इंडियन रिसर्च स्पेस ऑर्गेनाइजेशन (ISRO) 21 अक्टूबर को गगनयान मिशन की पहली टेस्ट फ्लाइट भेजेगा. गगनयान का क्रू मॉड्यूल अपने सबसे शक्तिशाली रॉकेट के ऊपर अटैच हो चुका है.
21 अक्टूबर को पहली टेस्ट व्हीकल डेवलपमेंट फ्लाइट (TV-D1) के बाद D2, D3 और D4 की प्लानिंग की है. इसके बाद तीन और टेस्ट फ्लाइट भेजी जाएंगी.
इस टेस्ट में क्रू मॉड्यूल को आउटर स्पेस में लॉन्च करना, पृथ्वी पर वापस लाना और बंगाल की खाड़ी में टचडाउन के बाद इसे रिकवर करना शामिल है.
कुछ ऐसा ही क्रू मॉड्यूल भविष्य के गगनयान मिशन के दौरान भारतीय अंतरिक्ष यात्रियों को आउटर स्पेस में ले जाएगा.
इस टेस्ट का मकसद है- उड़ान के समय क्रू एस्केप सिस्टम (CES) का इन-फ्लाइट एबॉर्ट डिमॉन्सट्रेशन करना. इस समय इसरो के कैप्सूल की रफ्तार करीब 1430 km प्रतिघंटा होगी.
इसी रफ्तार में कैप्सूल रॉकेट से 60 डिग्री पर अलग होगा और फिर वहां से दूसरी दिशा में जाएगा.
क्रू-मॉड्यूल और क्रू-एस्केप सिस्टम 596 km प्रतिघंटा की रफ्तार से 17 किलोमीटर ऊपर जाना शुरू करेगा. वहां पर दोनों हिस्से अलग होंगे. इसके बाद 16.7 किलोमीटर की ऊंचाई पर आते ही इसके छोटे पैराशूट खुल जाएंगे.
जब इसके मुख्य पैराशूट खुलेंगे. इस टेस्ट में यही चीजें जैसे टाइमिंग वगैरह देखी जाएंगी.
यानी इस टेस्ट फ्लाइट की कामयाबी ही गगनयान मिशन के नेक्स्ट लेवल की रूपरेखा तय करेगी. इसके बाद एक अगले साल एक और टेस्ट फ्लाइट होगी. जिसमें ह्यूमेनॉयड रोबोट व्योममित्र को धरती से दूर भेजा जाएगा.