राहत इंदौरी के वो शेर जो हैं तो बेहतरीन लेकिन नहीं मिली शोरहत

Tahir Kamran
Dec 12, 2024

तुझ से मिलने की तमन्ना भी बहुत है लेकिन, आने जाने में किराया भी बहुत लगता है

सितारो आओ मिरी राह में बिखर जाओ, ये मेरा हुक्म है हालांकि कुछ नहीं हूं मैं

मिरी ख़्वाहिश है कि आंगन में न दीवार उठे, मिरे भाई मिरे हिस्से की ज़मीं तू रख ले

मैंने अपनी ख़ुश्क आंखों से लहू छलका दिया, इक समुंदर कह रहा था मुझ को पानी चाहिए

इक मुलाक़ात का जादू कि उतरता ही नहीं, तिरी ख़ुशबू मिरी चादर से नहीं जाती है

सोए रहते हैं ओढ़ कर ख़ुद को, अब ज़रूरत नहीं रज़ाई की

दिन ढल गया तो रात गुज़रने की आस में, सूरज नदी में डूब गया हम गिलास में

अपने हाकिम की फकीरी पे तरस आता है, जो गरीबों से पसीने की कमाई मांगे

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