शाहजहां के इस शौक को देखने वालों की रूह कांप जाती थी.
जानवरों पर जुल्म
शाहजहां को हाथियों की लड़ाई देखने का बड़ा शौक था.
इतिहासकारों का दावा
उस दौर में आम आदमी जहां मुर्गे और बैलों की लड़ाई देखकर मनोरंजन करते थे, लेकिन शाहजहां को हाथियों को लड़वाने में मजा आता था.
विशेष अधिकार
हाथियों की लड़ाई शुरू कराने का अधिकार बस बादशाह सलामत के पास होता था.
सांसे थाम कर देखते थे लोग
ये लड़ाई कई बार लड़ रहे दोनों हाथियों में किसी एक की मौत के बाद थमती थी.
भयानक युद्ध
हाथियों की ये लड़ाई इतनी भयानक होती थी कि बीच बचाव करने वाले महावत की जान पर बात आ जाती थी.
ऐसे होता था फैसला
जब कोई हाथी, दूसरे हाथी को गिरा देता था, तब ये लड़ाई खत्म मानी जाती थी.
ऐसे अलग होते थे हाथी
बताया जाता है कि लड़ाई खत्म होने के बाद हाथियों को दूर हटाने के लिए एक बांस के हथियार से अलग किया जाता था, जिस पर बारूद लगा होता था. एक बार लड़ते लड़ते एक हाथी बिदक गया उसे देखकर सब डरकर इधर उधर भागने लगे. गुस्साए हाथी ने शाही घोड़े को पटक दिया. इसके बाद उसे भाला घोंप कर मार दिया गया.
शाहजहां का वो शौक जिसे देखकर कराहने लगते थे लोग
शाहजहां हो या कोई और गुस्सा आने पर वो सजा देने के नाम लोगों को हाथी के पैर तले कुचलवा देते थे. ये सजा सरेआम दी जाती थी. जिसे देखकर लोगों की रूह रांप जाती थी और वो कराह उठते थे.