भारत का अनोखा गांव, जहां बोली जाती है संस्कृत; एक सलाह को ग्रामीणों ने बना ली परंपरा

Sep 16, 2023

Sanskrit Village Of India:

भारत के हर एक राज्‍य की अपनी खासियते हैं, जिनमें से एक भाषा भी है. कई राज्‍यों का विभाजन तो भाषाओं के आधार पर ही हुआ है.

हर कोई संस्कृत में ही करता है बात

आज हम आपको भारत के एक ऐसे गांव के बारे में बताएंगे, जहां आज भी हमारी प्राचीन भाषा संस्कृत बोली जाती है.

दक्षिण का मत्तूरु गांव

कर्नाटक में लोग कन्नड़ बोलते हैं, लेकिन यहां मत्तूरु एक ऐसा गांव है जहां बूढ़े और बच्‍चे सभी फर्राटेदार संस्कृत बोलते हैं.

देश का अंतिम संस्कृत भाषी गांव ​

मत्तूर कनार्टक से 300 किमी दूर तुंग नदी के किनारे बसा एक कृषि प्रधान गांव है, जहां धान और सुपारी होती है. 2011 की जनगणना के अनुसार यहां की आबादी कुल 3000 है.

दिलचस्‍प तथ्‍य

यह भारत का अंतिम संस्कृत भाषी गांव कहा जाता है. यहां हर शख्‍स संस्कृत से अच्‍छी तरह वाकिफ है. यहां दीवारों पर भित्ति चित्र भी संस्कृत में लिखे गए हैं.

आज से 44 साल पुरानी है परंपरा

साल 1981 में संस्कृत के प्रचार-प्रसार के लिए गठित संस्था संस्कृति भारती ने मत्तूर में 10 दिवसीय कार्यशाला का आयोजन किया था.

स्थानीय लोगों ने दिल से स्वीकार की गुजारिश

इसमें पड़ोसी उडुपी में पेजावर मठ के संत समेत कई हस्तियों ने भाग लिया. जब संत ने संस्कृत को संरक्षित करने के लिए मत्तूर में लोगों का उत्साह तो उन्होंने संस्कृत भाषा अपनाने की गुजारिश की.

लोगों ने अपना ली थी कन्‍नड़ भाषा​

इस गांव में प्राचीन काल से संस्कृत बोली जाती है, एक समय थाजब लोगों ने कन्नड़ बोलना शुरू कर दिया था, लेकिन पेजावर मठ के स्‍वामी की सलाह के बाद लोगों ने संस्कृत को फिर अपना लिया.

चाणक्‍य के दौर वाला गांव​

दक्षिण के इस गांव में प्रवेश करते ही एक अलग अनुभव होता है. गांव वालों की वेशभूषा देखकर लगता है जैसे चाणक्य के दौर में आ गए हैं.

ग्रामीणों को आती हैं अंग्रेजी और हिंदी

यहां के ग्रामीणों ने केवल पहनावे को ही नहीं, बल्कि दुनिया की सबसे प्राचीन सभ्‍यता और भाषा को भी सहेजकर रखा है. यहां के लोग संस्कृत का हिंदी और अंग्रेजी में अनुवाद कर लेते हैं.

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