Independence Day 2024: देश की वो वीरांगनाएं, जिनका साहस देख अंग्रेजों ने भी टेक दिए थे घुटने

Zee News Desk
Aug 12, 2024

आजादी की 76वीं वर्षगांठ

15 अगस्त 2024 को हमारा देश स्वतंत्रता की 76वीं वर्षगांठ मनाने जा रहा है. ये दिन अंग्रेजों से आजादी की खुशी का है, जिसे पाने के लिए कई वीरांगनाओं ने बलिदान दिया.

दुर्गा भाभी - एक साहसी क्रांतिकारी

दुर्गा भाभी, जिनका असली नाम दुर्गावती देवी था, हिन्दुस्तान सोशलिस्ट रिपब्लिक आर्मी की सदस्य रहीं. 1930 में गवर्नर हैली पर गोली चलाई और आजादी के संघर्ष में महत्वपूर्ण भूमिका भी निभाई.

कल्पना दत्त - शौर्य की मिसाल

पश्चिम बंगाल की कल्पना दत्त, छात्र जीवन से ही क्रांतिकारी गतिविधियों में शामिल थीं. चटगांव के युरोपियन क्लब पर हमले की योजना के आरोप में जेल गईं और भूमिगत रहकर आंदोलन चलाया.

दुर्गाबाई देशमुख - महिला शिक्षा की अग्रणी

दुर्गाबाई देशमुख ने 10 साल की उम्र में महिलाओं के लिए पाठशाला चलाई. वो भारतीय संविधान सभा की सदस्य रहीं और 1958 में राष्ट्रीय महिला शिक्षा परिषद की प्रथम अध्यक्ष भी बनीं.

झलकारी बाई - साहस की प्रतीक

झलकारी बाई, रानी लक्ष्मीबाई की सहेली और महिला सेना ‘दुर्गादल’ की सेनापति थीं. 1857 के विद्रोह में उन्होंने अंग्रेजों के खिलाफ बहादुरी से लड़ाई लड़ी.

रानी चेनम्मा - कर्नाटक की लक्ष्मीबाई

रानी चेनम्मा ने किट्टूर के राजा से विवाह किया और बाद में अंग्रेजों के खिलाफ बहादुरी से लड़ीं. किले में घिरे होते हुए भी, उन्होंने अंग्रेजों का डटकर मुकाबला किया.

स्वतंत्रता संग्राम में महिलाओं का योगदान

इन वीरांगनाओं ने अपनी बहादुरी और समर्पण से स्वतंत्रता संग्राम को शक्ति प्रदान की. उनके बलिदान ने हमारे देश की आजादी में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई.

इनकी याद में सम्मान

आज हम इन वीरांगनाओं की शहादत और योगदान को याद कर के उन्हें सम्मानित करते हैं. उनका साहस और बलिदान हमेशा प्रेरणा का स्रोत रहेगा.

स्वतंत्रता का महत्व

स्वतंत्रता का मूल्य हमें कभी भूलना नहीं चाहिए. हमारे स्वतंत्रता सेनानियों के संघर्ष की गाथा हमें आज भी प्रेरित करती है और हमें गर्व महसूस कराती है.

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