अकबर के हरम में दासियों को मिलती थी कितनी सैलरी? करने पड़ते थे ऐसे-ऐसे काम
Sumit Rai
Apr 25, 2023
अय्याशी का अड्डा
मुगल इतिहास को जानने वाले इतिहासकार बताते हैं कि हरम मुगल बादशाहों की अय्याशी का अड्डा हुआ करता था. मुगलों ने अपनी रानियों, दासियों और रखैलों के लिए एक अलग दुनिया बसा रखी थी.
कब शुरू हुआ हरम
मुगल हरम की शुरुआत बाबर के शासनकाल में हुई थी और कई बादशाहों ने इसे आगे बढ़ाया.
अकबर का हरम
मुगल शासक अकबर ने हरम को व्यवस्थित करने का काम किया था. इतिहासकारों के मुताबिक, अकबर के साम्राज्य तक मुगल हरम में करीब 5000 दासियां मौजूद थीं.
कितनी थी सैलरी
रिपोर्ट्स के अनुसार, अकबर के हरम में रहने वाली दासियों को उनके ओहदे के हिसाब से 1028 रुपये से लेकर 1610 रुपये तक सैलरी मिलती थी.
इतनी ज्यादा थी सैलरी
अकबर के हरम के दासियों की इतनी सैलरी काफी ज्यादा होती थी. इसका अंदाजा आप इस बात से लगा सकते हैं कि उस समय 1 तोला सोने की कीमत 10 रुपये होती थी.
हरम में क्या होता था?
अकबर के हरम में रहने वाली महिलाओं और दासियों के लिए विशेष व्यवस्था की जाती थी. वहां रहने वाली महिलाओं को कला-संगीत, नृत्य, कपड़ों का बुनाई आदि की शिक्षा दी जाती थी.
दासियों के काम
हरम में रहने वाली दासियां राजा की सेवा में काम करती थीं और उनकी सारी जरूरतों की देखभाल करती थीं.
दासियों से अत्याचार
मुगल हरम में कुछ शासक दासियों को पूरा सम्मान देते थे, लेकिन कुछ ने काफी अत्याचार किया था. इतिहास को जानने वालों का कहना है कि हरम मुगल बादशाहों की अय्याशी का अड्डा होता था.
कैसे पड़ा हरम नाम
अरबी भाषा में हरम शब्द का अर्थ छिपा हुआ पवित्र स्थान होता है. इसलिए, समय के साथ हरम शब्द को प्रयोग महिलाओं के कक्ष के लिए किया जाने लगा.