हरम नहीं इस खेल का दीवाना था ये मुगल बादशाह

Zee News Desk
Nov 18, 2023

कुछ मुगल बादशाह भी खेलों में काफी रूचि रखते थे. मुगल काल में पोलो जैसे गेम्स काफी दिलचस्पी के साथ खेले जाते थे.

क्या आप जानते हैं कि मुगल बादशाह अकबर "पोलो" के उम्दा खिलाड़ी थे? तब इसे "चौगान" कहा जाता था.

क्या होता था चौगान

यह घुड़सवारी करते हुए लकड़ी की छड़ी और गेंद के साथ खेला जाता था.

कब से हुई शुरूआत

पोलो की शुरूआत ईरान में लगभग 3वीं सदी के आस-पास मानी जाती है.

किस-मकसद से हुआ था शुरूआत?

चौगान का मकसद सैनिकों को बैलेंस और कोऑर्डिनेशन की ट्रेनिंग देना था. ईरान में आज भी चौगान कहते हैं.

मुगलों के साथ-साथ चौगान यानि पोलो खेल भी भारत आया. बाबर ने इसे शाही खेल घोषित कर रखा था.

अकबर था प्लेयर

अकबर चौगान का बहुत अच्छा खिलाड़ी था. उसने कुछ नियम भी बनाए थे. उसने चमकने वाली गेंद भी बनवाई, जिससे इसे रात में भी खेला जा सके.

मुगलों के ढलान के साथ ही पोलो भी कम खेला जाने लगा. लेकिन कुछ-कुछ इलाकों में जरूर पोलो खेला जाता रहा.

पोलो में खिलाड़ियों की संख्या

पोलो चार खिलाड़ियों की दो टीमों के बीच घोड़ों पर खेले जाने वाला खेल है.

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