साजिशों का अड्डा

मुगल हरम एक ऐसी जगह थी जहां न सिर्फ अय्याशी होती थी बल्कि वहां कई साजिशें भी रची जाती थीं. कई विदेशी यात्रियों ने लिखा है कि मुगल हरम साजिशों का अड्डा हुआ करता था.

Shwetank Ratnamber
May 17, 2023

हरम में कंपटीशन

मुगल काल में महिलाओं के हालात पर हमेशा से सवाल उठते रहे हैं. दरअसल मुगल हरम में भारतीय, अफगानी, ईरानी, ​​तुरानी और उज्बेकिस्तान की विभिन्न मूल की महिलाएं शामिल थीं, तेज तर्रार महिलाओं के बीच हमेशा प्रतिद्वंद्विता रहती थी. वहीं सीधी साधी महिलाओं को हरम के रखवालों यानी किन्नरों का हर हुक्म मानना पड़ता था.

जिंदगी भर की गुलामी

हरम में किन्नर बादशाह के मुखबिर थे. वो हरम के अंदर की खबरें बादशाह तक पहुंचाते थे. बादशाह का फरमान था कि हरम की किसी भी औरत से कोई भी दूसरा मर्द नहीं मिल सकता था. ऐसे में किन्नर बस एक काम को छोड़कर बाकी सब तय करते थे कि कौन सी औरत कौन सा काम करेगी.

बादशाह के साथ कौन वक्त बिताएगा कोई नहीं जानता

बादशाह के हरम में हजारों महिलाएं होती थीं पर शहंशाह के साथ बिस्तर पर कौन होगा ये कोई नहीं जानता. कई महिलाएं तो ताउम्र बादशाह का चेहरा तक नहीं देख पाती थीं. ऐसे में वो अकेलेपन का शिकार होने की वजह से मानसिक रूप से बीमार हो जाती थीं.

दो वजह से जाती थी जान

मुगल हरम में जमकर भेदभाव होता था. अगर बादशाह को कोई कनीज पसंद आ गई तो बेगम को ये बात स्वीकार करनी होती थी. हालांकि ये अलग बात है कि ऐसा दोबारा न हो इसलिए कुछ चतुर बेगमें उस कनीज को किसी न किसी तरह से अपने रास्ते से हटा देती थीं.

सुख सुविधाओं के इंतजाम

यूं तो हरम की महिलाओं की सुख सुविधाओं के लिए कई इंतजाम किए जाते थे. लेकिन हर जगह उन पर पैनी नजर रखी जाती थी.

पहचान का था सवाल

हर कोई बादशाह के नजदीक जाना चाहता था. हरम की कुछ औरतें बादशाह का दीदार और उनका रहमोकरम पाने के लिए बहुत कुछ करती थीं. हरम में बादशाह और बेगमों के खिलाफ भी साजिशें रची जाती थीं. जिसके लिए महिलाएं एक खास काम भी करती थीं. इसके लिए वो अपना गलत नाम बताती थीं.

24 घंटे होती थी निगरानी

मुगल हरम में सीक्रेट रास्ते होते थे. जिनकी जानकारी बादशाह समेत बस गिने चुने लोगों को होती थी. अक्सर साजिशों का प्लाट इन्हीं खुफिया रास्तों और तहखानों में रचा जाता था.

निकल जाती थी चीख

हरम में एक सीक्रेट फांसीघर और कुआं था. जहां गलती करने वाली औरतों को मौत के घाट उतार दिया जाता था. उसकी चीख किसी को न सुनाई दे. इसके खास इंतजाम किए गए थे. मरने के बाद उनकी लाश को वहीं ठिकाने लगा दिया जाता था.

बचने के लिए करती थी ये काम

मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक मुगल बादशाह और सल्तनत के वफादारों से बचने के लिए महिलाएं यहां कुछ खास काम किया करती थीं. अगर उन्हें जरा सा भी आभास या खटका होता कि आज बादशाह इस ओर आ रहे हैं तो वह पहले से ही गंभीर बीमारी का बहाना बना लेती थीं या पुकारे जाने पर अपना नाम गलत बताती थीं.

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