हरम की सैलरी

मुगल हरम में दासियों को मिलती थी इतनी तनख्वाह, जानकर नहीं होगा यकीन

Sumit Rai
Apr 18, 2023

हरम में क्या होता था

मुगल इतिहास को जानने वाले बताते हैं कि हरम मुगल बादशाहों की अय्याशी का अड्डा हुआ करता था, जहां दासियों को रखा जाता था.

मुगल खर्च करते थे मोटा पैसा

मुगल शासक हरम पर मोटा पैसा खर्च करते थे. जनता से टैक्स यानी कर में आने वाले पैसे का एक बड़ा हिस्सा इन हरम पर खर्च किया जाता था.

हरम की दासियों की सैलरी

इतिहासकारों की मानें तो मुगल हरम में रहने वाली दासियों को मोटी तनख्वाह दी जाती थी, जिसका आज के समय में मुकाबला भी नहीं किया जा सकता है. इन दासियों की तनख्वाह जानकर आपके पैरों तले जमीन खिसक जाएगी.

दासियों को कितना पैसा

रिपोर्ट्स के अनुसार, उस जमाने में हरम में रहने वाली एक दासी पर करीब 1000 से लेकर 1600 रुपये तक खर्च किए जाते थे. यह पैसा कितना होता था आप इस बात से अंदाजा लगा सकते हैं कि उस समय 10 रुपये में 1 तोला सोना और 5 रुपये में महीनेभर का राशन मिल जाता था.

कब शुरू हुआ था हरम

इतिहासकार मानते हैं कि बाबर के शासनकाल में मुगल हरम की शुरुआत हुई थी और अकबर के साम्राज्य तक आते-आते मुगल हरम में करीब 5000 दासियां मौजूद थीं.

हरम में क्या होता था?

मुगल हरम में रहने वाली महिलाओं और दासियां के लिए विशेष व्यवस्था की जाती थी. वहां रहने वाली महिलाओं को कला-संगीत, नृत्य, कपड़ों का बुनाई आदि की शिक्षा दी जाती थी. वे राजा की सेवा में काम करती थीं और उनकी जरूरतों की देखभाल करती थीं.

क्या होता है हरम

हरम क्या होता है, इसको लेकर हमने चैटजीपीटी से जब सवाल किया तो उसने मुगल हरम के बारे में बताया कि हरम एक विशाल आवास होता था, जहां मुगल शासक अपनी पत्नियों, अन्य रिश्तेदारों और महत्वपूर्ण व्यक्तियों को रखते थे. यहां उनके मनोरंजन का पूरा प्रबंध होता था.

हरम की AI तस्वीरें

चैटजीपीटी के साथ ही हमने एआई यानी आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI) से भी मुगल हरम (Mughal Harem) को लेकर सवाल किया. इसके बाद एआई ने हरम की कुछ तस्वीरें बनाई, जिसमें मुगल शासकों के शौक को दिखाया गया है.

हरम में महिलाओं से अत्याचार

चैटजीपीटी के अनुसार, मुगल साम्राज्य के शासकों में से कुछ राजाओं ने दासियों के साथ अत्याचार किया था जबकि कुछ ने उन्हें सम्मान दिया था. हालांकि, एक सामान्य व्यवहार के रूप में, मुगल राजाओं ने अपने हरम में रहने वाली दासियों को उनके दास होने के कारण सम्मान दिया था.

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