इंडियन रेलवे हर दिन हजारों यात्रियों को किफायती दरों पर उनकी मंजिल तक पहुंचाता है.
लगातार संचालन के कारण रेल के डिब्बों को रिपेयरिंग की जरूरत पड़ती है. कई बार कोई पार्ट भी खराब हो जाता है.
मेंटेनेंस के लिए ट्रेनों को कोच यार्ड में भेजा जाता है, यहां इनकी रिपेयरिंग और साफ-सफाई होती है.
लेकिन क्या आप जानते हैं कि ट्रेन व्हील यानी पहिया कहां और कैसे बदला जाता है. आइए बताते हैं.
ट्रेन व्हील बदलने के लिए उनको डिपो में लाया जाता है. पहिए बदलने के भी दो तरीके हैं.
पहला तरीका है- अनकपल करके और दूसरा है बोगी ड्रॉप टेबल के जरिए. दोनों की प्रक्रियाओं में वक्त लगता है.
बोगी ड्रॉप टेबल की प्रक्रिया में ट्रेन के डिब्बों के चारों तरफ जैक लगाया जाता है.
इसके बाद मिकैनिकल पार्ट्स को ओपन किया जाता है और फिर बोगी को ड्रॉप टेबल की मदद से नीचे लाया जाता है.
ट्रेन के निचले हिस्से को अलग करने के बाद ड्रॉप टेबल की हेल्प से निचले हिस्से को क्रेन की मदद से उठाया जाता है. इसके बाद पहिए से ब्रेक पार्ट अलग किया जाता है.
जब ट्रेन कोच से पहिया अलग कर लिया जाता है तो उसमें से रिंग और बाकी पार्ट्स को निकाला जाता है.
इसके बाद जिस ट्रेन के कोच में पहिया लगाना होता है, उसमें फिर ये सारे पार्ट्स फिट किए जाते हैं और फिर उसको कोच में लगाया जाता है.
इसके बाद ड्रॉप टेबल के जरिए कोच में निचले हिस्से को इन्स्टॉल किया जाता है. इसके बाद बाकी मिकैनिकल पार्ट्स असेंबल किए जाते हैं.
ट्रेन का पहिया बदलने की इस प्रक्रिया में एक पूरी टीम काम करती है. इसमें 20 से अधिक मिकैनिक और कर्मचारी होते हैं.