वो मुगल हिंदू रानी, जिसने हरम में दे दी थी जान

भारत में मुगल राज 300 से ज्यादा वर्ष तक रहा. मुगल राज के दौरान कई ऐसी कहानियां हैं, जिनका अंत बेहद दर्दनाक हुआ

आज हम आपको उस हिंदू रानी के बारे में बता रहे हैं, जिसकी जिंदगी हरम में जहन्नुम से कम नहीं थी.

इस रानी का नाम था मानबाई, जो जहांगीर की पहली पत्नी थी. उसे शाह बेगम भी कहा जाता था.

मानबाई का जन्म 1570 को हुआ और 1585 में उसकी शादी सलीम से हुई थी.

आमेर के राजा और अकबर के सेनापति मानसिंह की बहन थी मानबाई और भगवान दास की बेटी.

सलीम और मानबाई की शादी मुगल सल्तनत की सबसे आलीशान शादियों में शुमार है.

भगवान दास ने दहेज में दो करोड़ चांदी के सिक्के, हाथी-घोड़े और सोने के जवाहरात भी दिए थे.

बताया जाता है कि निकाह के बाद सड़कों पर नायाब जवाहरात पड़े थे, जिनको उठाते-उठाते लोग थक गए थे.

जहांगीर और मानबाई के दो बच्चे हुए. बेटी का नाम था सुल्तान उन निसा और बेटे का नाम खुसरो मिर्जा.

मानबाई सलीम से बेहिसाब मोहब्बत करती थी. सलीम भी उसको बहुत मानता था.

मानबाई ने खुसरो से अपने पिता के प्रति वफादार रहने को कहा था. लेकिन उसने एक नहीं सुनी.

धीरे-धीरे खुसरो की पिता से अदावत बढ़ती गई और मानबाई से यह बर्दाश्त नहीं हुआ.

जब एक दिन सलीम शिकार पर गया तो मानबाई ने 34 साल की उम्र में भारी मात्रा में अफीम पीकर जिंदगी का अंत कर लिया.

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