आसान नहीं थी हरम की नौकरी

मुगल बादशाहों और मुगल सल्तनत का जब भी जिक्र होता है तो उनके हरम (Harem) की चर्चा जरूर होती है. हरम, अरबी शब्द से बना है जिसका मतलब है पवित्र या वर्जित. मुगल हरम में महिलाओं और हिजड़ों को ही नौकरी मिलती थी, जहां पुरुषों का प्रवेश बैन था.

Shwetank Ratnamber
Apr 20, 2023

अकबर ने हरम को दिया संस्थागत दर्जा

मुगलों के राज में हरम (Harem) को बेहद खास दर्जा मिला हुआ था. तमाम मुगल बादशाहों के हरम में सैकड़ों महिलाएं होती थीं. इतिहासकार सर थॉमस कोरेट (Sir Thomas Coryate) के मुताबिक जहांगीर ने हरम में अपने लिए करीब 1000 महिलाएं रखी थी.

बादशाह के करीब आती थी पांच फीसदी महिलाएं

लेखक थॉमस रो (Thomas Roe) के मुताबिक हरम में हजारों महिलाएं होती थीं. हालांकि इतिहासकार राणा सफवी के मुताबिक मुगल हरम में जितनी महिलाएं होती थीं, उसमें से बस 5% को बादशाह के साथ शारीरिक संबंध बनाने का मौका मिलता था. बाकी औरतें अन्य रोजमर्रा के काम देखती थीं.

हरम की महिलाओं से कराए जाते थे ऐसे-ऐसे काम

इतिहासकारों के मुताबिक हरम में मौजूद औरतों का इस्तेमाल कई तरह के कामों में होता था. कुछ के पास हरम के प्रशासनिक काम होते थे तो कुछ बादशाह की मर्जी के हिसाब से चलते हुए उनके हुक्म की तामील करती थीं.

हरम का मुख्य अधिकारी नाज़िर ए महल

हरम में महिलाओं के अलावा हिजड़ों को ही रखा जाता था. अकबर के शासनकाल में सम्मानित परिवारों की महिलाओं को हरम में तैनाती मिली और जिन्हें ‘दरोगा’ का दर्जा मिला. हरम के मुख्य अधिकारी को नाज़िर ए महल कहा गया जो किन्नर ही होते थे. नूरजहां की मां अस्मत बेगम भी हरम की दरोगा थीं.

तुर्की की महिलाओं को हरम में नौकरी

मुगल सल्तनत में तुर्की और कश्मीरी महिलाओं को हरम के अंदर गार्ड ड्यूटी पर रखा गया, इसकी सबसे बड़ी वजह यह थी कि वो स्थानीय भाषा खासकर हिंदी नहीं समझ सकती थीं. ऐसे में बात लीक होने या जासूसी का डर नहीं था.

हरम में 2 रुपये से लेकर 1000 तक मिलती थी सैलरी

हरम (Harem) में तैनात महिलाओं हिजड़ों को बाकायदे उनके पद के मुताबिक तनख्वाह भी मिलती थी. मसलन दरोगा को सर्वाधिक 1000 रुपये महीने तक तनख्वाह दिया जाता था. इसी तरह हरम के अंदर तैनात नौकरों को बस 2 रुपए महीना सैलरी मिलती थी.

हरम में चलती थी पॉलिटिक्स

हरम की औरतों में मलिका यानी मुख्य रानी बनने की होड़ थी. हर महिला बादशाह के करीब जाना चाहती थी. इसके लिए हरम में जबरदस्त पॉलिटिक्स होती थी. किन्नरों को अपने अपने हिसाब से इस्तेमाल किया जाता था. हरम में चुगलखोरी चरम पर थी तो मनोरंजन के लिए मुर्गों की लड़ाई देखते देखते साजिश रच दी जाती थी.

हरम में कराए जाते थे गंदे काम

मुगल हरम बादशाहों की अय्याशी के अड्डे थे. वहां मनोरंजन के नाम पर मौजूद महिलाओं से ऐसे-ऐसे काम करने पड़ते थे जो सभ्य समाज में स्वीकार नहीं थे.

हरम के अंदर दी जाती थी फांसी

मुगल इतिहास (Mughal History) के जानकार और मशहूर लेखक प्रो. आर नाथ (R. Nath) के मुताबिक हरम के अंदर ही एक अंडरग्राउंड कोठरी या फांसीघर हुआ करता था, जो सुरंग के रास्ते एक गहरे कुएं से जुड़ा था. कई बार गुपचुप हरम के अंदर ही फांसी दे दी जाती थी, और लाश इसी कुएं में फेंक दी जाती थी.

मरने के लिए छोड़ दी जाती थी महिलाएं

हरम की महिलाओं के बीमार होने पर बहुत से मामलों में उनके हाल पर अकेले छोड़ दिया जाता था. गिने चुने मामलों में हकीम को बुलाकर इलाज कराया जाता था. हकीम, महिलाओं को न देख सकते थे और नाड़ी देखने के लिए छू भी नहीं सकते थे.

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