डॉक्टर बीआर अंबेडकर को जातिगत भेदभाव से जूझना पड़ा. मंदिर में प्रवेश वर्जित जैसी बातें उनके दिमाग में घर कर गई थीं. ऊंच-नीच का फर्क मिटाने के संघर्ष की नींव पड़ी तो वह भारत के पहले कानून मंत्री बने. 11 अक्टूबर 1951 को उन्होंने अपने इस पद से इस्तीफा दे दिया था.