तो युद्ध की तैयारी शुरू कर दी, जिसमें वह हार गया

इसके बाद शाहजहां ने उसे मुगलिया झंडे का विस्तार करने का कहा, लेकिन वह माना नहीं और बुंदेलखंड लौटकर पड़ोसी राजा प्रेमनारायण का चौरागढ़ दुर्ग छीन लिया.

आदेश की नाफरमानी से मुगल तख्त बौखला गया. लूट का हिस्सा मांगने पर जुझार सिंह ने इनकार किया तो शाहजहां ने औरंगजेब को उसकी हत्या करने भेज दिया.

औरंगजेब ने वहां कत्लेआम मचाया. शाही सेना के आगे जुझार सिंह टिक नहीं पाए और वह गोंडा के जंगल में छुपे, जहां गोंडों ने उनको मारकर सिर मुगलों को उपहार में दिया.

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