दूरदर्शन अपने सफर के 64 साल पूरे कर 65वें साल में प्रवेश कर गया है. दूरदर्शन ने देश एवं समाज के विकास में अहम योगदान दिया है. उस दौर में इसके सभी सीरियल्स को देखने के लिए लोगों में गजब का उत्साह दिखता था.
भारत का पहला मनोरंजन TV चैनल
दूरदर्शन इस एक शब्द के साथ न जाने कितने दिलों की धड़कन आज भी धड़कती है.
देश की धड़कन
मनोरंजन की बात करें तो 1970 से 1980 के दशक की पीढ़ी आज भी दूरदर्शन का जिक्र होते ही न जाने कितनी पुरानी खट्टी-मिट्ठी यादों का पिटारा अपनी आंखों में ताजा कर लेती है.
मालगुड़ी डेज- Malgudi Days
दूरदर्शन पर प्रसारित 'मालगुड़ी डेज' सबसे बेहतरीन TV शो में से एक रहा है. ‘ता ना ना ना ना ना ना ना…’ की धुन आज भी सोंधी मिट्टी की महक सी प्यारी लगती है. आर के नारायण ने मालगुडी कस्बे की दुनिया और उसके किरदार रचे थे, वो लोगों के जेहन में बस गए. आर के लक्ष्मण द्वारा बनाए गए कार्टून्स ने स्वामी और उसके दोस्तों की कहानियों को बड़े सुंदर तरीके और सलीके से लोगों के घर-घर तक पहुंचाया.
सुरभि
रेणुका शहाणे और सिद्धार्थ काक के शो सुरभि को 1990 के दशक में लोग बेहद पसंद करते थे. इस शो के लिए दर्शक हर हफ्ते लाखों की संख्या में चिट्ठियां लिखा करते थे. ये एक सांस्कृतिक कार्यक्रम था. सुरभि भारत में अब तक देखे गए सबसे अच्छे जानकारीपूर्ण शो में से एक था. दोनों को 1993 में एक हफ्ते में चौदह लाख पत्र मिले और शो की लोकप्रियता से हर कोई हैरान था.
हम लोग
ये दूरदर्शन पर प्रसारित पहला टीवी सीरियल था. जो 1984 में शुरू हुआ था. इसकी बड़ी गजब की पॉपुलैरिटी थी. इस सीरियल में एक मिडिल क्लास फैमिली की कहानी को दिखाया गया था.
चित्रहार
दुनिया में ये टेलिवीजन इतिहास का यह सबसे लंबा प्रसारित होने वाला प्रोग्राम था. इसे भी पूरा परिवार एक साथ देखता था.
ब्योमकेश बख्शी
दूरदर्शन पर 40 मिनट का ये डिटेक्टिव शो, अपने दौर का एकलौता और पॉपुलर क्राइम शो था. इसने 90 के दशक में खूब चर्चा बटोरी थी. फैमिली ड्रामा से इतर ये सीरियल 1993 से 1997 तक आया था. जिसने हर दर्शक को टीवी से बांध लिया था. यह एक डिटेक्टिव पर बेस्ड शो था, जिसमें अलग अलग केस दिखाए जाते थे.
ये सीरियल भी रहे पॉपुलर
दूरदर्शन पर प्रसारित हुए कुछ और शो की बात करें तो बुनियाद, चंद्रकांता, चाणक्य, वागले की दुनिया, शांति एक औरत की कहानी, शक्तिमान, रामायण और महाभारत जैसे शो भी करोड़ों घरों में पॉपुलर थे. उस दौर में लोगों के पास टीवी नहीं होते थे तो लोग पड़ोसियों के यहां जाकर ये सीरियल देखते थे.