दुनिया के सबसे कठिन इंजीनियरिंग कोर्स, जिन्हें करने के बाद मिलता है लाखों-करोंड़ों का पैकेज
Kunal Jha
Nov 08, 2023
अगर सबसे कठिन इंजीनियरिंग कोर्स की बात करें, तो यह हर छात्र की स्ट्रेंथ, उसके इंटरेस्ट और उसकी बैग्राउंड नॉलेज के आधार पर कठिनाई का लेवल अलग हो सकता है.
हालांकि, ज्यादातर इंजीनियरिंग कोर्स अपनी टफनेस के लिए ही जाने जाते हैं, लेकिन उनमें से भी कई ऐसे कोर्स हैं, जिन्हें दुनियाभर में इंजीनियरिंग की सबसे कठिन फील्ड माना जाता है.
इलेक्ट्रिकल इंजीनियरिंग (Electrical Engineering)
यह फील्ड काफी कॉम्प्लेक्स सिस्टम्स, इलेक्ट्रॉनिक्स और इलेक्ट्रोमैगनेटिज्म से संबंधित है. सिग्नल प्रोसेसिंग, कंट्रोल सिस्टम और इलेक्ट्रोमैग्नेटिक्स जैसी फील्ड में इंजीनियरिंग का कोर्स काफी चुनौतीपूर्ण हो सकते हैं.
मैकेनिकल इंजीनियरिंग (Mechanical Engineering)
मैकेनिकल इंजीनियरिंग में थर्मोडायनामिक्स से लेकर फ्लूइड डायनामिक्स और सॉलिड मैकेनिक्स तक के टॉपिक्स की एक विस्तृत श्रृंखला शामिल है. इसलिए कुछ छात्रों को सामग्री की व्यापकता और गहराई चुनौतीपूर्ण लगती है.
एयरोस्पेस इंजीनियरिंग (Aerospace Engineering)
एयरोस्पेस इंजीनियरिंग में विमान, अंतरिक्ष यान और संबंधित प्रणालियों का डिजाइन और विश्लेषण शामिल है. इसलिए परिशुद्धता की आवश्यकता (Need for Precision) और उच्च दांव (High Stakes) इसे एक हाई डिमांड वाली फील्ड बनाते हैं.
केमिकल इंजीनियरिंग (Chemical Engineering)
केमिकल इंजीनियरिंग केमेस्ट्री, फिजिक्स और बायोलॉजी के प्रिंसिपल्स को जोड़ती है. यह अपने कठोर मैथेमैटिकल मॉडलिंग और कॉम्प्लेक्स कैमिकल प्रोसेस के लिए जाना जाता है.
न्यूक्लियर इंजीनियरिंग (Nuclear Engineering)
न्यूक्लियर इंजीनियरिंग में न्यूक्लियर रिएक्शन्स, रेडिएशन और न्यूक्लियर रिएक्टरों के डिजाइन की पढ़ाई शामिल है. इस क्षेत्र में सुरक्षा और परिशुद्धता का अत्यधिक महत्व है.
बायोमेडिकल इंजीनियरिंग (Biomedical Engineering)
यह फील्ड इंजीनियरिंग के प्रिंसिपल्स को बायोलॉजी और मेडिसिन के साथ जोड़ता है. इस कोर्स में सब्जेक्ट की अंतःविषय प्रकृति (Interdisciplinary Nature), इंजीनियरिंग और मेडिकल दोनों अवधारणाओं को समझने की आवश्यकता के कारण यह चुनौतीपूर्ण हो सकता है.
सिविल इंजीनियरिंग (Civil Engineering)
सिविल इंजीनियरिंग में पुलों, सड़कों और इमारतों जैसे बुनियादी ढांचे को डिजाइन करना और बनाए रखना शामिल है. इस फील्ड में हर किसी के लिए अलग-अलग कठिनाई हो सकती है, लेकिन संरचनात्मक विश्लेषण (Structural Analysis) और भू-तकनीकी इंजीनियरिंग (Geotechnical Engineering) विशेष रूप से चुनौतीपूर्ण क्षेत्र हो सकते हैं.