कुनबी पर टिकी मराठा आरक्षण की कथा, जरांगे ने सरकार को याद दिलाया 2004 का वादा

Nov 01, 2023

महाराष्ट्र में मराठा आरक्षण आंदोलन हिंसक होने के बाद सरकार की मुश्किलें बढ़ गई हैं. इस बीच आरक्षण के लिए अनशन पर बैठे मनोज जरांगे ने कहा कि मराठा समुदाय अधूरा आरक्षण स्वीकार नहीं करेगा.

दरअसल, एकनाथ शिंदे सरकार मराठा जाति को कुनबी जाति का प्रमाणपत्र देकर मामले को सुलझाना चाहती है. लेकिन, इससे सरकार की मुश्किल बढ़ सकती है.

मनोज जरांगे ने कहा हम कुनबी के पिछले रिकॉर्ड के अनुसार आरक्षण स्वीकार नहीं करेंगे. हमारी मांग है कि राज्य विधानमंडल का एक विशेष सत्र बुलाया जाए और राज्य भर के मराठा समुदाय के सभी सदस्यों को कुनबी प्रमाण पत्र जारी करने का निर्णय लिया जाए.

मनोज जरांगे ने कहा कि राज्य सरकार आसानी से 2004 में जारी सरकारी प्रस्ताव में संशोधन कर सकती है. सभी मराठों को कुनबी (किसान) और सभी कुनबी को मराठा के रूप में मान्यता दे सकती है.

लेकिन, क्या आप जानते हैं कि ओबीसी के लोग मराठाओं को कुनबी सर्टिफिकेट देने के खिलाफ क्यों है? दरअसल, अगर मराठाओं को कुनबी प्रमाणपत्र दिया जाता है तो आरक्षण मिलने पर उसे ओबीसी कोटे से लाभ मिल जाएगा.

अगर ओबीसी समुदाय के लोग मराठों को कुनबी जाति का प्रमाणपत्र देने से नाराज होते हैं तो सरकार की मुश्किल बढ़ सकती है और अगले चुनाव में बीजेपी-शिवसेना (शिंदे गुट) को नुकसान हो सकता है.

बता दें कि कुनबी एक कृषक समुदाय है और यह समुदाय अन्य पिछड़ा वर्ग (OBC) श्रेणी के तहत आरक्षण पाने का पहले से ही हकदार है.

मनोज जरांगे ने पिछले महीने भी अनशन किया था, लेकिन सरकार के आश्वासन के बाद उन्होंने अपना अनशन खत्म कर दिया था. सरकार ने कहा था कि मराठवाड़ा क्षेत्र के मराठाओं को उस दौरान के जरूरी दस्तावेज दिखाने पर कुनबी जाति प्रमाणपत्र दिया जाएगा.

बता दें कि मई 2021 में सुप्रीम कोर्ट ने 50 प्रतिशत आरक्षण के प्रावधान के उल्लंघन के लिए मराठा समुदाय को आरक्षण की मंजूरी देने वाले महाराष्ट्र सरकार के सामाजिक एवं शैक्षणिक पिछड़ा वर्ग अधिनियम, 2018 को रद्द कर दिया था.

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