बनारस दुनिया के प्राचीनतम बसे शहरों में से एक है. इसे वाराणासी और काशी के नाम से भी जाना जाता है. पौराणिक कथाओं के अनुसार इस नगरी को भगवान शिव ने बसाया था इसलिए इसे शिव की नगरी भी कहा जाता है.
बनारस को हिंदू धर्म के सबसे पवित्र शहरों में से एक माना जाता है. यहां काशी विश्वनाथ मंदिर का दर्शन करने लोग दुनियाभर से हर साल आते हैं. आज भी यह शहर उत्तर भारत के लिए सांस्कृतिक और धार्मिक केन्द्र है.
हिंदू धर्म के अलावा ये शहर बौद्ध और जैन धर्म के लोगों के लिए भी बहुत पवित्र है. आपको बता दें कि भगवान गौतम बुद्ध ने अपना पहला संदेश यहीं सारनाथ नामक स्थान पर दिया था. इसके अलावा ये जैन धर्म के 23वें तीर्थंकर भगवान पार्श्वनाथ की जन्मभूमि भी है.
बनारस को आमतौर पर ‘मंदिरों का शहर’, ‘भगवान शिव की नगरी’, ‘भारत की धार्मिक राजधानी’, ‘दीपों का शहर’ और ‘ज्ञान नगरी’ के नाम से भी पुकारा जाता है. बनारस के लोग ज्यादातर काशिका भोजपुरी और हिंदी भाषा बोलते हैं.
अमेरिका के मशहूर लेखक मार्क ट्वेन कहते हैं कि बनारस इतिहास से भी पुराना है, परंपराओं से भी पुराना है, किंवदंतियों से भी पुराना है और जब इन सबको एक कर दें तो उस संग्रह से भी दोगुना पुराना है.
बनारस कबीर, वल्लभाचार्य, रविदास, स्वामी रामानंद, त्रैलंग स्वामी, शिवानन्द गोस्वामी, मुंशी प्रेमचंद, जयशंकर प्रसाद, आचार्य रामचंद्र शुक्ल, पंडित रवि शंकर, गिरिजा देवी, पंडित हरि प्रसाद चौरसिया और उस्ताद बिस्मिल्लाह खां जैसे महान लोगों की जन्मभूमि और कर्मभूमि रही है.