इस योद्धा के सामने औरंगजेब की विशाल सेना ने टेक दिए थे घुटने!
Zee News Desk
Jun 26, 2023
17वीं शताब्दी के एक महान और वीर योद्धा-
लचित बोरफुकन, जिन्हें 'चाउ लासित फुकनलुंग' नाम से भी जाना जाता है, 17वीं शताब्दी के एक महान और वीर योद्धा थे.
पूर्वोत्तर भारत का वीर 'शिवाजी'-
उनकी वीरता के कारण ही उन्हें पूर्वोत्तर भारत का वीर 'शिवाजी' कहा जाता है.
मुगलों के खिलाफ लड़ी लड़ाई
उन्होंने मुगलों के खिलाफ जो निर्णायक लड़ाई लड़ी थी, उसके लिए उन्हें आज भी याद किया जाता है.
अहोम साम्राज्य के थे सेनापति
लचित बोरफुकन असम के अहोम साम्राज्य के एक सेनापति थे, जहां बड़े से बड़े राजा भी मुगलों के सामने घुटने टेक देते थे.
मुगलों को दी चुनौती
लचित बोरफुकन ने 1667 ईस्वी में मुगल सम्राट औरंगजेब को चुनौती दे दी थी और न सिर्फ चुनौती बल्कि उसकी सेना को बुरी तरह हराया भी था.
'सराईघाट का युद्ध'
1671 ईस्वी में मुगल साम्राज्य और अहोम साम्राज्य के बीच हुई उस लड़ाई को 'सराईघाट का युद्ध' कहा जाता है.
मुगल कर रहे थे कब्जा
यह लड़ाई इसलिए लड़ी गई थी, क्योंकि लचित ने मुगलों के कब्जे से गुवाहाटी को छुड़ा कर उसपर फिर से अपना अधिकार कर लिया था और उन्हें गुवाहाटी से बाहर धकेल दिया था.
गुवाहाटी को पाने के लिए लड़ा युद्ध
गुवाहाटी को फिर से पाने के लिए मुगलों ने अहोम साम्राज्य के खिलाफ युद्ध छेड़ दिया था.
औरंगजेब ने फिर कभी नहीं भेजी सेना-
लचित बोरफुकन बेहतर रणनीति से कमजोर और छोटी अहोम सेना ने युद्ध में औरंगजेब की विशाल सेना को हराया, जिसके बाद औरंगजेब ने कभी भी असम की ओर सेना नहीं भेजी.