ताजमहल को चांद जैसा चमका देती है ये मिट्टी, बिस्किट से भी सस्ती है कीमत

Rachit Kumar
Sep 07, 2023

ताजमहल को देखने न सिर्फ देश बल्कि दुनिया से लाखों लोग हर साल उत्तर प्रदेश के आगरा आते हैं और इसकी खूबसूरती देख दंग रह जाते हैं.

आगरा में यमुना नदी के तट पर बने ताजमहल को सफेद संगमरमर से बनाया गया है और इसके रखरखाव की जिम्मेदारी भारतीय पुरातत्व विभाग यानी ASI के पास है.

लेकिन 350 साल से ज्यादा पुराना ताजमहल आज भी सफेद दूध जैसा चमकता है. क्या आप जानते हैं कि इसकी सफाई कैसे की जाती है.

ताजमहल की सफाई के लिए खास तरीका अपनाया जाता है, जिसे मड पैकिंग कहा जाता है. इसमें खास मिट्टी का उपयोग होता है. इसी से ताजमहल चांद जैसा चमकता है.

इस मिट्टी को फुलेर अर्थ (Fuller Earth) कहा जाता है. आम लोग इसको मुल्तानी मिट्टी के नाम से जानते हैं. इसमें एल्यूमिनियम फिलोसिलिकेट और मैग्नीशियम होता है.

ताजमहल में इसका इस्तेमाल पिछले 350 साल से हो रहा है. ब्यूटी प्रोडक्ट्स में तो मुल्तानी मिट्टी साल 1800 से उपयोग होती आ रही है.

ताज को चमकाने के लिए पहले मुल्तानी मिट्टी से एक पेस्ट तैयार किया जाता है. ताज पर मजदूर पानी से छिड़काव कर बड़े ब्रश से इस पेस्ट का लेप ताज पर लगाते हैं.

करीब 3-4 महीने का वक्त इस लेप को लगाने में ही खर्च हो जाता है. इस मिट्टी की खास बात है कि यह गंदगी, कैमिकल और तैलीय प्रदूषण को सोख लेती है.

सूखने के वक्त इसके कण धूल-मिट्टी और गंदगी को अपने अंदर सोख लेते हैं. मिट्टी सूखने की प्रक्रिया में ये होता रहता है. इसके बाद पानी से इसको साफ कर दिया जाता है.

इस प्रक्रिया से न सिर्फ ताज से गंदगी हट जाती है बल्कि उसमें चमक भी आ जाती है. यह वैसा ही है जैसे चेहरे पर मुल्तानी मिट्टी को लगाकर मला जाता है और फिर उसमें चमक आ जाती है.

पहले साल में केवल एक ही बार मड पैकिंग से ताज की सफाई होती थी. लेकिन अब यह हो बार होने लगी है.

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